भारत के विदेश मंत्री एस.जयशंकर (तस्वीर क्रेडिट @epanchjanya)

अमेरिका ने टीआरएफ को वैश्विक आतंकवादी संगठन घोषित किया: भारत-अमेरिका आतंकवाद विरोधी सहयोग को मिली नई मजबूती

नई दिल्ली,18 जुलाई (युआईटीवी)- अमेरिका ने पहलगाम आतंकी हमले में शामिल पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) को विदेशी आतंकवादी संगठन (एफटीओ) और विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी (एसडीजीटी) के रूप में घोषित कर दिया है। यह कदम भारत और अमेरिका के बीच आतंकवाद-रोधी सहयोग की मजबूती का प्रतीक माना जा रहा है।

भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस फैसले का स्वागत करते हुए इसे भारत-अमेरिका आतंकवाद विरोधी साझेदारी की एक बड़ी उपलब्धि बताया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए अमेरिकी विदेश विभाग और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो की सराहना की।

जयशंकर ने अपने एक्स पोस्ट में लिखा, “भारत-अमेरिका आतंकवाद-रोधी सहयोग की यह एक मजबूत पुष्टि है। लश्कर-ए-तैयबा के एक प्रॉक्सी संगठन टीआरएफ को विदेशी आतंकवादी संगठन और विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी के रूप में घोषित करने के लिए अमेरिकी विदेश विभाग और सीनेटर मार्को रुबियो का आभार।”

जयशंकर ने इस कदम को आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति का हिस्सा बताया और कहा कि भारत आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक मंच पर सहयोग का हमेशा समर्थन करता है।

अमेरिका स्थित भारतीय दूतावास ने भी अमेरिकी कदम का स्वागत किया। दूतावास की ओर से एक्स पर पोस्ट किया गया, “टीआरएफ पर बैन भारत और अमेरिका के मजबूत आतंकवाद विरोधी सहयोग का उदाहरण है। हम अमेरिकी विदेश विभाग के आभारी हैं कि उन्होंने द रेजिस्टेंस फ्रंट को विदेशी आतंकी संगठन और वैश्विक आतंकवादी के रूप में सूचीबद्ध किया।”

दूतावास ने यह भी याद दिलाया कि टीआरएफ ने 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली थी,जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की हत्या कर दी गई थी।

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने एक बड़े आतंकी हमले को अंजाम दिया था। इस हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। टीआरएफ ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी।

यह हमला 2008 के मुंबई हमलों के बाद भारत में नागरिकों पर सबसे घातक हमला माना जा रहा है। मुंबई हमलों की तरह ही इस हमले के पीछे भी लश्कर-ए-तैयबा की भूमिका रही,जिसका टीआरएफ एक मुखौटा संगठन है।

इस हमले के बाद जम्मू-कश्मीर और विशेषकर पहलगाम जैसे पर्यटन स्थलों में सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएँ पैदा हो गई थीं।

अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने गुरुवार को (अमेरिकी समयानुसार) बयान जारी करते हुए कहा, “आज अमेरिकी विदेश विभाग ने द रेजिस्टेंस फ्रंट को विदेशी आतंकवादी संगठन और विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी के रूप में नामित किया है। टीआरएफ,लश्कर-ए-तैयबा का एक फ्रंट और मुखौटा संगठन है। उसने 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम हमले की जिम्मेदारी ली थी,जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे।”

रुबियो ने यह भी कहा कि टीआरएफ भारतीय सुरक्षा बलों पर भी कई हमलों की जिम्मेदारी ले चुका है और इसे अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा माना जा रहा है।

अमेरिका का यह फैसला भारत के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण है:

आतंकवाद विरोधी सहयोग को मजबूती – भारत और अमेरिका लंबे समय से आतंकवाद विरोधी सहयोग में भागीदार हैं। यह कदम दोनों देशों की साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद पर अंतरराष्ट्रीय दबाव – टीआरएफ को वैश्विक आतंकी संगठन घोषित करना पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाएगा,क्योंकि यह संगठन लश्कर-ए-तैयबा का एक मुखौटा संगठन है और पाकिस्तान से ही संचालित होता है।

जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा को मजबूती – इस फैसले के बाद टीआरएफ की फंडिंग और वैश्विक नेटवर्क पर प्रतिबंध लगेगा,जिससे जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को कमजोर करने में मदद मिलेगी।

आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस का संदेश – यह कदम उन देशों को भी कड़ा संदेश देता है,जो आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं या उसे अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन देते हैं।

टीआरएफ की स्थापना लश्कर-ए-तैयबा के एक मुखौटा संगठन के रूप में की गई थी। इसका उद्देश्य आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देना और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की सीधी संलिप्तता को छुपाना था।

टीआरएफ ने पिछले कुछ वर्षों में भारतीय सुरक्षा बलों पर कई हमलों की जिम्मेदारी ली है तथा स्थानीय युवाओं की भर्ती और कट्टरपंथी विचारधारा फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पहलगाम हमला इस संगठन की सबसे बड़ी और वीभत्स आतंकी घटना मानी जा रही है।

अमेरिका द्वारा टीआरएफ को वैश्विक आतंकवादी संगठन घोषित करने के बाद भारत और अमेरिका के बीच आतंकवाद विरोधी सहयोग और मजबूत होने की उम्मीद है। भारत लंबे समय से लश्कर-ए-तैयबा,जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों पर कड़ा रुख अपनाने की माँग करता रहा है।

जयशंकर ने इसे भारत-अमेरिका साझेदारी में एक नया अध्याय बताया और उम्मीद जताई कि भविष्य में भी दोनों देश मिलकर आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करेंगे।

अमेरिका का टीआरएफ को एफटीओ और एसडीजीटी घोषित करना न केवल भारत की कूटनीतिक सफलता है,बल्कि यह आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक प्रतिबद्धता का भी प्रतीक है। यह कदम पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद पर एक बड़ा झटका है और जम्मू-कश्मीर में शांति बहाली के प्रयासों को नई मजबूती देगा।

भारत और अमेरिका की यह संयुक्त पहल स्पष्ट संदेश देती है कि आतंकवाद के लिए दुनिया में कोई जगह नहीं है और जो भी देश या संगठन आतंकवाद का समर्थन करेंगे,उन्हें वैश्विक स्तर पर अलग-थलग किया जाएगा।