वाशिंगटन,17 जुलाई (युआईटीवी)- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार जगत में हलचल मचाने वाला एक बड़ा कदम उठाने का संकेत दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार,ट्रंप प्रशासन 150 से अधिक देशों पर यूनिफाइड टैरिफ रेट लागू करने की योजना बना रहा है। इस योजना के तहत इन देशों को नई टैरिफ दरों की जानकारी देने के लिए पत्र भेजे जाएँगे।
ट्रंप ने बुधवार को व्हाइट हाउस में बहरीन के क्राउन प्रिंस सलमान बिन हमद अल खलीफा के साथ बातचीत के दौरान पत्रकारों से कहा, “उस ग्रुप में सबके लिए सब कुछ एक जैसा ही होगा।” इसका मतलब है कि ट्रंप प्रशासन सभी देशों के लिए एक समान टैरिफ दर लागू करने के पक्ष में है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने पोलिटिको के हवाले से बताया कि अप्रैल में ट्रंप प्रशासन ने उन अर्थव्यवस्थाओं पर 10 प्रतिशत का बेसलाइन टैरिफ लगाया था,जो अमेरिका के साथ द्विपक्षीय समझौतों के दायरे में नहीं आतीं। हालाँकि,ट्रंप पहले यह सुझाव दे चुके हैं कि नई बेसलाइन को 15 प्रतिशत या 20 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है।
बुधवार को ट्रंप ने कोई नई दर घोषित नहीं की,लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप प्रशासन इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक,अमेरिकी सरकार ने अब तक लगभग दो दर्जन देशों को इस नई टैरिफ योजना के बारे में पत्र भेजे हैं। इनमें यूरोपीय संघ,जापान और दक्षिण कोरिया जैसे बड़े व्यापारिक साझेदार शामिल हैं।
इन देशों को सूचित किया गया है कि नई टैरिफ दरें 1 अगस्त से लागू होंगी। इसके बाद प्रभावित व्यापारिक साझेदारों ने अमेरिका के साथ अधिक अनुकूल शर्तों के लिए बातचीत तेज कर दी है।
हालाँकि,विश्लेषकों और पर्यवेक्षकों ने इस नई योजना को लेकर संदेह व्यक्त किया है। उनका मानना है कि यह टैरिफ योजना नियोजित रूप में 1 अगस्त से लागू नहीं हो पाएगी।
विशेषज्ञों की चिंता मुख्य रूप से अमेरिकी अर्थव्यवस्था और घरेलू राजनीति पर इसके संभावित प्रभाव को लेकर है। उच्च टैरिफ दरें अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए आयातित वस्तुओं को महँगा कर सकती हैं,जिससे महँगाई बढ़ने की आशंका है। इसके अलावा,व्यापारिक साझेदारों की प्रतिक्रिया और संभावित ट्रेड वॉर (व्यापार युद्ध) भी अमेरिकी उद्योगों और रोजगार पर नकारात्मक असर डाल सकता है।
स्विट्जरलैंड और भारत जैसे देशों को अभी तक आधिकारिक नोटिस नहीं मिला है,जबकि ये दोनों देश 2024 में अमेरिका के व्यापार घाटे का 3 प्रतिशत से अधिक हिस्सा थे। इन देशों के साथ अभी भी वाशिंगटन के साथ बातचीत की प्रक्रिया जारी है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत जैसे उभरते बाजारों के साथ जल्दबाजी में टैरिफ लागू करने से अमेरिका के लिए आर्थिक और कूटनीतिक दोनों मोर्चों पर समस्याएँ खड़ी हो सकती हैं।
बुधवार को ट्रंप ने अमेरिका-भारत व्यापार वार्ता को लेकर परस्पर विरोधी बयान दिए। पहले उन्होंने कहा, “हमारे पास एक और (समझौता) आने वाला है।” इसके बाद उन्होंने यह भी कहा, “हम एक समझौते के बहुत करीब हैं।”
हालाँकि,उनके इन बयानों ने स्पष्टता के बजाय भ्रम पैदा किया है कि वास्तव में भारत के साथ समझौता कितनी दूर है।
जापान के मामले में भी ट्रंप का रुख स्पष्ट नहीं दिखा। उन्होंने कहा कि बातचीत जारी है,लेकिन परिणाम को लेकर उन्होंने संदेह व्यक्त किया। ट्रंप ने कहा, “मुझे लगता है कि हम संभवतः जापान के साथ पत्र के अनुसार ही काम करेंगे।” इसका अर्थ यह है कि जापान के लिए कोई अलग समझौता करने के बजाय ट्रंप प्रशासन एकतरफा टैरिफ निर्णय पर ही टिक सकता है।
ट्रंप की यह यूनिफाइड टैरिफ योजना वैश्विक व्यापार पर गहरा प्रभाव डाल सकती है। इससे वैश्विक व्यापार युद्ध का खतरा उत्पन्न हो सकता है। इतने बड़े पैमाने पर एकसमान टैरिफ लगाने से प्रमुख व्यापारिक साझेदार अमेरिका के खिलाफ प्रतिशोधात्मक टैरिफ लगा सकते हैं।
अमेरिकी उपभोक्ताओं पर भी इसका व्यापक असर पड़ने की संभावना है। इससे आयातित वस्तुाएँ महँगी हो सकती हैं,जिससे घरेलू बाजार में महँगाई बढ़ेगी।
ट्रंप की यह यूनिफाइड टैरिफ योजना उभरते बाजारों के लिए चिंता व्यक्त कर रही है। भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों के लिए यह योजना आर्थिक दबाव बढ़ा सकती है। अमेरिकी राजनीति भी इसका असर पड़ेगा। 2025 के चुनावी माहौल में यह कदम ट्रंप के लिए एक बड़ा राजनीतिक जोखिम भी बन सकता है।
ट्रंप की नई टैरिफ योजना वैश्विक व्यापारिक समीकरणों को बदलने की क्षमता रखती है। हालाँकि,इसके नियोजित समय पर लागू होने को लेकर संदेह बना हुआ है। आने वाले दिनों में भारत और जापान के साथ व्यापार वार्ता और प्रमुख यूरोपीय देशों की प्रतिक्रिया इस योजना की दिशा तय करेगी।
