कंबोडिया-थाईलैंड सीमा पर हिंसा तेज (तस्वीर क्रेडिट@zetacompa)

कंबोडिया-थाईलैंड सीमा पर हिंसा तेज,अब तक 9 कंबोडियाई नागरिकों की मौत,1.27 लाख से अधिक लोग विस्थापित

बैंकॉक,11 दिसंबर (युआईटीवी)- कंबोडिया और थाईलैंड के बीच सीमा पर पिछले चार दिनों से जारी संघर्ष ने एक गंभीर मानवीय और सुरक्षा संकट का रूप ले लिया है। दोनों देशों के बीच रविवार दोपहर से भड़की हिंसा में अब तक 9 कंबोडियाई नागरिकों की मौत हो चुकी है,जबकि 46 अन्य घायल बताए जा रहे हैं। बढ़ते तनाव के बीच कंबोडिया के सूचना मंत्री नेथ फेएक्ट्रा ने बुधवार को जानकारी दी कि लड़ाई तेज होने के कारण 1.27 लाख से अधिक कंबोडियाई नागरिक अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित इलाकों की ओर पलायन कर रहे हैं। यह पलायन अचानक और बड़े पैमाने पर होने के कारण स्थानीय प्रशासन और राहत एजेंसियों के लिए एक नई चुनौती खड़ी कर रहा है।

कंबोडिया के रक्षा मंत्रालय ने दावा किया है कि बुधवार दोपहर थाई सेना ने बांतेय मेंचेई प्रांत स्थित एक प्राथमिक विद्यालय पर दो गोले दागे,जिससे इलाके में भारी दहशत फैल गई। मंत्रालय के अनुसार,हमले में स्कूल को गंभीर रूप से नुकसान पहुँचा और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में भी खतरा बढ़ गया है। वहीं दूसरी ओर थाई सेना ने भी अपनी सुरक्षा चिंताओं को देखते हुए सख्त कदम उठाए हैं। थाईलैंड के सा काओ प्रांत के चार सीमा जिलों में तत्काल कर्फ्यू लागू कर दिया गया है। इस कर्फ्यू के तहत शाम 7 बजे से सुबह 5 बजे तक लोगों को घरों से बाहर निकलने की अनुमति नहीं है। थाई अधिकारियों के अनुसार,यह फैसला नागरिकों की सुरक्षा और संभावित हमलों से बचाव के लिए लिया गया है।

थाई विदेश मंत्रालय ने भी अपने नागरिकों के लिए यात्रा सलाह जारी की है,जिसमें कंबोडिया में रहने वाले थाई नागरिकों को तत्काल देश छोड़ने की सलाह दी गई है। मंत्रालय ने कहा है कि जो लोग बिना जरूरी काम के कंबोडिया में मौजूद हैं,वे जल्द-से-जल्द सुरक्षित तरीके से वापस लौट आएँ और फिलहाल कंबोडिया की यात्रा से बचें। मंत्रालय के अनुमान के मुताबिक,इस समय कंबोडिया में लगभग 600 से 1,200 थाई नागरिक मौजूद हैं,जिनकी सुरक्षा को लेकर चिंताएँ गहरी हो गई हैं।

सीमा संघर्ष के पीछे की वजहों को लेकर दोनों देशों में बेहद तीखा आरोप-प्रत्यारोप जारी है। कंबोडिया और थाईलैंड दोनों ही एक-दूसरे पर संघर्ष की शुरुआत करने का आरोप लगा रहे हैं। दोनों ही पक्ष हताहतों की पुष्टि करते हुए खुद को बचाव की स्थिति में होने का दावा कर रहे हैं। इन आरोपों और प्रत्यारोपों के चलते तनाव कम होने के बजाय लगातार बढ़ता जा रहा है और हिंसा थमने का कोई स्पष्ट संकेत नहीं दिख रहा।

कंबोडियाई रक्षा मंत्रालय की प्रवक्ता लेफ्टिनेंट जनरल माली सोचेता ने बुधवार को बताया कि संघर्ष अब चौथे दिन में प्रवेश कर चुका है और इसका सबसे ज्यादा प्रभाव सीमा से लगे गाँवों पर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि 1 लाख से अधिक कंबोडियाई ग्रामीण अपनी जान बचाने के लिए घरों को छोड़ने को मजबूर हुए हैं। विस्थापित लोगों में बड़ी संख्या शिशुओं,छोटे बच्चों,गर्भवती महिलाओं,बुजुर्गों और दिव्यांग लोगों की है,जिनके लिए अस्थायी शरणस्थलों में पर्याप्त सुविधाओं का अभाव एक बड़ा संकट बनता जा रहा है।

सोचेता ने यह भी आरोप लगाया कि थाई सेना ने संघर्ष के दौरान एफ-16 लड़ाकू विमानों,आर्टिलरी और भारी हथियारों का इस्तेमाल किया है। उनके अनुसार,रविवार दोपहर से बुधवार सुबह तक थाई सेना ने कंबोडियाई सैन्य ठिकानों और कई नागरिक क्षेत्रों को निशाना बनाया है। उन्होंने कहा कि ऐसे हमले अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानूनों और पड़ोसी देशों के बीच शांति बनाए रखने के सिद्धांतों का उल्लंघन करते हैं। कंबोडियाई अधिकारियों का कहना है कि संघर्ष को बढ़ावा देने के बजाय उसे नियंत्रित किया जाना चाहिए,लेकिन थाई सेना की ओर से भारी हथियारों और सैन्य संसाधनों का उपयोग संघर्ष को और खतरनाक बना रहा है।

उधर थाईलैंड ने कंबोडिया के इन आरोपों को खारिज करते हुए दावा किया है कि उन्हें अपनी सीमा और नागरिकों की सुरक्षा के लिए जवाबी कार्रवाई करनी पड़ी। थाई अधिकारियों का कहना है कि कंबोडियाई सेना की ओर से पहले फायरिंग की गई थी,जिसके बाद थाई सेना ने आत्मरक्षा में कार्रवाई की। हालाँकि,दोनों देशों के आधिकारिक बयानों में जारी विरोधाभास यह साफ करता है कि स्थिति बेहद जटिल है और किसी भी स्तर पर भरोसे की कमी लगातार बढ़ रही है।

इस संघर्ष का प्रभाव सिर्फ सैन्य स्तर तक सीमित नहीं है,बल्कि यह मानवीय संकट का रूप भी ले चुका है। हजारों लोग अपने घरों से बेघर होकर अस्थायी शिविरों में पहुँच रहे हैं,जहाँ भोजन,दवाइयों,साफ पानी और रहने की जगह जैसी बुनियादी सुविधाएँ भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हैं। राहत एजेंसियों के अनुसार,यदि संघर्ष जारी रहा तो विस्थापितों की संख्या और बढ़ सकती है।

कंबोडिया और थाईलैंड की सरकारों पर अब अंतर्राष्ट्रीय दबाव बढ़ रहा है कि वे जल्द-से-जल्द बातचीत के माध्यम से स्थिति को शांत करें। क्षेत्रीय स्थिरता और नागरिकों की सुरक्षा के लिए यह आवश्यक है कि दोनों देश तनाव कम करें और सीमावर्ती इलाकों में शांति बहाली के लिए ठोस कदम उठाएँ। फिलहाल,सीमा पर हालात बेहद तनावपूर्ण बने हुए हैं और दुनिया की नजरें इस संघर्ष पर टिकी हैं कि आगे क्या मोड़ आता है।