वाशिंगटन,30 अक्टूबर (युआईटीवी)- अमेरिका ने भारत-चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) समझौते पर “गहरी नजर” रखे रहने की बात कही है। कि वह है। सीमा पर तनाव कम होने का “स्वागत” करता है। एलएसी पर भारत और चीन पर तनाव में आई कमी का अमेरिका ने स्वागत करते हुए कहा कि उसे नई दिल्ली की ओर से इस संबंध में जानकारी दी गई है।
अमेरिका के विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने मंगलवार को मीडिया से बातचीत में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, “हम घटनाओं पर करीबी नजर रखे हुए हैं। हम समझते हैं कि दोनों देश नियंत्रण रेखा पर तनाव वाले स्थानों से अपनी सेनाएँ हटाने के प्रारंभिक कदम उठा चुके हैं। हम सीमा पर तनाव कम होने का स्वागत करते हैं।”
जब उनसे इस मामले में अमेरिका की भूमिका होने के बारे में सवाल पूछा गया,तो मिलर ने स्पष्ट किया कि, “नहीं, हमने इस बारे में भारतीय साझेदारों से जानकारी ली है,लेकिन इसमें हमारी कोई भूमिका नहीं है”,जिससे यह पता चलता है कि अमेरिका भारत और चीन के बीच स्थिति को लेकर तटस्थ दृष्टिकोण रखता है और केवल स्थिति की निगरानी कर रहा है।
इससे पहले, रक्षा सूत्रों ने जानकारी दी थी कि भारत और चीन के सैनिकों ने पूर्वी लद्दाख के देपसांग मैदानों और डेमचोक में अस्थायी ढाँचों को हटा दिया है। इसके परिणामस्वरूप,सैनिकों को अब पीछे के क्षेत्रों में तैनात किया गया है और छोटे दलों के साथ पेट्रोलिंग होगी,जिसमें 10 से 15 सैनिक शामिल होंगे।
भारत और चीन के बीच जून 2020 से एलएसी पर तनाव बना हुआ है,जब गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच संघर्ष हुआ था,जिसमें दोनों पक्षों के सैनिक हताहत हुए थे। यह संघर्ष दोनों देशों के बीच वर्षों के दौरान सबसे गंभीर सैन्य टकराव था।
भारत और चीन के बीच रूस के कजान में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से पहले एलएसी पर पेट्रोलिंग समझौता हुआ था, जिसमें दोनों देशों के बीच 2020 से पहले की स्थिति पर सहमति बनी थी। इस समझौते के अनुसार, पूर्वी लद्दाख के डेमचोक और देपसांग नामक दो टकराव बिंदुओं से सैनिकों की वापसी अंतिम चरण में है।
एलएसी पेट्रोलिंग समझौता हाल ही में 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से पहले घोषित किया गया था, जो 22 से 24 अक्टूबर के बीच रूस के कजान में हुआ था। इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने हिस्सा लिया था। इस बैठक में दोनों नेताओं ने पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर गश्त और सैनिकों की वापसी से संबंधित समझौते पर सहमति जताई थी।
समझौतों के अनुपालन में भारतीय सैनिकों ने इन क्षेत्रों में अपने उपकरणों को पीछे ले जाना शुरू कर दिया है। एक अधिकारी ने बताया कि दोनों टकराव बिंदुओं से वापसी अंतिम चरण में है,जो एक सकारात्मक विकास है। यह प्रक्रिया वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गश्त और सैनिकों की वापसी पर दोनों देशों के बीच हुए समझौते के बाद हो रही है।
इस स्थिति को देखते हुए, यह कदम चार साल से अधिक समय से चले आ रहे गतिरोध को समाप्त करने की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण सफलता है। प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई बैठक ने इस मुद्दे को सुलझाने की दिशा में एक नई उम्मीद जगाई है। दोनों देशों के बीच की यह बातचीत शांति और सहयोग के नए युग की ओर इशारा करती है।