ब्रासीलिया,24 दिसंबर (युआईटीवी)- भारत और ब्राजील के द्विपक्षीय संबंध आने वाले महीनों में नई ऊँचाइयों को छू सकते हैं। शीर्ष कूटनीतिक सूत्रों के अनुसार,ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा अगले वर्ष की शुरुआत में भारत के आधिकारिक दौरे पर आ सकते हैं। यह यात्रा जनवरी के अंत या फरवरी 2026 की शुरुआत में संभावित मानी जा रही है,हालाँकि इसकी आधिकारिक पुष्टि अभी शेष है। प्रस्तावित दौरे को दोनों देशों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जा रहा है,क्योंकि यह ऐसे समय पर हो रहा है जब वैश्विक स्तर पर आर्थिक अनिश्चितताएँ,भू-राजनीतिक तनाव और विकासशील देशों की चुनौतियाँ अंतर्राष्ट्रीय एजेंडा के केंद्र में हैं।
सूत्रों के अनुसार,इस यात्रा का प्रमुख उद्देश्य भारत और ब्राजील के बीच बहुआयामी सहयोग को मजबूत करना होगा। दोनों पक्ष व्यापार,निवेश,रक्षा सहयोग,ऊर्जा,कृषि और प्रौद्योगिकी जैसे अहम क्षेत्रों में साझेदारी को और गहरा करने पर चर्चा कर सकते हैं। विशेष रूप से,ऊर्जा सुरक्षा,हरित प्रौद्योगिकी और सतत विकास से जुड़े विषयों पर व्यापक वार्ता की संभावना जताई जा रही है,क्योंकि दोनों ही देश जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने के पक्षधर रहे हैं।
एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक,भारत और ब्राजील अपनी मौजूदा रणनीतिक साझेदारी को नए सिरे से परिभाषित करने और इसे अधिक परिणामोन्मुख बनाने के तरीकों पर भी विचार कर सकते हैं। दोनों देशों के बीच रणनीतिक संवाद कोई नया तत्व नहीं है,लेकिन बदलते अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य में इसकी प्रासंगिकता पहले से ज्यादा बढ़ चुकी है। यह दौरा इस बात का संकेत हो सकता है कि दिल्ली और ब्रासीलिया अपने संबंधों को केवल पारंपरिक सहयोग तक सीमित नहीं रखना चाहते,बल्कि उन्हें वैश्विक नेतृत्व और बहुपक्षीय मंचों पर साझा आवाज के रूप में विकसित करना चाहते हैं।
भारत और ब्राजील ब्रिक्स और जी20 जैसे प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर लंबे समय से करीबी साझेदार रहे हैं। इन समूहों के जरिए दोनों देश विकासशील और उभरती अर्थव्यवस्थाओं के हितों की पैरवी करते हैं। प्रस्तावित दौरे के दौरान वैश्विक आर्थिक मुद्दे, विकासशील देशों के कर्ज संकट,तकनीकी साझाकरण और बहुपक्षीय संस्थाओं के सुधार जैसे विषय प्रमुख रूप से चर्चा के केंद्र में रह सकते हैं। यह भी उम्मीद की जा रही है कि दक्षिण-दक्षिण सहयोग को मजबूत करने और विकासशील देशों के बीच संसाधनों तथा तकनीक के न्यायसंगत बँटवारे पर भी दोनों नेता अपने विचार साझा करेंगे।
हालाँकि,यात्रा की आधिकारिक तारीखों की घोषणा अभी नहीं हुई है,लेकिन राजनयिक हलकों में इसे द्विपक्षीय संबंधों के लिए एक स्वाभाविक और सकारात्मक कदम के रूप में देखा जा रहा है। पिछले महीने दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति लूला की मुलाकात हुई थी। इस मुलाकात ने दोनों देशों के बीच बढ़ते विश्वास और निरंतर हो रही प्रगति को एक बार फिर रेखांकित किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति लूला के साथ अपनी तस्वीर सोशल मीडिया पर साझा करते हुए लिखा था कि उनसे मुलाकात हमेशा सुखद रहती है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत और ब्राजील अपने नागरिकों के लाभ के लिए व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए मिलकर काम करते रहेंगे। मोदी के इस संदेश ने यह स्पष्ट संकेत दिया कि दोनों सरकारें अपने संबंधों को केवल औपचारिक कूटनीतिक संवाद तक सीमित नहीं रखना चाहतीं,बल्कि उन्हें लोगों के जीवन से सीधे जुड़ी पहल के रूप में विकसित करने की इच्छुक हैं।
दोनों नेताओं की हालिया बातचीत ने इस वर्ष की शुरुआत में प्रधानमंत्री मोदी की ब्राजील यात्रा के दौरान हासिल प्रगति को भी नई मान्यता दी। जुलाई में रियो डी जनेरियो में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रासीलिया का दौरा किया था,जहाँ उनकी राष्ट्रपति लूला के साथ विस्तृत चर्चा हुई। उस दौरान भी दोनों पक्षों ने भारत-ब्राजील रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करने की साझा प्रतिबद्धता दोहराई थी।
विशेषज्ञ मानते हैं कि लूला का संभावित भारत दौरा केवल प्रतीकात्मक नहीं होगा। यह निवेश बढ़ाने,व्यापार संतुलन सुधारने और उभरते क्षेत्रों में संयुक्त परियोजनाओं को आगे बढ़ाने का अवसर प्रदान कर सकता है। कृषि क्षेत्र में ब्राजील की विशेषज्ञता और तकनीकी नवाचार,साथ ही भारत की फार्मा,आईटी और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में बढ़त—दोनों देशों के लिए नए अवसर खोल सकती हैं। साथ ही रक्षा सहयोग और सुरक्षा साझेदारी के पहलू पर भी नई चर्चा हो सकती है,खासकर समुद्री सुरक्षा और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की स्थिरता के संदर्भ में।
यदि यह यात्रा तय कार्यक्रम के अनुसार होती है,तो यह भारत और ब्राजील के संबंधों के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकती है। इससे न केवल दोनों देशों के बीच विश्वास और साझेदारी का दायरा बढ़ेगा,बल्कि अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर उनकी संयुक्त आवाज को भी मजबूती मिलेगी। आधिकारिक पुष्टि का इंतजार जरूर है,लेकिन संकेत यही हैं कि आने वाला वर्ष भारत-ब्राजील संबंधों के लिए नई संभावनाओं और व्यापक सहयोग का गवाह बन सकता है।
