आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा (तस्वीर क्रेडिट@DDBanglaNews)

वैश्विक चुनौतियों के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत,कम महँगाई से विकास को नई रफ्तार: आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा

नई दिल्ली,23 दिसंबर (युआईटीवी)- दुनिया भर में जारी आर्थिक अनिश्चितताओं और भू-राजनीतिक तनावों के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था ने एक बार फिर अपनी मजबूती साबित की है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा है कि तमाम वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था मजबूती से आगे बढ़ रही है और आने वाले समय में तेज विकास के लिए पूरी तरह तैयार है। आरबीआई के दिसंबर बुलेटिन में लिखे अपने संदेश में गवर्नर ने देश की आर्थिक स्थिति को लेकर भरोसा जताया और कहा कि महँगाई के निचले स्तर पर आने से सरकार और केंद्रीय बैंक को विकास को प्रोत्साहित करने का एक ऐतिहासिक अवसर मिला है।

संजय मल्होत्रा ने कहा कि आरबीआई देश की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए आगे भी संतुलित और समय पर कदम उठाता रहेगा,ताकि आर्थिक स्थिरता बनी रहे और विकास की रफ्तार को बनाए रखा जा सके। उन्होंने माना कि वर्ष 2025 कई मायनों में चुनौतीपूर्ण रहा,लेकिन इसके बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था की उपलब्धियाँ संतोषजनक हैं। इस दौरान न केवल महँगाई को प्रभावी ढंग से काबू में रखा गया,बल्कि बैंकिंग व्यवस्था भी पहले से ज्यादा मजबूत होकर उभरी है।

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि बीते वर्ष में किए गए नीतिगत सुधारों और नियामकीय बदलावों से बैंकिंग सिस्टम की नींव और मजबूत हुई है। इन सुधारों का असर व्यापारिक माहौल में सुधार,ग्राहकों की सुरक्षा बढ़ने और समूची वित्तीय प्रणाली की दक्षता में इजाफे के रूप में देखने को मिला है। उन्होंने कहा कि इन कदमों का उद्देश्य सिर्फ वर्तमान चुनौतियों से निपटना नहीं,बल्कि भविष्य की जरूरतों के अनुरूप एक मजबूत और भरोसेमंद वित्तीय ढाँचा तैयार करना भी है।

अपने संदेश में गवर्नर ने नए साल को लेकर सकारात्मक रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि आरबीआई भारतीय अर्थव्यवस्था को और अधिक समर्थन देने तथा देश की तरक्की के लिए नई उम्मीद,जोश और दृढ़ संकल्प के साथ नए साल में प्रवेश कर रहा है। उनके मुताबिक,मौजूदा आर्थिक संकेतक यह दर्शाते हैं कि भारत एक संतुलित और टिकाऊ विकास पथ पर आगे बढ़ रहा है।

महँगाई के मोर्चे पर बात करते हुए संजय मल्होत्रा ने कहा कि अक्टूबर में लागू हुई नीति के बाद से महँगाई में तेज गिरावट दर्ज की गई है। यह गिरावट इतनी उल्लेखनीय है कि महँगाई अब अभूतपूर्व रूप से निचले स्तर पर पहुँच गई है। उन्होंने बताया कि फ्लेक्सिबल इन्फ्लेशन टारगेटिंग को अपनाने के बाद यह पहली बार हुआ है,जब वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में औसत महँगाई दर घटकर 1.7 प्रतिशत पर आ गई। यह अब तक का सबसे कम स्तर है। इसके अलावा अक्टूबर 2025 में महँगाई और गिरकर मात्र 0.3 प्रतिशत रह गई,जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।

गवर्नर ने बताया कि महँगाई में आई इस बड़ी गिरावट ने अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान की है और उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति को बढ़ाया है। इसका सीधा असर खपत और निवेश पर पड़ा है,जिससे आर्थिक गतिविधियों में तेजी आई है। इसी का नतीजा है कि वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत तक पहुँच गई। उन्होंने कहा कि इस मजबूत वृद्धि के पीछे त्योहारी सीजन के दौरान बढ़ा हुआ उपभोग और जीएसटी दरों में किए गए सुधार अहम कारण रहे हैं।

संजय मल्होत्रा ने आगे कहा कि वित्त वर्ष के पहले छह महीनों में औसत महँगाई दर 2.2 प्रतिशत और आर्थिक विकास दर 8.0 प्रतिशत रही। उन्होंने इस स्थिति को ‘गोल्डीलॉक्स पीरियड’ करार दिया,यानी ऐसा दौर जिसमें न तो महँगाई ज्यादा है और न ही विकास की रफ्तार धीमी है। उनके मुताबिक,यह संतुलन किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए आदर्श माना जाता है और भारत इस समय उसी स्थिति में है।

आगे की संभावनाओं पर बात करते हुए आरबीआई गवर्नर ने कहा कि घरेलू स्तर पर कई सकारात्मक कारक भारतीय अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में मदद करेंगे। अच्छी खेती,नियंत्रित महँगाई,मजबूत कॉरपोरेट सेक्टर और सुदृढ़ बैंकिंग व्यवस्था जैसे तत्व आने वाले समय में विकास को नई गति देंगे। उन्होंने भरोसा जताया कि यदि सुधार संबंधी पहलों को इसी तरह जारी रखा गया,तो भारत की विकास दर और अधिक मजबूत हो सकती है।

आरबीआई गवर्नर का संदेश यह संकेत देता है कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भारत ने न केवल अपनी आर्थिक स्थिरता बनाए रखी है,बल्कि विकास के नए अवसर भी पैदा किए हैं। कम महँगाई,तेज जीडीपी वृद्धि और मजबूत वित्तीय प्रणाली के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था आने वाले वर्षों में वैश्विक मंच पर अपनी भूमिका और प्रभाव को और मजबूत करने के लिए तैयार दिख रही है।