दुबई,27 सितंबर (युआईटीवी)- एशिया कप 2025 के सुपर फोर चरण में शुक्रवार को भारत और श्रीलंका के बीच खेला गया मुकाबला बेहद रोमांचक अंदाज में समाप्त हुआ। इस मैच ने दर्शकों को अंतिम गेंद तक बाँधे रखा,लेकिन श्रीलंका की टीम एक बार फिर इतिहास दोहराने से नहीं बच पाई। शतकवीर पाथुम निसांका की शानदार बल्लेबाजी और कुसल परेरा के बेहतरीन साथ के बावजूद श्रीलंका सुपर ओवर में हार गया। यह हार श्रीलंका के मुख्य कोच सनथ जयसूर्या के लिए गहरी निराशा का सबब बनी। मैच के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने टीम के प्रदर्शन पर संतोष जताते हुए भी इस हार को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया और साफ कहा कि जीत का मौका गँवाना काफी पीड़ादायक है।
श्रीलंका की पारी का सबसे बड़ा आकर्षण निसांका की 58 गेंदों पर खेली गई 107 रनों की शतकीय पारी रही। उन्होंने कुसल परेरा के साथ 127 रनों की साझेदारी कर भारत को बैकफुट पर ला दिया था। परेरा ने 32 गेंदों पर 58 रन बनाए और अपनी धाकड़ बल्लेबाजी से भारतीय गेंदबाजों को खासा परेशान किया। इन दोनों बल्लेबाजों ने जिस अंदाज में लक्ष्य का पीछा किया,उससे लगने लगा था कि श्रीलंका 203 रन के विशाल लक्ष्य को आसानी से हासिल कर लेगा,लेकिन क्रिकेट की खूबसूरती यही है कि आखिरी क्षण तक कुछ भी हो सकता है।
आखिरी ओवर में श्रीलंका को जीत के लिए 12 रन चाहिए थे और निसांका क्रीज पर मौजूद थे। उम्मीदें चरम पर थीं,लेकिन जैसे ही ओवर की पहली गेंद पर उनका विकेट गिरा,पूरा समीकरण बदल गया। अंतिम गेंद पर दासुन शनाका ने दूसरा रन तो पूरा कर लिया,लेकिन तीसरा रन लेने के प्रयास में आउट होने से पहले स्कोर बराबरी पर आकर रुक गया। इसके बाद मैच सुपर ओवर में चला गया,जहाँ श्रीलंकाई बल्लेबाज लड़खड़ा गए और भारत ने आसानी से जीत अपने नाम कर ली।
कोच सनथ जयसूर्या ने मैच के बाद कहा, “हम यह मुकाबला सामान्य समय में ही खत्म करना चाहते थे। किसी कप्तान या कोच की पहली पसंद कभी भी सुपर ओवर नहीं होती। आखिरी रन पूरा न कर पाने की वजह से मैच बराबरी पर छूटा और हमें सुपर ओवर खेलना पड़ा। यह हार निराशाजनक है,लेकिन भारत के खिलाफ हमारी कोई मानसिक बाधा नहीं है। हमने खुद को साबित किया कि 200 से अधिक का लक्ष्य भी हम लगभग हासिल कर सकते हैं।”
जयसूर्या ने निसांका की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने पूरे दमखम के साथ बल्लेबाजी की। उन्होंने कहा, “निसांका ने शानदार शतक जमाया। उनकी बल्लेबाजी ने हमें जीत की ओर अग्रसर किया था। साथ ही कुसल परेरा ने भी बेहतरीन योगदान दिया। वह टीम के सबसे अच्छे स्पिन खेलने वाले बल्लेबाज हैं और उन्होंने इस जिम्मेदारी को अच्छे से निभाया।”
हालाँकि,जयसूर्या का दर्द इस बात से भी जुड़ा था कि श्रीलंका सुपर फोर चरण में लगातार हार झेलता रहा। भारत से पहले टीम को बांग्लादेश और पाकिस्तान के खिलाफ भी शिकस्त मिली थी। तीनों मुकाबले हारकर श्रीलंका का फाइनल में पहुँचने का सपना टूट गया। कोच ने स्वीकार किया कि टीम परिस्थितियों के अनुसार खुद को जल्दी ढाल नहीं सकी। उन्होंने कहा, “बांग्लादेश के खिलाफ 168 का स्कोर बचाया जा सकता था,लेकिन हमारी गेंदबाजी उम्मीद के मुताबिक नहीं रही। वहीं पाकिस्तान के खिलाफ भी पिच का आकलन करने में हमें देर हो गई। इसी वजह से हार का सामना करना पड़ा।”
भारत के खिलाफ हुए मुकाबले को लेकर उन्होंने कहा कि टीम ने मजबूत बल्लेबाजी दिखाई और आखिरी गेंद तक जीत की संभावना बनाए रखी। आगे उन्होंने कहा कि,“203 जैसा लक्ष्य कभी आसान नहीं होता,लेकिन हमारी टीम ने आत्मविश्वास और क्षमता दिखाकर यह साबित कर दिया कि हम कठिन चुनौतियों से जूझने का माद्दा रखते हैं। यह बात खिलाड़ियों के मनोबल को और ऊँचा करेगी।”
हालाँकि,उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि फाइनल में जगह न बना पाना निराशाजनक है। उन्होंने कहा, “हमारी टीम में बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों का अच्छा स्तर है। जो कमी रही वह थी योजनाओं को पूरी तरह से लागू करने की। जब हम परिस्थितियों और विरोधियों के अनुसार सही रणनीति अपनाते हैं,तो हमें जीत मिल सकती है। आगे हमें इस पर अधिक ध्यान देना होगा।”
जयसूर्या का यह बयान यह दर्शाता है कि वह अपनी टीम की संभावनाओं को लेकर आश्वस्त हैं। उनका मानना है कि मौजूदा टीम में प्रतिभा और ऊर्जा की कोई कमी नहीं है,बस खिलाड़ियों को परिस्थितियों का तेजी से आंकलन करना सीखना होगा। खासकर दबाव की स्थितियों में सही फैसले लेने की क्षमता विकसित करना अहम है।
इस हार से श्रीलंका के लिए सबक यही है कि क्रिकेट में केवल व्यक्तिगत प्रदर्शन काफी नहीं होता,बल्कि पूरी टीम को एकजुट होकर परिस्थितियों के अनुसार खेलना पड़ता है। निसांका और परेरा की बेहतरीन पारियों ने जीत की नींव रख दी थी,लेकिन आखिरी ओवर में संयम की कमी और थोड़ी सी हड़बड़ाहट ने सबकुछ बदल दिया। भारत जैसी मजबूत टीम के खिलाफ छोटे-छोटे गलतियों की भी बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है और यही श्रीलंका के साथ हुआ।
दुबई में खेले गए इस मुकाबले ने एक बार फिर क्रिकेट की अनिश्चितता को साबित कर दिया। श्रीलंका की टीम जीत के बिल्कुल करीब थी,लेकिन आखिरी क्षणों की गलतियों ने उसकी मेहनत पर पानी फेर दिया। कोच जयसूर्या की निराशा स्वाभाविक है,लेकिन उनका आत्मविश्वास यह संकेत देता है कि आने वाले दिनों में यह टीम और मजबूती से वापसी कर सकती है। उन्होंने साफ कहा कि अगर खिलाड़ी लगातार अपनी योजनाओं पर टिके रहें और परिस्थितियों के अनुसार ढलें,तो श्रीलंका की टीम एशिया में ही नहीं,बल्कि वैश्विक स्तर पर भी दमदार चुनौती पेश कर सकती है।