पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी (तस्वीर क्रेडिट@KunalGhoshAgain)

बंगाल सरकार का बड़ा फैसला: प्राइम टाइम का समय बदला,हर सिनेमा हॉल में अनिवार्य हुई बंगाली फिल्म

कोलकाता,14 अगस्त (युआईटीवी)- पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य में सिनेमाघरों और मल्टीप्लेक्सों में प्राइम टाइम के नियमों में अहम बदलाव करते हुए बंगाली फिल्मों को बढ़ावा देने के लिए नया आदेश जारी किया है। इस फैसले के तहत अब प्राइम टाइम का समय दोपहर 12 बजे से रात 9 बजे के बजाय दोपहर 3 बजे से रात 9 बजे तक होगा। इसके साथ ही,इस अवधि में राज्य के सभी सिनेमाघरों के लिए कम से कम एक बंगाली फिल्म दिखाना अनिवार्य कर दिया गया है। यह नियम मल्टीप्लेक्स पर भी लागू होगा,जहाँ हर स्क्रीन पर प्राइम टाइम के दौरान एक बंगाली फिल्म प्रदर्शित करनी होगी।

राज्य सरकार के इस निर्णय का मकसद स्थानीय भाषा की फिल्मों को बढ़ावा देना और बंगाली सिनेमा को दर्शकों तक अधिक पहुँच दिलाना है। आदेश में साफ तौर पर कहा गया है कि जो सिनेमाघर या मल्टीप्लेक्स इस नियम का पालन नहीं करेंगे,उनके खिलाफ राज्य सरकार कार्रवाई करेगी। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है,जब बंगाली फिल्म उद्योग लंबे समय से प्राइम टाइम में अधिक स्क्रीनिंग की माँग करता आ रहा था।

फेडरेशन ऑफ सिने टेक्नीशियन एंड वर्कर्स ऑफ ईस्टर्न इंडिया के अध्यक्ष स्वरूप बिस्वास ने इस निर्णय को ऐतिहासिक करार दिया। उन्होंने कहा, “हम पश्चिम बंगाल सरकार और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का आभार व्यक्त करते हैं,जिन्होंने यह ऐतिहासिक कदम उठाया है। पहले प्राइम टाइम दोपहर 12 बजे से रात 9 बजे तक था,जिसे अब बदलकर दोपहर 3 बजे से रात 9 बजे तक किया गया है। इसके अलावा,इस समय के दौरान हर सिनेमा हॉल को कम-से-कम एक बंगाली फिल्म दिखाना जरूरी होगा। यह बंगाली फिल्म इंडस्ट्री के लिए बहुत बड़ा प्रोत्साहन है।”

सिनेमा हॉल मालिक सुरंजन पाल ने भी सरकार के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा, “हमारे यहाँ तो वैसे भी अधिकतर बंगाली फिल्में ही चलाई जाती हैं,लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का यह निर्णय विशेष है,क्योंकि इससे यह सुनिश्चित होगा कि हर फिल्म को प्राइम टाइम शो में जगह मिले। यह कदम न केवल स्थानीय फिल्मों को बढ़ावा देगा,बल्कि दर्शकों के बीच उनकी पहुँच को भी मजबूत करेगा।”

बंगाली अभिनेत्री रितुपर्णा सेनगुप्ता,जो लंबे समय से बंगाली फिल्मों को प्राइम टाइम में उचित स्थान दिलाने की वकालत कर रही थीं,ने इस फैसले पर खुशी जताई। उन्होंने कहा, “यह एक बहुत अच्छा फैसला है। हम काफी समय से यह माँग कर रहे थे कि बंगाली फिल्मों को प्राइम टाइम शो में उचित समय दिया जाए। मैं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और बंगाल सरकार का आभार व्यक्त करती हूँ,जिन्होंने इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार किया और इस पर कार्रवाई की।”

बंगाल सरकार का यह फैसला बुधवार को कोलकाता के नंदन में आयोजित एक अहम बैठक के बाद लिया गया। इस बैठक में राज्य के दो वरिष्ठ मंत्री अरूप विश्वास और इंद्रनील सेन मौजूद थे। इनके साथ अभिनेत्री रितुपर्णा सेनगुप्ता,फेडरेशन ऑफ सिने टेक्नीशियन एंड वर्कर्स ऑफ ईस्टर्न इंडिया के अध्यक्ष,सिनेमा हॉल मालिक,फिल्म निर्देशक,डिस्ट्रीब्यूटर और फिल्म उद्योग से जुड़े अन्य प्रमुख लोग भी शामिल थे। बैठक में प्राइम टाइम के नए समय निर्धारण और बंगाली फिल्मों को बढ़ावा देने के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई।

स्थानीय फिल्म उद्योग से जुड़े जानकारों का कहना है कि इस फैसले का दूरगामी असर होगा। प्राइम टाइम,जिसे आम तौर पर सबसे अधिक दर्शक देखते हैं,में बंगाली फिल्मों की अनिवार्य स्क्रीनिंग से न केवल टिकट बिक्री बढ़ेगी बल्कि फिल्म निर्माताओं को भी अधिक प्रोत्साहन मिलेगा। यह कदम युवा निर्देशकों और नए कलाकारों के लिए भी एक बड़ा अवसर साबित हो सकता है,क्योंकि अब उनकी फिल्मों को दर्शकों तक पहुँचने के लिए एक मजबूत मंच मिलेगा।

इसके अलावा,विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय स्थानीय भाषा और संस्कृति को संरक्षित करने की दिशा में भी अहम भूमिका निभाएगा। आज के समय में,जब हिंदी और अँग्रेजी फिल्मों का दबदबा बढ़ता जा रहा है,क्षेत्रीय सिनेमा के लिए ऐसे नीतिगत समर्थन की जरूरत और भी बढ़ गई है। बंगाल सरकार का यह कदम न केवल उद्योग को मजबूती देगा बल्कि राज्य की सांस्कृतिक पहचान को भी सशक्त करेगा।

हालाँकि,कुछ सिनेमा हॉल मालिकों का मानना है कि इस नियम को लागू करने में व्यावहारिक चुनौतियाँ आ सकती हैं। खासकर मल्टीप्लेक्स में,जहाँ दर्शकों की पसंद विविध होती है,वहाँ हर स्क्रीन पर प्राइम टाइम में एक बंगाली फिल्म दिखाना हमेशा आसान नहीं होगा,लेकिन अधिकांश मालिक इस फैसले को सकारात्मक मानते हैं और मानते हैं कि समय के साथ दर्शक भी इस बदलाव को स्वीकार कर लेंगे।

पश्चिम बंगाल सरकार का यह नया आदेश बंगाली फिल्म उद्योग के लिए एक बड़ा प्रोत्साहन है। यह न केवल स्थानीय सिनेमा को आर्थिक रूप से मजबूत करेगा,बल्कि राज्य की सांस्कृतिक विरासत को भी नई ऊर्जा देगा। अब देखने वाली बात यह होगी कि इस फैसले का वास्तविक असर बॉक्स ऑफिस पर और दर्शकों की पसंद पर किस तरह पड़ता है। आने वाले महीनों में इसके नतीजे स्पष्ट हो जाएँगे,लेकिन फिलहाल फिल्म उद्योग और कलाकारों में इस फैसले को लेकर उत्साह और उम्मीद का माहौल है।