अनुराग कश्यप

अनुराग कश्यप ने फुले विवाद पर सेंसर बोर्ड की आलोचना की,कहा- ‘मिलके तय कर लो जाति व्यवस्था है या नहीं’

मुंबई,19 अप्रैल (युआईटीवी)- फिल्म निर्माता अनुराग कश्यप ने आगामी जीवनी नाटक फुले को लेकर विवाद को लेकर केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) और कुछ ब्राह्मण समूहों की खुलकर आलोचना की है। अनंत महादेवन द्वारा निर्देशित और प्रतीक गांधी और पत्रलेखा अभिनीत यह फिल्म समाज सुधारक ज्योतिराव और सावित्रीबाई फुले के जीवन को दर्शाती है। फिल्म में उनके चित्रण को लेकर कुछ ब्राह्मण समुदाय के सदस्यों की आपत्तियों के बाद इसकी रिलीज 25 अप्रैल, 2025 तक टाल दी गई है।

कश्यप ने भारत में जातिवाद के अस्तित्व पर सवाल उठाते हुए इंस्टाग्राम पर अपनी निराशा व्यक्त की:​

“भाई मिल के फैसला कर लो। भारत में जातिवाद है या नहीं। लोग…..नहीं हैं। आप ब्राह्मण लोग हो या फिर आप के बाप हैं,जो ऊपर बैठे हैं। फैसला कर लो।”

उन्होंने सेंसरशिप प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी का सुझाव देते हुए इस बात पर भी चिंता जताई कि आधिकारिक रिलीज से पहले कुछ समूहों ने फिल्म तक कैसे पहुँच बनाई:

“मेरा सवाल यह है कि जब फिल्म सेंसरशिप के लिए जाती है,तो बोर्ड में चार सदस्य होते हैं। जब तक उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी जाती,तब तक समूहों और विंग्स को फिल्मों तक कैसे पहुँच मिलती है? पूरी व्यवस्था ही धाँधली वाली है।”

सीबीएफसी ने कथित तौर पर फिल्म निर्माताओं से कई संपादन करने के लिए कहा है,जिसमें ‘महार’, ‘मांग’, ‘पेशवाई’ और ‘मनु की जाति व्यवस्था’ जैसे जाति संदर्भों को हटाना शामिल है।

कश्यप की टिप्पणियों ने सेंसरशिप,सिनेमा में जाति प्रतिनिधित्व और भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के व्यापक मुद्दों पर चर्चाओं को जन्म दिया है।