न्यूयॉर्क,13 अगस्त (युआईटीवी)- अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने कहा है कि अमेरिका और भारत के बीच संबंध मजबूत और स्थिर बने हुए हैं। उन्होंने पाकिस्तान के प्रति वाशिंगटन की बढ़ती दिलचस्पी का बचाव करते हुए इसे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की संवाद नीति का हिस्सा बताया। उनके अनुसार,ऐसा राष्ट्रपति होना जो सभी से संवाद रखता हो और सभी को जानता हो,न केवल लाभदायक है,बल्कि मतभेदों को दूर करने का एक कारगर तरीका भी है।
मंगलवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एक पत्रकार ने टैमी ब्रूस से सवाल किया कि क्या राष्ट्रपति ट्रंप का पाकिस्तान के सैन्य प्रमुख जनरल असीम मुनीर से बढ़ता संवाद भारत के साथ अमेरिका के रिश्तों को प्रभावित कर रहा है। इस पर उन्होंने स्पष्ट जवाब देते हुए कहा, “दोनों देशों के साथ हमारे संबंध जैसे पहले थे,वैसे ही हैं और यह अच्छी बात है।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अमेरिकी कूटनीति में संतुलन बनाए रखना प्राथमिकता है और भारत-अमेरिका संबंध किसी भी तरह से कमजोर नहीं हो रहे हैं।
पाकिस्तान के प्रति ट्रंप की सक्रिय कूटनीति का बचाव करते हुए ब्रूस ने कहा कि संवाद की खुली राह रखना और सभी पक्षों से बातचीत करना ही मतभेदों को सुलझाने का रास्ता है। उन्होंने इसे अमेरिकी विदेश नीति की एक सकारात्मक विशेषता बताया। हालाँकि,जब उनसे पूछा गया कि क्या ट्रंप और असीम मुनीर की नजदीकी पाकिस्तान को अधिक अमेरिकी सहायता और हथियारों की बिक्री की ओर ले जाएगी,तो उन्होंने इस पर कोई सीधा उत्तर नहीं दिया। इसके बजाय उन्होंने हाल ही में इस्लामाबाद में हुई अमेरिका-पाकिस्तान आतंकवाद विरोधी वार्ता का हवाला देते हुए कहा कि दोनों देशों ने आतंकवाद के सभी रूपों से लड़ने के अपने साझा संकल्प की फिर से पुष्टि की है।
टैमी ब्रूस ने बताया कि अमेरिका और पाकिस्तान के बीच आतंकवादी खतरों से निपटने के लिए सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा हुई है और यह सहयोग न केवल क्षेत्र बल्कि पूरी दुनिया के लिए लाभकारी होगा। उनके अनुसार,यह वार्ता इस बात का संकेत है कि अमेरिका पाकिस्तान के साथ संबंधों को केवल द्विपक्षीय संदर्भ में नहीं देखता,बल्कि इसे व्यापक क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा के परिप्रेक्ष्य में रखता है।
डोनाल्ड ट्रंप और असीम मुनीर की हालिया मुलाकातें भी चर्चा का विषय रही हैं। इसी वर्ष जून में व्हाइट हाउस में ट्रंप ने असीम मुनीर के सम्मान में एक लंच मीटिंग की मेजबानी की थी। उस समय उन्होंने जनरल मुनीर की इस बात के लिए सराहना की थी कि उन्होंने संघर्ष को बढ़ाने की बजाय युद्ध को समाप्त करने की दिशा में रुख अपनाया। ट्रंप ने कहा था कि वह मुनीर को ‘युद्ध में न जाने और उसे समाप्त करने’ के लिए धन्यवाद देना चाहते हैं।
पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनीर पिछले सप्ताह फिर अमेरिका पहुँचे थे। इस बार वह फ्लोरिडा के टैम्पा में आयोजित अमेरिकी सेंट्रल कमांड (सेंटकॉम) के कमांडर जनरल माइकल कुरिल्ला के विदाई समारोह में शामिल हुए। इस अवसर पर उन्होंने माइकल कुरिल्ला के उत्तराधिकारी एडमिरल ब्रैड कूपर का स्वागत किया। सेंटकॉम का दायरा मध्य और पश्चिम एशिया के साथ पाकिस्तान तक फैला हुआ है और इस क्षेत्र में अमेरिकी सैन्य रणनीति के लिए यह कमान अत्यंत महत्वपूर्ण है।
गौरतलब है कि असीम मुनीर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए नोबेल शांति पुरस्कार की माँग कर चुके हैं। उनका दावा है कि ट्रंप ने मई में भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और संघर्ष को समाप्त करने में मध्यस्थता की। हालाँकि,भारत सरकार ने इन दावों को सिरे से खारिज किया है,लेकिन मुनीर ने बार-बार ट्रंप के इस योगदान को रेखांकित किया है और उनके लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शांति पुरस्कार की मांग की है।
विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप और मुनीर के बीच बढ़ती नजदीकी,अमेरिका की दक्षिण एशिया नीति में नए समीकरण पैदा कर सकती है। एक ओर अमेरिका,भारत के साथ अपने सामरिक और आर्थिक संबंधों को बनाए रखना चाहता है,तो दूसरी ओर पाकिस्तान के साथ आतंकवाद विरोधी सहयोग और सुरक्षा वार्ताओं में सक्रिय रहना भी उसकी प्राथमिकताओं में शामिल है। इस संतुलन को बनाए रखना अमेरिकी कूटनीति के लिए चुनौतीपूर्ण है,खासकर ऐसे समय में जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव की स्थिति बनी रहती है।
टैमी ब्रूस के बयान से यह स्पष्ट होता है कि वाशिंगटन फिलहाल भारत और पाकिस्तान,दोनों के साथ संबंधों को समानांतर रूप से आगे बढ़ाने की नीति पर कायम है। अमेरिका के लिए भारत एक महत्वपूर्ण रणनीतिक और आर्थिक साझेदार है,जबकि पाकिस्तान के साथ उसका सहयोग सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए अहम है। इसीलिए,ट्रंप प्रशासन दोनों देशों के साथ संवाद बनाए रखने और उनके साथ संबंधों को मजबूत करने की दिशा में प्रयासरत है।
आगामी महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि ट्रंप और मुनीर की बढ़ती मुलाकातों और सहयोग का असर भारत-अमेरिका संबंधों पर किस तरह पड़ता है। अभी तक के संकेत यही हैं कि अमेरिका दोनों देशों के साथ अपने रिश्तों में संतुलन बनाए रखने के पक्ष में है और वह किसी एक देश के साथ नजदीकी बढ़ाकर दूसरे को दूरी का संदेश नहीं देना चाहता। इस नीति का लाभ उसे क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने और अपनी रणनीतिक उपस्थिति को मजबूत करने में मिल सकता है।
अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता का यह बयान न केवल भारत-अमेरिका संबंधों पर भरोसा जताता है,बल्कि यह भी दर्शाता है कि पाकिस्तान के प्रति ट्रंप की बढ़ती दिलचस्पी को लेकर वाशिंगटन किसी तरह का संदेह पैदा नहीं होने देना चाहता। ट्रंप और असीम मुनीर की नजदीकी भले ही नए कूटनीतिक समीकरण बना रही हो,लेकिन फिलहाल अमेरिका इस बात का संदेश दे रहा है कि भारत और पाकिस्तान, दोनों के साथ उसके संबंध “अच्छे” हैं और ऐसे ही बने रहेंगे।