नई दिल्ली,25 अगस्त (युआईटीवी)- मैकाय में खेले गए तीसरे और अंतिम वनडे मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया ने साउथ अफ्रीका को 276 रन के भारी अंतर से हराकर सीरीज का समापन दमदार अंदाज में किया। भले ही तीन मैचों की यह सीरीज 2-1 से साउथ अफ्रीका के नाम रही,लेकिन आखिरी मुकाबले में ऑस्ट्रेलियाई टीम ने जिस तरह का प्रदर्शन किया,उसने उनके प्रशंसकों को गर्व का एहसास कराया और टीम को आत्मविश्वास से भर दिया। शुरुआती दो मुकाबलों में हार का सामना करने वाली कंगारू टीम ने अंतिम वनडे में बल्ले और गेंद,दोनों से जबरदस्त खेल दिखाते हुए अपनी लाज बचाई और यह संदेश भी दिया कि उनकी क्षमता पर संदेह करना गलत होगा।
मैच की शुरुआत टॉस से हुई,जहाँ ऑस्ट्रेलियाई कप्तान मिचेल मार्श ने पहले बल्लेबाजी का फैसला लिया। यह फैसला पूरी तरह सही साबित हुआ क्योंकि टीम की सलामी जोड़ी ने साउथ अफ्रीका के गेंदबाजों को कोई मौका नहीं दिया। ट्रेविस हेड और मिचेल मार्श की जोड़ी ने पहले विकेट के लिए 34.1 ओवरों में 250 रन जोड़ डाले। हेड ने 103 गेंदों में 17 चौकों और 5 छक्कों की मदद से 142 रनों की लाजवाब पारी खेली। उन्होंने अपनी बल्लेबाजी से मैदान पर हर तरफ शॉट बिखेरे और साउथ अफ्रीकी गेंदबाजों को पूरी तरह असहाय बना दिया। वहीं कप्तान मिचेल मार्श ने भी शानदार अंदाज में बल्लेबाजी करते हुए 106 रनों की पारी खेली,जिसमें 6 चौके और 5 गगनचुंबी छक्के शामिल थे।
इस साझेदारी के टूटने के बाद भी ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजी की रफ्तार धीमी नहीं हुई। कैमरून ग्रीन और एलेक्स कैरी ने तीसरे विकेट के लिए 164 रनों की अटूट साझेदारी कर टीम को और मजबूती दी। ग्रीन ने महज 55 गेंदों पर नाबाद 118 रन जड़ते हुए साउथ अफ्रीकी गेंदबाजों की धज्जियाँ उड़ा दीं। इस पारी में उन्होंने 8 छक्के और 6 चौके लगाए। ग्रीन की पारी ने ऑस्ट्रेलिया के स्कोर को और ऊँचा कर दिया और अंत तक विपक्षी टीम पूरी तरह दबाव में आ गई। वहीं कैरी ने भी 37 गेंदों पर 50 रन बनाए,जिसमें 7 चौके शामिल थे।
पूरी ऑस्ट्रेलियाई टीम ने 50 ओवर में महज दो विकेट खोकर 431 रन का विशाल स्कोर खड़ा किया। यह लक्ष्य किसी भी टीम के लिए चुनौतीपूर्ण होता और साउथ अफ्रीका के लिए तो लगभग असंभव साबित हुआ। गेंदबाजी की बात करें तो विरोधी खेमे से केवल केशव महाराज और सेनुरन मुथुसामी ही एक-एक विकेट लेने में सफल रहे। बाकी गेंदबाजों की जमकर धुनाई हुई।
431 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी साउथ अफ्रीकी टीम शुरू से ही दबाव में दिखी। टीम ने 11 रन के स्कोर पर ही एडेन मार्करम का विकेट गंवा दिया,जो महज 2 रन बनाकर आउट हुए। इसके बाद विकेटों का पतझड़ जारी रहा और 8.1 ओवरों तक टीम ने केवल 50 रन के स्कोर पर चार विकेट खो दिए। बल्लेबाजी क्रम का यह बिखराव टीम की हार का संकेत बन चुका था।
हालाँकि,टोनी डी जॉर्जी और युवा बल्लेबाज डेवाल्ड ब्रेविस ने पाँचवें विकेट के लिए 57 रन की साझेदारी कर स्थिति संभालने की कोशिश की। जॉर्जी ने 33 रनों का योगदान दिया,लेकिन उनके आउट होते ही साउथ अफ्रीकी पारी फिर से लड़खड़ा गई। ब्रेविस ने 28 गेंदों पर 49 रन बनाए,जिसमें 5 छक्के और 2 चौके शामिल थे। उनकी पारी आक्रामक जरूर थी,लेकिन इतनी बड़ी चुनौती के सामने यह प्रयास नाकाफी साबित हुआ।
अंततः पूरी साउथ अफ्रीकी टीम 24.5 ओवरों में 155 रन पर सिमट गई। ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों ने अपनी धारदार गेंदबाजी से विपक्ष को पूरी तरह पस्त कर दिया। कूपर कोनोली इस मुकाबले के स्टार गेंदबाज रहे। उन्होंने 5 विकेट चटकाकर साउथ अफ्रीकी बल्लेबाजों को टिकने का कोई मौका नहीं दिया। जेवियर बार्टलेट और सीन एबॉट ने भी शानदार प्रदर्शन करते हुए दो-दो विकेट हासिल किए। इसके अलावा एडम जांपा ने एक सफलता अपने नाम की।
यह मुकाबला ऑस्ट्रेलिया के लिए सीरीज का समापन शानदार ढंग से करने वाला साबित हुआ। शुरुआती दो मैच हारने के बाद टीम का मनोबल गिरा हुआ था,लेकिन इस जीत ने उन्हें आत्मविश्वास लौटाया। वहीं,साउथ अफ्रीका के लिए यह हार निराशाजनक रही क्योंकि वे पहले ही सीरीज अपने नाम कर चुके थे और इस मैच में भी वे मजबूत चुनौती पेश करने में असफल रहे।
क्रिकेट प्रेमियों के लिए यह मैच यादगार बन गया क्योंकि इसमें जबरदस्त बल्लेबाजी और घातक गेंदबाजी दोनों देखने को मिलीं। ऑस्ट्रेलिया की जीत ने साबित कर दिया कि वे किसी भी परिस्थिति में वापसी कर सकते हैं। दूसरी ओर,साउथ अफ्रीका को अपनी कमजोरियों पर काम करने की जरूरत है,ताकि भविष्य में ऐसे बड़े अंतर की हार से बचा जा सके।
यह मुकाबला ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाजों और गेंदबाजों के बेहतरीन सामूहिक प्रदर्शन का उदाहरण रहा। टीम ने साबित कर दिया कि अगर उनके शीर्ष क्रम के बल्लेबाज लय में हों और गेंदबाज सही लाइन-लेंथ पर आक्रमण करें,तो उन्हें हराना आसान नहीं है। इस जीत के साथ ऑस्ट्रेलिया ने न केवल सीरीज में अपनी साख बचाई,बल्कि आने वाले मुकाबलों के लिए मजबूत संदेश भी दिया।