भारतीय क्रिकेटर(तस्वीर क्रेडिट@INDHKY)

बीसीसीआई ने अपनाया सख्त रुख,खिलाड़ियों के परिवार के साथ दौरे पर जाने पर लगाई रोक

नई दिल्ली,14 जनवरी (युआईटीवी)- भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने भारत के टेस्ट क्रिकेट में हाल के समय में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद सख्त रुख अपनाते हुए खिलाड़ियों के परिवार के साथ दौरे पर जाने पर रोक लगाने का फैसला किया है। हाल ही में खेले गए टेस्ट क्रिकेट में भारत का प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा है, जिसमें घरेलू मैदान पर न्यूजीलैंड के खिलाफ 0-3 से हार व ऑस्ट्रेलिया में खेले गए बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी सीरीज में 1-3 से हार शामिल है।

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने इस स्थिति से निपटने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। इनमें से एक अहम निर्णय खिलाड़ियों के परिवारों और पत्नियों को आगामी दौरे पर उनके साथ जाने से रोकना है। बीसीसीआई का मानना है कि इस फैसले से खिलाड़ियों का ध्यान बेहतर तरीके से केंद्रित होगा और उनका प्रदर्शन भी सुधरेगा।

मुंबई में शनिवार को एक समीक्षा बैठक में हुई,जिसमें यह निर्णय लिया गया। इस समीक्षा बैठक में बीसीसीआई के अधिकारी,मुख्य कोच गौतम गंभीर,मुख्य चयनकर्ता अजीत अगरकर और कप्तान रोहित शर्मा ने हिस्सा लिया। बैठक के दौरान इस बात पर चर्चा हुई कि खिलाड़ियों के परिवारों की मौजूदगी अक्सर उनका ध्यान भटका सकती है,खासकर जब वे विदेशी दौरे पर होते हैं,जो खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर नकारात्मक असर डाल सकती है।

कोविड-19 महामारी के दौरान लागू किए गए पुराने नियम को बीसीसीआई ने फिर से लागू करने का निर्णय लिया है,जिसके तहत दौरे के दौरान खिलाड़ियों के परिवारों को साथ आने की अनुमति नहीं होगी। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार,इस नए प्रतिबंध के तहत परिवार के सदस्य 45 दिनों से अधिक समय तक चलने वाली सीरीज या टूर्नामेंट के दौरान केवल 14 दिनों तक खिलाड़ियों के साथ रह सकते हैं। वहीं,छोटे दौरे के लिए यह सीमा घटाकर केवल सात दिन कर दिया गया है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि खिलाड़ियों का ध्यान सिर्फ खेल पर ही केंद्रित रहे और उन्हें परिवारों के साथ अधिक समय बिताने की अनुमति न हो।

इसके अलावा,बीसीसीआई ने यह भी घोषणा की है कि सभी खिलाड़ियों को हमेशा टीम के साथ यात्रा करनी होगी। इस नए नियम का उद्देश्य उन मामलों को नियंत्रित करना है, जहाँ कुछ खिलाड़ियों ने अलग-अलग यात्रा करने का विकल्प चुना था, जिससे टीम के सामंजस्य और अनुशासन में समस्या उत्पन्न हो रही थी। बोर्ड ने इसे टीम के एकजुटता और संगठनात्मक सिद्धांत के लिए हानिकारक माना है।

बीसीसीआई का मानना है कि यह बदलाव खिलाड़ियों के प्रदर्शन को बेहतर बनाने में मदद करेगा और टीम के बीच एकजुटता को बनाए रखेगा। इसके अतिरिक्त, यह कदम क्रिकेटरों को मानसिक रूप से भी मजबूत बनाएगा,क्योंकि वे अपने खेल पर अधिक ध्यान केंद्रित कर पाएँगे।

इस निर्णय से यह भी संकेत मिलता है कि बीसीसीआई अब क्रिकेट टीम की अनुशासनात्मक और मानसिक स्थिति को प्राथमिकता दे रहा है,ताकि भारतीय क्रिकेट की गुणवत्ता और प्रदर्शन में सुधार हो सके। यह बदलाव भविष्य में भारतीय क्रिकेट टीम को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में एक अहम कदम हो सकता है।