ढाका विमान हादसा (तस्वीर क्रेडिट@sona__XX0)

बांग्लादेश एयरफोर्स विमान हादसे पर बीएचआरडब्ल्यू की स्वतंत्र जाँच की माँग,सरकार पर आरोपों के बीच पीड़ित परिवारों में आक्रोश

नई दिल्ली,24 जुलाई (युआईटीवी)- बांग्लादेश की राजधानी ढाका के दीआबारी स्थित माइलस्टोन स्कूल एंड कॉलेज में हुए एयरफोर्स के प्रशिक्षण विमान हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस दर्दनाक दुर्घटना में अब तक 32 लोगों की मौत हो चुकी है,जबकि 165 से अधिक लोग घायल बताए जा रहे हैं। घटना के बाद जहाँ देश में शोक की लहर है,वहीं बांग्लादेश मानवाधिकार वॉच (बीएचआरडब्ल्यू) ने इस हादसे की स्वतंत्र और निष्पक्ष जाँच की माँग उठाई है।

बीएचआरडब्ल्यू ने पीड़ित परिवारों और घायलों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए सरकार से तुरंत चिकित्सीय,मानसिक और आर्थिक सहायता मुहैया कराने की अपील की है। संगठन का कहना है कि इस दुर्घटना ने न केवल कई परिवारों को अपूरणीय क्षति पहुँचाई है,बल्कि देश की सुरक्षा व्यवस्था और सरकारी जवाबदेही पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। बीएचआरडब्ल्यू ने सरकार से माँग की है कि वह मृतकों और घायलों की सार्वजनिक रूप से सत्यापित सूची जल्द जारी करे,ताकि परिजनों को अपनों के बारे में सही जानकारी मिल सके और उन्हें भ्रम की स्थिति का सामना न करना पड़े।

बीएचआरडब्ल्यू के महासचिव मोहम्मद अली सिद्दीकी ने इस घटना को ‘राष्ट्रीय त्रासदी’ करार देते हुए कहा कि सरकार इस हादसे की भयावहता को छिपाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि कई मृतकों और घायलों की गिनती अब तक नहीं की गई है और सरकार वास्तविक आँकड़े सार्वजनिक करने से बच रही है। सिद्दीकी ने कहा, “यह हादसा ऐसे समय हुआ है,जब देश पहले से ही गोपालगंज जिले में सुरक्षा बलों द्वारा की गई हिंसा और दमन के कारण आक्रोशित है। अंतरिम सरकार आम जनता की जायज माँगों को अनदेखा कर हिंसा का सहारा ले रही है। यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं,बल्कि मानवता का मामला है। सरकार को इस त्रासदी को गंभीरता से लेना चाहिए और पीड़ितों के प्रति जवाबदेह होना चाहिए।”

बीएचआरडब्ल्यू ने सरकार पर यह भी आरोप लगाया कि वह घटना को राजनीतिक रंग देने से बचने के बजाय इसके तथ्यों को दबाने का प्रयास कर रही है। संगठन ने साफ कहा कि वह इस ‘अत्याचारी और कट्टर शासन’ के खिलाफ सच्चाई और न्याय की लड़ाई जारी रखेगा। संगठन ने अंतरिम प्रधानमंत्री डॉ. मुहम्मद यूनुस की सरकार से अपील की है कि वह इस घटना को राजनीति की दृष्टि से देखने के बजाय इसे एक मानव त्रासदी के रूप में देखे और दोषियों को सख्त सजा दिलाने की दिशा में कार्रवाई करे।

इसी बीच माइलस्टोन स्कूल एंड कॉलेज ने भी मृतकों,घायलों और लापता लोगों की सही पहचान और संख्या की पुष्टि के लिए एक सात सदस्यीय समिति का गठन किया है। इस समिति में स्कूल प्रशासन,शिक्षक,अभिभावक और छात्र प्रतिनिधि शामिल किए गए हैं। स्कूल प्रबंधन ने समिति को तीन कार्य दिवस के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं। माना जा रहा है कि इस रिपोर्ट से हादसे में मरने वालों और घायलों की संख्या को लेकर स्पष्ट जानकारी सामने आएगी।

दुर्घटना के प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार,यह हादसा अचानक हुआ और विमान स्कूल की इमारत से टकरा गया। इससे कई छात्र और स्टाफ गंभीर रूप से घायल हुए,जबकि कुछ की मौके पर ही मौत हो गई। घटना के बाद अफरा-तफरी मच गई और स्थानीय लोग बचाव कार्य में जुट गए। एयरफोर्स और बचावकर्मियों ने तत्काल राहत अभियान शुरू किया,लेकिन कई घायल अब भी गंभीर स्थिति में हैं और उन्हें ढाका के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।

मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि इस हादसे ने बांग्लादेश में सुरक्षा मानकों और एयरफोर्स के प्रशिक्षण प्रोटोकॉल पर भी सवाल खड़े किए हैं। बीएचआरडब्ल्यू की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि जब तक इस मामले की स्वतंत्र और निष्पक्ष जाँच नहीं की जाएगी,तब तक पीड़ित परिवारों को न्याय नहीं मिलेगा। संगठन ने यह भी कहा कि ऐसी घटनाएँ केवल तकनीकी चूक का नतीजा नहीं हो सकतीं, बल्कि इनसे जुड़ी प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार की भी जाँच होनी चाहिए।

हादसे के बाद बांग्लादेश में जनता का गुस्सा भी साफ तौर पर देखा जा सकता है। सोशल मीडिया पर कई लोग सरकार के रवैये की आलोचना कर रहे हैं और पारदर्शिता की माँग कर रहे हैं। नागरिक समाज और कई राजनीतिक दलों ने भी पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने और हादसे की गहन जाँच कराने की माँग उठाई है।

इस पूरे घटनाक्रम ने अंतरिम सरकार की विश्वसनीयता को भी चुनौती दी है। गोपालगंज की हिंसा और अब इस विमान हादसे ने आम लोगों के भीतर यह धारणा मजबूत कर दी है कि सरकार जनहित के मुद्दों को गंभीरता से नहीं ले रही। बीएचआरडब्ल्यू का कहना है कि यदि सरकार ने इस मामले को सही तरीके से नहीं संभाला तो जनता का विश्वास और कमजोर होगा।

फिलहाल सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि सरकार इस त्रासदी से निपटने के लिए आगे क्या कदम उठाती है। क्या स्वतंत्र जाँच की माँग मानी जाएगी और क्या पीड़ित परिवारों को समय पर सहायता मिलेगी,यह आने वाले दिनों में साफ होगा। लेकिन इतना तय है कि ढाका का यह हादसा न केवल बांग्लादेश के लिए एक गहरी मानवीय त्रासदी है,बल्कि इससे देश की राजनीतिक और सामाजिक स्थिरता पर भी गंभीर असर पड़ सकता है।