ऑस्ट्रेलियाई पीएम एंथनी अल्बानी (तस्वीर क्रेडिट@sanjoychakra)

बोंडी बीच हमले पर नेतन्याहू के आरोप खारिज,ऑस्ट्रेलियाई पीएम अल्बनीज बोले—यह फिलिस्तीन मान्यता नहीं,आईएसआईएस से प्रेरित चरमपंथ का नतीजा

कैनबरा,23 दिसंबर (युआईटीवी)- ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के उस दावे को सिरे से खारिज कर दिया है,जिसमें सिडनी के बोंडी बीच पर हुए आतंकी हमले की वजह ऑस्ट्रेलिया द्वारा फिलिस्तीन को देश के रूप में मान्यता देने को बताया गया था। अल्बनीज ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह हमला किसी कूटनीतिक फैसले का परिणाम नहीं,बल्कि आईएसआईएस से प्रेरित एक विकृत और यहूदी-विरोधी चरमपंथी विचारधारा का नतीजा था। उन्होंने कहा कि तथ्यों को नजरअंदाज कर इस त्रासदी को राजनीतिक रंग देना न तो उचित है और न ही सच्चाई के करीब है।

गौरतलब है कि 14 दिसंबर 2025 को सिडनी के लोकप्रिय बोंडी बीच पर यहूदियों के पवित्र त्योहार हनुक्का के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान दो हमलावरों ने अंधाधुंध गोलीबारी कर दी थी। इस भयावह हमले में एक बच्चे सहित 15 लोगों की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हुए थे। इस घटना ने न केवल ऑस्ट्रेलिया, बल्कि पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया। घटना के कुछ ही घंटों बाद इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ऑस्ट्रेलियाई सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए इसके लिए उसकी नीतियों को जिम्मेदार ठहराया था।

नेतन्याहू ने 15 दिसंबर को जारी अपने बयान में कहा था कि ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने एंटी-सेमिटिज्म यानी यहूदी विरोधी भावनाओं को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया और फिलिस्तीन को मान्यता देकर उसने “आतंकवाद को इनाम” दिया। उनके मुताबिक,यही “कमजोरी और तुष्टिकरण” बोंडी बीच जैसे हमलों की वजह बनते हैं। नेतन्याहू ने यह भी कहा था कि ऑस्ट्रेलिया की नीतियाँ मजबूती के बजाय लगातार नरमी दिखा रही हैं,जिसका फायदा चरमपंथी उठा रहे हैं।

इन आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने सोमवार को,यानी बोंडी बीच त्रासदी के लगभग एक हफ्ते बाद,एक पत्रकार वार्ता में कहा कि वह इस तरह की किसी भी व्याख्या से सहमत नहीं हैं। उन्होंने दो टूक कहा कि फिलिस्तीन को मान्यता देने और इस हमले के बीच कोई संबंध नहीं है। अल्बनीज के अनुसार, यह हमला एक वैश्विक चरमपंथी विचारधारा से प्रेरित था,जिसका किसी भी राष्ट्र-राज्य की मान्यता से कोई लेना-देना नहीं है।

प्रधानमंत्री अल्बनीज ने कहा, “यह आईएसआईएस से प्रेरित हमला था। हम जानते हैं कि आईएसआईएस एक विचारधारा है,जो इस्लाम का एक विकृत रूप पेश करती है। इसका मूल उद्देश्य किसी देश की मान्यता या कूटनीतिक प्रक्रिया नहीं,बल्कि तथाकथित खिलाफत की स्थापना है।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस तरह की विचारधारा का असली इस्लाम से कोई संबंध नहीं है और यह दुनिया भर में नफरत और हिंसा फैलाने का काम करती है।

अल्बनीज ने बताया कि सोमवार सुबह अदालत द्वारा कुछ और विवरण सार्वजनिक किए जाने के बाद वह इस मुद्दे पर अधिक व्यापक प्रतिक्रिया देने की स्थिति में हैं। हालाँकि,उन्होंने यह भी कहा कि जाँच अभी जारी है और वह ऐसे किसी भी विवरण को साझा नहीं करना चाहते,जिससे जाँच प्रक्रिया प्रभावित हो। इसके बावजूद उन्होंने यह साफ कर दिया कि अब तक सामने आए सबूत इस ओर इशारा करते हैं कि हमला स्पष्ट रूप से यहूदी विरोधी था और इसकी जड़ें आईएसआईएस जैसी चरमपंथी सोच में थीं।

प्रधानमंत्री ने कहा, “यह एक चरमपंथी विचारधारा है,जो अपने लक्ष्य के रूप में एक खिलाफत चाहती है। अब हमारे पास सबूत हैं,जिनमें से कुछ सार्वजनिक हैं और कुछ अभी जाँच के दायरे में हैं। मैं उन जाँचों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहता,लेकिन यह बहुत स्पष्ट है कि यह हमला यहूदी विरोधी था।” उन्होंने आगे कहा कि इस तरह के चरमपंथी अपनी प्रेरणा को लेकर शर्मसार भी नहीं होते और खुले तौर पर नफरत फैलाते हैं।

अल्बनीज के मुताबिक,लोगों को भावनात्मक या राजनीतिक बयानों के बजाय तथ्यों पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी एक देश की विदेश नीति को दोष देना आसान हो सकता है,लेकिन इससे न तो पीड़ितों को न्याय मिलता है और न ही भविष्य में ऐसे हमलों को रोकने में मदद मिलती है।

इस हमले के बाद ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने कई सख्त कदमों की घोषणा की है। 16 दिसंबर को प्रधानमंत्री अल्बनीज ने बताया था कि सरकार हेट स्पीच और हिंसा भड़काने वालों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई करेगी। इसके तहत नाजी सैल्यूट पर प्रतिबंध लगाया जाएगा,यहूदी स्थलों और समुदायों की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त फंडिंग दी जाएगी और गन लॉ को और सख्त किया जाएगा। सरकार का कहना है कि इन कदमों का उद्देश्य किसी खास समुदाय को निशाना बनाना नहीं,बल्कि सभी ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि ऑस्ट्रेलिया ने सितंबर 2025 में फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता दी थी। यह फैसला दो-राज्य समाधान के समर्थन,गाजा में युद्धविराम और हमास द्वारा बंधकों की रिहाई के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों के तहत लिया गया था। ऑस्ट्रेलियाई सरकार का कहना है कि यह एक कूटनीतिक और मानवीय पहल थी,जिसे आतंकवाद से जोड़ना गलत और भ्रामक है।

बोंडी बीच हमला और उस पर अंतर्राष्ट्रीय नेताओं की प्रतिक्रियाएँ इस बात को उजागर करती हैं कि वैश्विक राजनीति और सुरक्षा मुद्दे किस तरह आपस में गुथे हुए हैं। हालाँकि,प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने यह साफ कर दिया है कि ऑस्ट्रेलिया इस त्रासदी से निपटने में तथ्यों,कानून और सामाजिक एकता के रास्ते पर ही चलेगा,न कि आरोप-प्रत्यारोप और राजनीतिक दबाव के आधार पर।