एशिया कप ट्रॉफी विवाद (तस्वीर क्रेडिट@reach2msingh)

एशिया कप ट्रॉफी विवाद : बीसीसीआई और पीसीबी अगले महीने आईसीसी बैठक में आमने-सामने,नकवी भव्य समारोह में ट्रॉफी सौंपने पर अड़ा

नई दिल्ली,22 अक्टूबर (युआईटीवी)- भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) और पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) के बीच एशिया कप ट्रॉफी को लेकर जारी विवाद अब अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के मंच तक पहुँच गया है। आगामी महीने होने वाली आईसीसी की बैठक में दोनों बोर्ड आमने-सामने हो सकते हैं और इस मामले में गंभीर चर्चा होने की संभावना है। यह विवाद तब शुरू हुआ,जब भारत ने एशिया कप 2025 के फाइनल में पाकिस्तान को हराकर खिताब जीता। हालाँकि,भारतीय टीम ने एशियाई क्रिकेट परिषद (एसीसी) के अध्यक्ष और पीसीबी प्रमुख मोहसिन नकवी के हाथों ट्रॉफी लेने से इनकार कर दिया।

नकवी ने इस विवाद पर अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा है कि एशिया कप ट्रॉफी सही मायनों में भारतीय क्रिकेट टीम की है,लेकिन इसे तब तक एसीसी अध्यक्ष के ट्रस्ट में रखा जाएगा,जब तक बीसीसीआई का कोई पदाधिकारी किसी भी उपलब्ध खिलाड़ी के साथ व्यक्तिगत रूप से एसीसी अध्यक्ष से ट्रॉफी प्राप्त नहीं कर लेता। नकवी ने अपने जवाब में जोर देकर कहा कि ट्रॉफी हस्तांतरण के लिए भव्य और औपचारिक समारोह आयोजित किया जाएगा,क्योंकि यह परंपरा का हिस्सा है और किसी भी स्थिति में ऐसी मिसाल कायम नहीं होनी चाहिए,जो खेल की भावना को कमजोर करे।

बीसीसीआई ने नकवी को ट्रॉफी सौंपने के लिए ई-मेल किया था और इस मामले में सहयोग का इशारा किया था। इसके जवाब में नकवी ने स्पष्ट किया कि वह दुबई में 10 नवंबर को समारोह आयोजित करना चाहते हैं,जिसमें बीसीसीआई का कोई प्रतिनिधि और भारतीय टीम का कोई भी उपलब्ध सदस्य आकर ट्रॉफी ले। नकवी ने अपने पत्र में यह भी उल्लेख किया कि एसीसी कार्यालय कभी भी बीसीसीआई के साथ इस विषय पर आधिकारिक संवाद नहीं कर पाया था,जिससे ट्रॉफी वितरण में देरी और गतिरोध उत्पन्न हुआ।

पीसीबी अध्यक्ष ने अपने जवाब में यह भी कहा कि एसीसी कार्यालय किसी “तुच्छ राजनीति” का हिस्सा नहीं बनेगा,जिसका उद्देश्य किसी विशेष चरमपंथी समूह को खुश करना हो। नकवी ने यह स्पष्ट किया कि जब समारोह शुरू होने वाला था और विशिष्ट अतिथि मंच पर स्थान ग्रहण कर चुके थे,तभी बीसीसीआई के प्रतिनिधि ने घोषणा की कि भारतीय क्रिकेट टीम ट्रॉफी और पुरस्कार ग्रहण नहीं करेगी। इस कारण समारोह में देरी हुई और घटनाक्रम काफी तनावपूर्ण हो गया।

बीसीसीआई और पीसीबी के बीच यह विवाद केवल ट्रॉफी के शारीरिक हस्तांतरण तक ही सीमित नहीं है। इसके पीछे दोनों बोर्डों के बीच भरोसे और संचार की कमी स्पष्ट रूप से नजर आ रही है। भारत ने ट्रॉफी सौंपने के लिए एसीसी और अन्य सदस्य देशों का समर्थन हासिल किया था,जिनमें अफगानिस्तान और श्रीलंका भी शामिल थे,लेकिन नकवी के रुख ने इस मामले में तनाव और बढ़ा दिया।

आईसीसी में अगले महीने होने वाली बैठक में यह मुद्दा प्रमुख रूप से उठाया जाएगा। बीसीसीआई ने पहले ही संकेत दे दिए हैं कि वे इस विवाद को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर रखेंगे और पीसीबी के रुख की समीक्षा करेंगे। वहीं,पीसीबी के कानूनी विभाग को पहले ही निर्देश दिए गए हैं कि अगर बीसीसीआई के अधिकारी आईसीसी बोर्ड की बैठक में नकवी की निंदा करने का प्रयास करें,तो उसका उत्तर दिया जाए। यह स्पष्ट संकेत है कि दोनों बोर्ड इस मामले में किसी भी तरह का समझौता नहीं करना चाहते और मुद्दा आईसीसी स्तर पर हल होने की उम्मीद है।

नकवी के अनुसार,एसीसी ट्रॉफी का वितरण स्थापित परंपरा और औपचारिकता के अनुसार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह खेल की गरिमा और खिलाड़ियों के सम्मान से जुड़ा मामला है। उनके जवाब में यह भी उल्लेख था कि बीसीसीआई की चिंता को लेकर किसी भी प्रकार का आधिकारिक संवाद समारोह शुरू होने से पहले नहीं हुआ,जिसके कारण भारतीय टीम ने ट्रॉफी स्वीकार करने से इनकार किया।

इस विवाद ने एशियाई क्रिकेट परिषद और आईसीसी में राजनीतिक और कूटनीतिक पहलुओं को भी उजागर किया है। नकवी के बयान और बीसीसीआई की प्रतिक्रिया से यह स्पष्ट हो गया है कि दोनों बोर्डों के बीच अविश्वास और तनाव की स्थिति बनी हुई है। ट्रॉफी विवाद अब केवल खेल का मसला नहीं रहा,बल्कि इसे क्रिकेट प्रशासन,प्रोटोकॉल और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों का मामला माना जा रहा है।

बीसीसीआई के पूर्व सचिव और वर्तमान आईसीसी प्रमुख जय शाह इस मामले में मध्यस्थता करने वाले प्रमुख व्यक्ति होंगे। उनकी भूमिका इस विवाद को सुलझाने और दोनों पक्षों के बीच उचित समाधान निकालने में निर्णायक हो सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि नकवी का रुख कठोर और औपचारिक प्रतीत होता है,जबकि बीसीसीआई ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे किसी भी ऐसे समारोह में हिस्सा नहीं लेंगे,जिसमें भारतीय टीम के खिलाड़ी शामिल नहीं हो सकते।

इस विवाद की अंतर्राष्ट्रीय पृष्ठभूमि भी महत्वपूर्ण है। भारत और पाकिस्तान के बीच खेल और राजनीति का गहरा संबंध रहा है और ऐसे मामलों में अक्सर राजनीतिक तनाव का असर खेल पर भी पड़ता रहा है। एशिया कप ट्रॉफी का विवाद इसी ऐतिहासिक संदर्भ का हिस्सा बन गया है। नकवी का रुख यह संकेत देता है कि पीसीबी इस मामले में किसी भी तरह की समझौता करने के मूड में नहीं है और वे एसीसी की औपचारिकताओं का पालन करने पर जोर दे रहे हैं।

बीसीसीआई की ओर से भी स्पष्ट संकेत दिए गए हैं कि ट्रॉफी विवाद को आईसीसी में उठाया जाएगा। बोर्ड का मानना है कि भारतीय टीम ने जीत हासिल की है और ट्रॉफी का हस्तांतरण सीधे तौर पर भारतीय खिलाड़ियों और उनके प्रतिनिधियों के माध्यम से होना चाहिए। इस मामले में आईसीसी की भूमिका निर्णायक होगी और संभवतः बोर्डों के बीच भविष्य में होने वाले संबंधों पर भी इसका असर पड़ेगा।

इस पूरे घटनाक्रम से यह स्पष्ट हो गया है कि एशिया कप 2025 का ट्रॉफी विवाद सिर्फ खेल का मामला नहीं है,बल्कि क्रिकेट प्रशासन,कूटनीति और अंतर्राष्ट्रीय प्रोटोकॉल से जुड़ा जटिल मुद्दा बन चुका है। आईसीसी की बैठक में दोनों बोर्डों की स्थिति,नकवी के प्रस्ताव और बीसीसीआई की आपत्ति पर विचार किया जाएगा और यह देखा जाएगा कि इस विवाद का समाधान कैसे निकाला जाता है।

इस प्रकार,अगले महीने होने वाली आईसीसी की बैठक क्रिकेट जगत के लिए अहम मोड़ साबित होने वाली है। एशिया कप ट्रॉफी विवाद का नतीजा न केवल भारत और पाकिस्तान के संबंधों को प्रभावित करेगा,बल्कि एशियाई क्रिकेट परिषद और अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट प्रशासन के भविष्य के निर्णयों पर भी असर डाल सकता है।