ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज (तस्वीर क्रेडिट@AlboMP)

बोंडी बीच आतंकी हमले पर ऑस्ट्रेलियाई पीएम एंथनी अल्बनीज ने माँगी माफी,यहूदी समुदाय की सुरक्षा को लेकर सख्त कदमों का ऐलान

कैनबरा,23 दिसंबर (युआईटीवी)- ऑस्ट्रेलिया के सिडनी स्थित बोंडी बीच पर यहूदी समुदाय को निशाना बनाकर किए गए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। यह हमला यहूदियों के पवित्र त्योहार हनुक्का के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान हुआ,जिसमें आतंकियों की गोलीबारी में 15 लोगों की जान चली गई। इस भयावह घटना के बाद ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए सार्वजनिक रूप से माफी माँगी और इस हमले की नैतिक जिम्मेदारी अपने ऊपर ली। उनके बयान ने न केवल देश में,बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी गहरी प्रतिक्रिया पैदा की है।

प्रधानमंत्री अल्बनीज ने अपने संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री के रूप में वह उस हिंसा और पीड़ा के लिए गहरी जिम्मेदारी महसूस करते हैं,जो उनके कार्यकाल के दौरान यहूदी समुदाय और पूरे ऑस्ट्रेलियाई समाज को झेलनी पड़ी। उन्होंने कहा कि यह हमला केवल यहूदी समुदाय पर नहीं,बल्कि ऑस्ट्रेलियाई मूल्यों,सहिष्णुता और सामाजिक एकता पर भी सीधा हमला है। उन्होंने दुख जताते हुए कहा कि देश ने ऐसी क्रूरता पहले भी देखी है,लेकिन इससे सीख लेना और दोबारा ऐसी घटनाओं को रोकना सरकार की जिम्मेदारी है।

प्रधानमंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि उनकी सरकार यहूदी ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर दिन काम करेगी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ऑस्ट्रेलियाई होने के नाते यहूदियों को यह अधिकार है कि वे गर्व के साथ अपनी पहचान बनाए रखें,अपने धर्म का पालन करें,अपने बच्चों को अपनी परंपराओं के अनुसार शिक्षित करें और समाज के हर क्षेत्र में पूरी तरह से भागीदारी निभाएँ। उन्होंने कहा कि किसी भी समुदाय को डर के साए में जीने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।

इस आतंकी हमले को लेकर पुलिस ने भी जाँच में नई जानकारियाँ साझा की हैं। अधिकारियों के अनुसार,हमला सुनियोजित था और इसके पीछे कट्टरपंथी विचारधारा से प्रेरित नेटवर्क की भूमिका की जाँच की जा रही है। पुलिस ने बताया कि हमले में शामिल एक आरोपी जीवित पकड़ा गया है,जिसे अदालत में पेश कर जेल भेज दिया गया है। सुरक्षा एजेंसियाँ अब यह पता लगाने में जुटी हैं कि क्या इस हमले के पीछे कोई बड़ा आतंकी या नफरत फैलाने वाला संगठन सक्रिय था।

प्रधानमंत्री अल्बनीज की माफी ऐसे समय में सामने आई है,जब इजरायल की ओर से ऑस्ट्रेलियाई सरकार पर पहले से मिली चेतावनियों को नजरअंदाज करने के आरोप लगाए जा रहे हैं। आलोचकों का कहना है कि अगर सुरक्षा इनपुट्स को गंभीरता से लिया गया होता,तो शायद इस हमले को रोका जा सकता था। हालाँकि,प्रधानमंत्री ने इन आरोपों के बीच हमले की जाँच के लिए नेशनल रॉयल कमीशन गठित न करने के अपने फैसले का बचाव किया है।

अल्बनीज ने कहा कि सरकार ने पूर्व ऑस्ट्रेलियाई स्पाई चीफ डेनिस रिचर्डसन की अगुवाई में एक फेडरल रिव्यू का समर्थन किया है,जो इस हमले और व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा करेगा। उनके मुताबिक,यह समीक्षा प्रक्रिया अपेक्षाकृत कम समय में ठोस और अमल योग्य नतीजे दे सकती है,जिससे सुरक्षा तंत्र को मजबूत किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य केवल जाँच कराना नहीं,बल्कि भविष्य में ऐसे हमलों को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाना है।

प्रधानमंत्री ने इस दौरान यह भी ऐलान किया कि सरकार हेट स्पीच से जुड़े कानूनों को और सख्त बनाने की दिशा में काम करेगी। उन्होंने कहा कि संरक्षित समुदायों के खिलाफ हिंसा भड़काने और नफरत फैलाने को आपराधिक कृत्य घोषित करने के लिए एक नए विधायी पैकेज पर व्यापक चर्चा शुरू की जाएगी। सरकार का मानना है कि मौजूदा कानूनों में बदलाव कर उन्हें और प्रभावी बनाना समय की माँग है।

ऑस्ट्रेलिया की अटॉर्नी-जनरल मिशेल रोलैंड ने कहा कि इस चर्चा में यहूदी समुदाय के प्रतिनिधियों के साथ करीबी संवाद शामिल होगा,ताकि नए प्रस्तावित अपराधों के ढाँचे को उनकी वास्तविक चिंताओं के अनुरूप तैयार किया जा सके। उन्होंने कहा कि कानून बनाते समय यह सुनिश्चित किया जाएगा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सामाजिक सुरक्षा के बीच संतुलन बना रहे।

वहीं,गृह मंत्री टोनी बर्क ने कहा कि सुरक्षा एजेंसियाँ उन समूहों के पिछले व्यवहार की भी गहन जाँच करेंगी,जिन पर नफरत फैलाने या हिंसा को बढ़ावा देने का संदेह है। उन्होंने संकेत दिए कि यदि आवश्यक हुआ तो सख्त कानूनों के तहत ऐसे संगठनों पर प्रतिबंध लगाने से भी सरकार पीछे नहीं हटेगी।

बोंडी बीच का यह आतंकी हमला ऑस्ट्रेलिया के लिए एक गंभीर चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है। प्रधानमंत्री की माफी और सरकार के सख्त रुख से यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि देश में नफरत और आतंक के लिए कोई जगह नहीं है। अब सबकी नजर इस बात पर है कि घोषित किए गए कदम कितनी तेजी और प्रभावशीलता के साथ जमीन पर लागू होते हैं,ताकि भविष्य में किसी भी समुदाय को इस तरह की हिंसा का सामना न करना पड़े।