उत्तराखंड के चमोली में बादल फटने से मची तबाही (तस्वीर क्रेडिट@VCUKofficial)

उत्तराखंड के चमोली में बादल फटने से मची तबाही,मुख्यमंत्री धामी ने दिए राहत कार्य तेज करने के निर्देश

देहरादून,18 सितंबर (युआईटीवी)- उत्तराखंड का चमोली जिला एक बार फिर प्राकृतिक आपदा का शिकार हो गया है। बुधवार देर रात नंदानगर घाट क्षेत्र में बादल फटने और भारी बारिश की घटना ने पूरे इलाके में अफरा-तफरी मचा दी। इस भीषण आपदा ने न केवल घरों और संपत्तियों को नुकसान पहुँचाया है,बल्कि कई लोगों की जिंदगी भी खतरे में डाल दी है। स्थानीय प्रशासन के अनुसार,इस घटना में कुल 10 लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं,जिनकी तलाश के लिए राहत और बचाव अभियान जारी है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया और तुरंत राहत-बचाव कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि चमोली के नंदानगर घाट क्षेत्र में हुई अतिवृष्टि से आसपास के घरों को क्षति पहुँचने की दुखद जानकारी मिली है। मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि स्थानीय प्रशासन,एसडीआरएफ और पुलिस की टीमें तुरंत घटनास्थल पर पहुँच चुकी हैं और राहत एवं बचाव कार्यों में पूरी तत्परता से जुटी हुई हैं। धामी ने कहा कि वे लगातार प्रशासन से संपर्क में हैं और स्वयं स्थिति पर गहन नजर रखे हुए हैं। उन्होंने ईश्वर से सभी लोगों की सुरक्षा की प्रार्थना भी की।

इस बीच,भारतीय जनता पार्टी के सांसद अनिल बलूनी ने भी इस घटना और उत्तराखंड में लगातार हो रही भूस्खलन की घटनाओं पर गहरी चिंता जताई। उन्होंने बद्रीनाथ हाईवे पर हुए भूस्खलन का एक वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया, जिसमें आपदा की भयावहता साफ झलक रही थी। बलूनी ने लिखा कि इस वर्ष की भीषण अतिवृष्टि और भूस्खलन ने उत्तराखंड को इतने गहरे घाव दिए हैं,जिन्हें भरने में वर्षों लग जाएँगे। उन्होंने आपदा की इस घड़ी में एनडीआरएफ,एसडीआरएफ,पुलिस और प्रशासन के साथ-साथ उन कर्मचारियों की सराहना की,जो कठिन परिस्थितियों के बावजूद सड़कों से मलबा हटाने और लोगों की जान बचाने में जुटे हुए हैं। बलूनी ने बाबा केदारनाथ से प्रदेशवासियों की सुरक्षा,अच्छे स्वास्थ्य और खुशहाली की प्रार्थना की।

स्थानीय सूत्रों के अनुसार,नंदानगर में लापता लोगों की पहचान हो चुकी है। ग्राम कुंतरी लगा फाली के कुंवर सिंह (42 वर्ष),उनकी पत्नी कांता देवी (38 वर्ष),विकास, विशाल,नरेंद्र सिंह,जगदंबा प्रसाद,भागा देवी और देवेश्वरी देवी का अब तक कोई पता नहीं चल पाया है। वहीं,धुरमा गाँव से गुमान सिंह और ममता देवी भी लापता बताए जा रहे हैं। राहतकर्मियों की टीमें लगातार प्रभावित इलाकों में खोज अभियान चला रही हैं।

प्राकृतिक आपदाओं से जूझता उत्तराखंड पिछले कुछ महीनों से लगातार अतिवृष्टि और भूस्खलन की मार झेल रहा है। पहाड़ी क्षेत्रों में सड़कों का टूटना,मकानों का बह जाना और लोगों का सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन करना आम हो गया है। चमोली, रुद्रप्रयाग,उत्तरकाशी और पिथौरागढ़ जैसे जिलों में इस मानसून के दौरान कई बार बादल फटने और भूस्खलन की घटनाएँ सामने आई हैं। इस बार भी चमोली में हुई घटना ने लोगों की यादों में 2013 की भीषण आपदा की तस्वीरें ताजा कर दी हैं।

नंदानगर घाट क्षेत्र में बादल फटने के बाद कई घरों को भारी नुकसान पहुँचा है। ग्रामीणों के अनुसार,रात को अचानक तेज आवाज के साथ मलबा और पानी तेजी से गाँव की ओर बढ़ा। कई घरों में पानी और कीचड़ घुस गया,जिससे लोग सुरक्षित बाहर नहीं निकल पाए। प्रशासनिक अधिकारियों ने तुरंत इलाके का दौरा किया और बचाव कार्य शुरू कर दिया। फिलहाल,प्रभावित इलाकों को खाली कराया जा रहा है और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया जा रहा है।

उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति और लगातार बदलते मौसम की वजह से यहाँ प्राकृतिक आपदाओं का खतरा हमेशा बना रहता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अत्यधिक निर्माण कार्य और अनियंत्रित विकास भी इन आपदाओं को और भयावह बना रहे हैं। पहाड़ों पर भारी बारिश के कारण जमीन खिसक जाती है और नदियों का जलस्तर अचानक बढ़ जाता है,जिससे गाँवों और कस्बों में तबाही का मंजर पैदा हो जाता है।

मुख्यमंत्री धामी ने यह भी स्पष्ट किया है कि प्रभावित परिवारों को हर संभव मदद दी जाएगी। सरकार ने प्रशासन को निर्देश दिया है कि राहत कार्यों में किसी तरह की ढिलाई न बरती जाए और सभी लापता लोगों को खोजने में पूरी ताकत झोंकी जाए। इसके अलावा,मुआवजे और पुनर्वास की प्रक्रिया भी तेजी से शुरू करने की योजना बनाई जा रही है।

लोगों के बीच इस आपदा को लेकर भय और अनिश्चितता का माहौल है। ग्रामीणों का कहना है कि वे अब लगातार बारिश से डरे हुए हैं और रात को सोने से पहले उन्हें चिंता रहती है कि कहीं अगली सुबह कोई और हादसा न हो जाए। हालाँकि,राहत एजेंसियों की मौजूदगी ने लोगों को कुछ हद तक विश्वास दिलाया है कि प्रशासन उनके साथ खड़ा है।

इस आपदा ने एक बार फिर उत्तराखंड को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आपदा प्रबंधन को और सशक्त बनाने की जरूरत है। विशेषज्ञों का कहना है कि मौसम पूर्वानुमान को और सटीक बनाने और ग्रामीणों को समय पर अलर्ट देने की व्यवस्था को मजबूत करना बेहद जरूरी है। तभी ऐसी घटनाओं से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकेगा।

फिलहाल चमोली का नंदानगर घाट क्षेत्र मातम और चिंता के साए में है। लोग अपने प्रियजनों के सुरक्षित लौटने की दुआ कर रहे हैं। प्रशासनिक टीमें भी लगातार कोशिश कर रही हैं कि लापता लोगों का जल्द-से-जल्द पता लगाया जा सके। इस त्रासदी ने एक बार फिर दिखा दिया है कि उत्तराखंड प्राकृतिक आपदाओं के प्रति कितना संवेदनशील है और यहाँ आपदा प्रबंधन को मजबूत करने की कितनी आवश्यकता है।