अलास्का वार्ता के बाद वॉशिंगटन लौटे डोनाल्ड ट्रंप (तस्वीर क्रेडिट@DeekshaKumari26)

अलास्का वार्ता के बाद वॉशिंगटन लौटे डोनाल्ड ट्रंप,पुतिन ने कहा– “सकारात्मक माहौल में हुई बातचीत”

अलास्का,16 अगस्त (युआईटीवी)- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप शनिवार, 16 अगस्त 2025 को वॉशिंगटन लौट आए। इससे पहले शुक्रवार को उन्होंने अलास्का के एंकोरेज में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की थी। दोनों नेताओं के बीच यह बैठक करीब तीन घंटे तक चली,जिसमें यूक्रेन संकट और संभावित सीजफायर पर चर्चा हुई। हालाँकि,बैठक से कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकला और न ही युद्धविराम की घोषणा की गई,लेकिन बातचीत का समापन सकारात्मक माहौल में हुआ।

ट्रंप ने अलास्का में लगभग छह घंटे बिताए और स्थानीय समयानुसार शाम 4:20 बजे एलमेनडॉर्फ एयर फोर्स बेस से वॉशिंगटन के लिए रवाना हो गए। मुलाकात के बाद ट्रंप और पुतिन ने एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की,लेकिन उसमें पत्रकारों के सवाल नहीं लिए गए। इसने इस वार्ता के परिणामों और उसकी दिशा को लेकर कई अटकलों को जन्म दिया।

रूसी राष्ट्रपति पुतिन,अलास्का से मॉस्को लौटने से पहले फोर्ट रिचर्डसन मेमोरियल कब्रिस्तान भी गए। वहाँ उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका से सोवियत संघ तक उपकरण पहुँचाने के दौरान शहीद हुए सोवियत पायलटों और नाविकों की कब्रों पर फूल चढ़ाए। इस श्रद्धांजलि ने रूस और अमेरिका के बीच ऐतिहासिक सहयोग की याद दिला दी,जब दोनों देशों ने मिलकर नाजी जर्मनी के खिलाफ युद्ध लड़ा था।

रूसी समाचार एजेंसी टीएएसएस के अनुसार,पुतिन ने इस अवसर पर कहा कि वह राष्ट्रपति ट्रंप को धन्यवाद देना चाहते हैं,जिन्होंने वार्ता को दोस्ताना और भरोसेमंद माहौल में आगे बढ़ाया। पुतिन ने कहा, “दोनों पक्ष परिणाम हासिल करने के लिए दृढ़ थे और हमारी बातचीत सकारात्मक रही। मुझे उम्मीद है कि यह संवाद भविष्य में व्यावहारिक नतीजों की ओर ले जाएगा।”

संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में पुतिन ने यह भी स्वीकार किया कि हाल के वर्षों में अमेरिका-रूस संबंधों में काफी खटास आई है,लेकिन उन्होंने विश्वास जताया कि अलास्का में हुई बातचीत दोनों देशों के रिश्तों को नई दिशा दे सकती है और यूक्रेन संकट के समाधान में एक संदर्भ बिंदु बन सकती है। उन्होंने कहा,“हम उम्मीद करते हैं कि कीव और यूरोप इस प्रगति को समझेंगे और रचनात्मक प्रतिक्रिया देंगे। उन्हें उकसावे या पर्दे के पीछे की चालों से बचना होगा,ताकि वार्ता को पटरी से न उतारा जाए।”

यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में पुतिन ने दोहराया कि संघर्ष तभी समाप्त हो सकता है,जब रूस की सभी जायज सुरक्षा चिंताओं को स्वीकार किया जाए और संघर्ष की मूल वजहों को समझा जाए। उन्होंने ट्रंप के बयान से सहमति जताई कि यूक्रेन की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए,लेकिन साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि रूस की सुरक्षा आवश्यकताओं की अनदेखी नहीं की जा सकती। पुतिन का यह बयान संकेत देता है कि मॉस्को यूक्रेन में युद्धविराम की दिशा में तभी आगे बढ़ेगा,जब उसे अपनी सुरक्षा गारंटियों पर ठोस आश्वासन मिलेगा।

दूसरी ओर,राष्ट्रपति ट्रंप ने मुलाकात के लिए पुतिन का धन्यवाद किया और कहा कि यह बातचीत आगे के लिए आशाजनक रही। ट्रंप ने जल्द ही अगली मुलाकात की उम्मीद जताई। इस पर पुतिन ने हल्के-फुल्के अंदाज़ में अंग्रेजी में जवाब देते हुए कहा, “अगली बार मॉस्को में।” पुतिन की यह टिप्पणी हल्की हँसी के साथ आई,लेकिन यह भी एक संकेत था कि रूस चाहता है कि अमेरिका और रूस की अगली बड़ी वार्ता मॉस्को की धरती पर हो।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस वार्ता ने तुरंत कोई नतीजा नहीं दिया,लेकिन इससे यह संकेत जरूर गया कि ट्रंप और पुतिन बातचीत जारी रखने के इच्छुक हैं। दोनों नेताओं ने सार्वजनिक तौर पर भले ही युद्धविराम की घोषणा नहीं की,लेकिन उनके बयानों से साफ है कि वे संबंधों को और खराब करने के बजाय संवाद का रास्ता खुला रखना चाहते हैं।

यह बैठक ऐसे समय पर हुई है,जब अमेरिका और यूरोप,दोनों ही यूक्रेन को लगातार सैन्य और वित्तीय मदद दे रहे हैं,जबकि रूस पश्चिमी देशों पर युद्ध को लंबा खींचने का आरोप लगाता रहा है। पुतिन ने अपने बयान में यूरोपीय देशों को भी अप्रत्यक्ष संदेश दिया कि वे किसी भी तरह की चालाकियों से इस प्रक्रिया को बाधित करने की कोशिश न करें।

ट्रंप ने इस वार्ता के तुरंत बाद कोई ठोस घोषणा नहीं की,लेकिन उन्होंने कहा कि वह नाटो नेताओं और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की को बैठक के बारे में जानकारी देंगे। इसका अर्थ यह है कि अमेरिका की ओर से किसी भी संभावित समझौते पर अंतिम फैसला तभी होगा,जब यूक्रेन और उसके यूरोपीय सहयोगी इसके लिए तैयार हों।

अमेरिका-रूस संबंधों पर पिछले कुछ वर्षों में आए तनाव को देखते हुए अलास्का की यह बैठक कूटनीतिक दृष्टि से बेहद अहम मानी जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह वार्ता न केवल यूक्रेन संकट बल्कि भविष्य में वैश्विक संतुलन और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शक्ति समीकरणों पर भी असर डाल सकती है।

फिलहाल इतना तय है कि ट्रंप और पुतिन की यह मुलाकात तत्काल कोई समाधान नहीं लाई,लेकिन इसने उम्मीदों का एक नया दरवाजा जरूर खोला है। दोनों नेताओं ने स्पष्ट किया है कि बातचीत का सिलसिला जारी रहेगा। आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह संवाद वास्तव में यूक्रेन युद्ध को खत्म करने की दिशा में कदम बढ़ाता है या फिर यह केवल एक और कूटनीतिक प्रयास बनकर रह जाता है।