एर्नाकुलम,18 दिसंबर (युआईटीवी)- शुक्रवार सुबह एक भीषण विमान हादसा उस वक्त टल गया,जब जेद्दा से कोझिकोड जा रही एयर इंडिया एक्सप्रेस की फ्लाइट IX 398 ने कोचीन इंटरनेशनल एयरपोर्ट (सीआईएएल) पर सफलतापूर्वक इमरजेंसी लैंडिंग की। इस विमान में 160 यात्री और क्रू मेंबर्स सवार थे। तकनीकी खराबी की सूचना मिलते ही विमान को कोझिकोड की बजाय कोच्चि डायवर्ट किया गया,जहाँ कड़े सुरक्षा इंतजामों और प्रशिक्षित ग्राउंड स्टाफ की मदद से स्थिति को सँभाल लिया गया। हालाँकि,इस सुरक्षित लैंडिंग के बाद यात्रियों के अनुभव और आरोपों ने एयरलाइन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
सऊदी अरब के जेद्दा एयरपोर्ट से उड़ान भरने के कुछ ही समय बाद विमान के दाहिने मुख्य लैंडिंग गियर और टायरों में तकनीकी गड़बड़ी का संकेत मिला। पायलटों ने एहतियातन स्थिति का आकलन किया और एयर ट्रैफिक कंट्रोल से संपर्क साधा। तय किया गया कि विमान को कोच्चि ले जाया जाए,क्योंकि कोचीन इंटरनेशनल एयरपोर्ट को आपात स्थितियों से निपटने के लिए देश के सबसे सक्षम हवाई अड्डों में गिना जाता है। यहाँ उन्नत इमरजेंसी रिस्पॉन्स सिस्टम,प्रशिक्षित फायर-फाइटिंग यूनिट और मेडिकल टीमें चौबीसों घंटे तैयार रहती हैं।
जैसे ही डायवर्जन की पुष्टि हुई,कोचीन इंटरनेशनल एयरपोर्ट अथॉरिटी ने ‘फुल इमरजेंसी’ घोषित कर दी। रनवे के आसपास फायर ब्रिगेड की गाड़ियाँ,एंबुलेंस, मेडिकल स्टाफ और रेस्क्यू टीमें तैनात कर दी गईं। एयरपोर्ट परिसर में हर गतिविधि पर कड़ी निगरानी रखी गई। यात्रियों और अधिकारियों के लिए यह कुछ घंटे बेहद तनावपूर्ण रहे,क्योंकि किसी को यह स्पष्ट नहीं था कि विमान किस हालत में लैंड करेगा।
आखिरकार सुबह 09:07 बजे विमान ने रनवे को छुआ। लैंडिंग के दौरान तेज कंपन और जोरदार झटके महसूस किए गए,लेकिन पायलटों की सूझबूझ और ग्राउंड स्टाफ की तत्परता से विमान सुरक्षित रूप से रुक गया। जैसे ही विमान रुका,आपात सेवाओं ने तुरंत कार्रवाई शुरू की। तकनीकी टीमों ने विमान की जाँच की,जिसमें यह पुष्टि हुई कि दाहिनी ओर के मुख्य लैंडिंग गियर के दोनों टायर पूरी तरह फट चुके थे। यह खुलासा इस बात का संकेत था कि अगर स्थिति थोड़ी भी बिगड़ती,तो परिणाम बेहद गंभीर हो सकते थे।
हालाँकि,इस घटना में किसी यात्री या क्रू मेंबर के घायल होने की सूचना नहीं है,लेकिन विमान में सवार लोगों के लिए यह अनुभव किसी डरावने सपने से कम नहीं था। कई यात्रियों ने बताया कि लैंडिंग के समय उन्हें ऐसा महसूस हुआ जैसे विमान को जबरदस्ती जमीन पर घसीट कर रोका जा रहा हो। तेज आवाज,झटके और कंपन ने लोगों की सांसें थाम दी थीं। कुछ यात्रियों ने कहा कि वे पूरी तरह से सदमे में हैं और अभी भी उस पल को याद कर सिहर उठते हैं।
एयर इंडिया एक्सप्रेस के एक प्रवक्ता ने बाद में बयान जारी कर कहा कि प्रारंभिक जाँच में संदेह है कि जेद्दा से टेकऑफ के दौरान रनवे पर किसी बाहरी वस्तु की वजह से टायरों को नुकसान पहुँचा। प्रवक्ता के अनुसार,सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए पायलटों ने एहतियाती कदम के तौर पर विमान को कोच्चि डायवर्ट किया। एयरलाइन ने यात्रियों को हुई असुविधा के लिए खेद भी जताया और भरोसा दिलाया कि सभी ऑपरेशनल फैसले यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर लिए गए।
सुरक्षित लैंडिंग के बाद रनवे की गहन जाँच की गई। संभावित मलबा हटाया गया और यह सुनिश्चित किया गया कि रनवे दोबारा संचालन के लिए पूरी तरह सुरक्षित है। इसके बाद एयरपोर्ट पर लगाया गया इमरजेंसी अलर्ट हटा लिया गया और सामान्य उड़ान संचालन फिर से शुरू हो गया। एयरलाइन ने यह भी बताया कि सभी यात्रियों को उनके गंतव्य कोझिकोड तक पहुँचाने के लिए वैकल्पिक सड़क परिवहन की व्यवस्था की गई है।
हालाँकि,घटना के बाद यात्रियों की नाराजगी खुलकर सामने आई। कई यात्रियों ने आरोप लगाया कि टेकऑफ के तुरंत बाद ही विमान में तकनीकी खराबी के संकेत मिल गए थे,लेकिन इसके बावजूद एयरलाइन ने जेद्दा लौटने के बजाय उड़ान जारी रखने का फैसला किया। यात्रियों का कहना है कि अगर शुरुआत में ही विमान को वापस मोड़ दिया जाता,तो उन्हें घंटों तक मानसिक तनाव नहीं झेलना पड़ता।
कासरगोड के रहने वाले यात्री अरुण राज ने मीडिया से बातचीत में बताया कि टेकऑफ के दौरान ही उन्हें कुछ असामान्य महसूस हुआ था। उन्होंने क्रू मेंबर्स से सवाल भी किया,लेकिन उन्हें आश्वासन दिया गया कि सब कुछ सामान्य है। अरुण राज अपनी पत्नी और चार साल के बच्चे के साथ यात्रा कर रहे थे। उन्होंने आरोप लगाया कि एयरलाइन ने यात्रियों की जान जोखिम में डाल दी और जेद्दा लौटने से जुड़े भारी मेंटेनेंस खर्च से बचने के लिए कोच्चि तक उड़ान जारी रखने का फैसला किया।
अरुण राज ने लैंडिंग से पहले के पलों को याद करते हुए बताया कि जब यात्रियों को आखिरकार यह सूचना दी गई कि विमान कोझिकोड में नहीं,बल्कि कोच्चि में इमरजेंसी लैंडिंग करेगा,तब घबराहट चरम पर पहुँच गई। सुबह 09:07 बजे के उस पल को उन्होंने एक जोरदार झटके और कान फाड़ देने वाली आवाज के रूप में बयान किया। उनके अनुसार,यह अनुभव ऐसा था मानो बिना टायरों के किसी वाहन को जबरन रोकने की कोशिश की जा रही हो।
उन्होंने यह भी कहा कि उड़ान के शुरुआती घंटों में ज्यादातर यात्री सो रहे थे,लेकिन जो लोग जाग रहे थे,उन्होंने पाँच घंटे से ज्यादा समय तक अत्यधिक मानसिक पीड़ा और तनाव झेला। लैंडिंग के बाद जब तकनीकी जाँच में यह पुष्टि हुई कि दाहिनी ओर के दोनों टायर फट चुके थे,तो यात्रियों का डर और गुस्सा और बढ़ गया।
अरुण राज ने एयरलाइन की वैकल्पिक व्यवस्था पर भी सवाल उठाए। उन्होंने बताया कि कंपनी द्वारा उपलब्ध कराई गई बसों का इस्तेमाल करने के बजाय उन्होंने ट्रेन से घर लौटने का फैसला किया। उनका कहना था कि वे एयरलाइन के मैनेजमेंट के खिलाफ सार्वजनिक विरोध दर्ज कराएँगे,क्योंकि यह मामला सिर्फ एक उड़ान का नहीं,बल्कि यात्रियों की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि कई यात्री विकल्पों की कमी के कारण मजबूरी में एयर इंडिया एक्सप्रेस पर निर्भर रहते हैं।
इस बीच,एयर इंडिया एक्सप्रेस के प्रवक्ता के बयान में शुरुआती खराबी की संभावना को आंशिक रूप से स्वीकार किया गया। प्रवक्ता ने कहा कि जेद्दा से टेकऑफ के दौरान रनवे पर किसी बाहरी वस्तु के कारण टायर खराब होने का संदेह है और इसी कारण सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कोच्चि डायवर्जन किया गया। एयरलाइन ने दोहराया कि यात्रियों की सुरक्षा उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है और सभी फैसले उसी के अनुरूप लिए गए।
इस घटना के बाद विमानन सुरक्षा को लेकर एक बार फिर बहस तेज हो गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि पायलटों और कोचीन इंटरनेशनल एयरपोर्ट की इमरजेंसी टीम की तत्परता ने एक बड़ी त्रासदी को टाल दिया। अगर विमान किसी कम संसाधन वाले एयरपोर्ट पर उतरने की कोशिश करता या लैंडिंग के दौरान स्थिति बिगड़ जाती,तो नतीजे भयावह हो सकते थे।
फिलहाल,सभी 160 यात्री सुरक्षित हैं,लेकिन उनके मन में डर और अविश्वास की छाप गहरी है। कई यात्रियों का कहना है कि यह सिर्फ किस्मत थी कि वे इतने खतरनाक हालात के बाद भी सुरक्षित जमीन पर लौट आए। यह घटना न केवल एयरलाइन के लिए एक गंभीर चेतावनी है,बल्कि पूरे विमानन तंत्र के लिए यह याद दिलाने वाली है कि सुरक्षा से जुड़े फैसलों में किसी भी तरह की देरी या लापरवाही कितनी महँगी पड़ सकती है।
