एशिया कप 2025 में पाकिस्तान की हरकतों से मचा बवाल (तस्वीर क्रेडिट@LSinghShekhawat)

एशिया कप 2025 में पाकिस्तान की हरकतों से मचा बवाल,आईसीसी बैठक में उठेगा मुद्दा

मुंबई,30 सितंबर (युआईटीवी)- टी-20 एशिया कप 2025 का फाइनल मुकाबला क्रिकेट इतिहास में यादगार खेल से ज्यादा विवादों के लिए याद किया जाएगा। पाकिस्तान क्रिकेट टीम और पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) की ओर से की गई हरकतों ने न केवल खेल की मर्यादा को ठेस पहुँचाई,बल्कि क्रिकेट जगत को स्तब्ध कर दिया। मैच के बाद जो घटनाक्रम सामने आया उसने पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आलोचना के घेरे में खड़ा कर दिया है। अब यह विवाद अगले सप्ताह होने वाली अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) की बोर्ड बैठक में मुख्य मुद्दे के रूप में उठ सकता है।

एशिया कप 2025 का समापन तो भारत की शानदार जीत के साथ हुआ,लेकिन इस जीत की चमक पाकिस्तान की विवादास्पद गतिविधियों ने फीकी कर दी। सबसे पहले पाकिस्तान टीम ने मैच रेफरी एंडी पाइक्राफ्ट पर आपत्ति जताते हुए दावा किया कि भारतीय खिलाड़ियों ने उनसे हाथ मिलाने से मना कर दिया। इस मुद्दे को उन्होंने बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया और टूर्नामेंट से हटने तक की धमकी दे डाली। हालाँकि,बाद में स्थिति संभाली गई,लेकिन पाकिस्तान का यह रवैया खेल भावना के बिल्कुल विपरीत माना गया।

इसके बाद विवाद उस समय और गहरा गया,जब ट्रॉफी वितरण समारोह के दौरान अभूतपूर्व स्थिति देखने को मिली। भारतीय टीम की जीत के बाद एशियाई क्रिकेट परिषद (एसीसी) के अध्यक्ष और पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के प्रमुख मोहसिन नकवी को विजेता टीम को ट्रॉफी सौंपनी थी,लेकिन भारतीय खिलाड़ियों ने उनसे ट्रॉफी लेने से इंकार कर दिया। वजह साफ थी—नकवी सिर्फ एसीसी और पीसीबी के प्रमुख ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान के आंतरिक मंत्री भी हैं और उनके राजनीतिक पद के कारण खिलाड़ियों में असहजता थी।

स्थिति को संभालने के लिए एसीसी के उपाध्यक्ष और बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारी अमीनुल इस्लाम ने पहल की। उन्होंने मोहसिन नकवी से आग्रह किया कि वे भारतीय टीम की भावनाओं का सम्मान करें और ट्रॉफी किसी अन्य अधिकारी के माध्यम से दिलवाएँ। यहाँ तक कि आईसीसी एसोसिएट्स के प्रतिनिधि और पूर्व एमिरेट्स बोर्ड के सीईओ मुबाशिर उस्मानी ने भी नकवी से आग्रह किया कि वे अपना रुख बदलें। मगर नकवी ने किसी की एक न सुनी। सूत्रों के अनुसार,नकवी लगातार फोन पर अपने वरिष्ठ अधिकारियों से बातचीत कर रहे थे और उन्हें साफ निर्देश मिले थे कि वे पीछे न हटें।

हालात तब और बिगड़ गए,जब नकवी ने ट्रॉफी को वापस ले जाने का आदेश दे दिया। यह आदेश सुनकर वहाँ मौजूद सभी अधिकारी और खिलाड़ी हैरान रह गए,क्योंकि यह क्रिकेट इतिहास में पहली बार हुआ,जब विजेता टीम को उनकी ट्रॉफी नहीं सौंपी गई। एमिरेट्स बोर्ड के सीईओ सुल्तान मोहम्मद ज़रवानी ने भी स्थिति संभालने की कोशिश की,लेकिन नकवी अपने फैसले पर अड़े रहे।

इस पूरी घटना ने पाकिस्तान क्रिकेट की छवि पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्रिकेट विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रॉफी जैसे अहम प्रतीक को विजेता टीम से छीन लेना खेल की आत्मा को ठेस पहुँचाना है। यह सिर्फ एक औपचारिकता नहीं,बल्कि विजेता टीम की मेहनत और सम्मान का प्रतीक होता है। पाकिस्तान का यह कदम खेल की मूल भावना के खिलाफ माना जा रहा है और इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गंभीर अनुशासनहीनता के रूप में देखा जा रहा है।

सूत्रों के अनुसार,भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) इस पूरे मामले को अगले सप्ताह होने वाली आईसीसी बोर्ड बैठक में जोर-शोर से उठाने जा रहा है। बीसीसीआई का मानना है कि पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड की ऐसी हरकतें न केवल टूर्नामेंट की गरिमा को प्रभावित करती हैं,बल्कि भविष्य में भी ऐसे उदाहरण बनने का खतरा पैदा करती हैं। यदि इस बार कड़ा कदम नहीं उठाया गया,तो अन्य देश भी इसी तरह की अनुशासनहीनता कर सकते हैं।

आईसीसी के अंदरूनी हलकों से यह भी जानकारी मिली है कि पाकिस्तान के खिलाफ संभावित दंड पर गंभीर चर्चा हो सकती है। इसमें भारी जुर्माना लगाना, भविष्य के टूर्नामेंट्स की मेजबानी से वंचित करना या फिर प्रशासनिक स्तर पर कड़े कदम उठाना शामिल हो सकता है। हालाँकि,अंतिम फैसला बोर्ड की बैठक में ही होगा।

भारतीय खिलाड़ियों के रवैये को लेकर भी बहस हो रही है। कई विशेषज्ञ मानते हैं कि खिलाड़ियों ने सही किया क्योंकि खेल और राजनीति को अलग रखना जरूरी है। एक आंतरिक मंत्री द्वारा ट्रॉफी देना कहीं न कहीं राजनीतिक संदेश का रूप ले सकता था,जो खिलाड़ियों को मंजूर नहीं था। दूसरी ओर,कुछ लोगों का मानना है कि खिलाड़ियों को औपचारिकता निभा लेनी चाहिए थी,ताकि विवाद का जन्म ही न होता।

चाहे जो भी हो,इस विवाद ने क्रिकेट की दुनिया को झकझोर दिया है। पाकिस्तान के रवैये ने साबित कर दिया है कि वे खेल को राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल करने से भी पीछे नहीं हटते। वहीं,भारत ने संयम बरतकर यह दिखाया कि खेल में सम्मान और आत्मसम्मान दोनों का संतुलन बनाए रखना जरूरी है।

आने वाले दिनों में आईसीसी की बैठक में जो भी फैसला होगा,वह न केवल पाकिस्तान क्रिकेट के भविष्य को प्रभावित करेगा,बल्कि यह भी तय करेगा कि खेल में अनुशासन और मर्यादा की सीमाएँ कहाँ तक कायम रखी जाएँगी। फिलहाल इतना तय है कि एशिया कप 2025 का यह अध्याय क्रिकेट इतिहास में लंबे समय तक विवादों के प्रतीक के रूप में दर्ज रहेगा।