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केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, तीसरे पक्ष के बनाए कोविड टीके, मौतों के लिए सरकार जिम्मेदार नहीं

नई दिल्ली, 29 नवंबर (युआईटीवी/आईएएनएस)| केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि कोविड टीकाकरण कार्यक्रम के तहत इस्तेमाल किए जा रहे टीकों का निर्माण तीसरे पक्ष द्वारा किया जाता है और उन्हें सुरक्षित और प्रभावी माना जाता है, इसलिए तीसरे पक्ष के बनाए कोविड टीके और उससे मौतों के लिए सरकार को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। केंद्र ने इस बात पर भी जोर दिया कि कोविड-19 का टीका लगवाने की कोई कानूनी बाध्यता नहीं है।

केंद्र की यह प्रतिक्रिया दो लड़कियों के माता-पिता द्वारा दायर याचिका पर आई है, जिनकी कोविड वैक्सीन के दुष्प्रभाव के कारण मौत हो गई थी।

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने एक हलफनामे में कहा, “यह सुझाव देने के लिए कोई तथ्य नहीं है कि याचिकाकर्ताओं के संबंधित बच्चों की दुखद मौत के लिए राज्य को कैसे सख्त दायित्व के साथ बांधा जा सकता है। संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत राज्य के खिलाफ मुआवजे के दावे के लिए एक कानून जरूरी है।”

मंत्रालय ने कहा कि टीकाकरण कार्यक्रम के तहत उपयोग में आने वाले टीकों का निर्माण तीसरे पक्ष द्वारा किया जाता है और भारत के साथ-साथ अन्य देशों में सफलतापूर्वक विनियामक समीक्षा की जाती है, जिसे विश्व स्तर पर सुरक्षित और प्रभावी माना जाता है।

मंत्रालय ने कहा, “इन तथ्यों के तहत, यह विनम्रतापूर्वक प्रस्तुत किया गया है कि टीकों के उपयोग से एईएफआई (प्रतिकूल घटनाओं के बाद टीकाकरण) के कारण होने वाली अत्यंत दुर्लभ मौतों के लिए सख्त दायित्व के संकीर्ण दायरे के तहत मुआवजा प्रदान करने के लिए राज्य को सीधे तौर पर उत्तरदायी ठहराना कानूनी रूप से टिकाऊ नहीं हो सकता।”

स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति एईएफआई से शारीरिक चोट या मौत का शिकार होता है, तो कानून में उचित उपाय टीके लाभार्थियों या उनके परिवार के लिए खुले हैं, जिसमें लापरवाही, दुर्भावना या गलत व्यवहार के लिए मुआवजे के दावे के लिए दीवानी अदालतों में जाना शामिल है।

इस तरह के दावों को केस-टू-केस के आधार पर एक उपयुक्त मंच पर निर्धारित किया जा सकता है। इसने कहा कि मौतें दुखद थीं, लेकिन सरकार को उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता था।

23 नवंबर को दायर हलफनामे में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि हालांकि सरकार जनहित में सभी पात्र व्यक्तियों को टीका लेने के लिए दृढ़ता से प्रोत्साहित करती है, लेकिन इसके लिए कोई कानूनी बाध्यता नहीं है।

सरकार की प्रतिक्रिया दो लड़कियों के माता-पिता द्वारा दायर एक याचिका पर आई, जिसका प्रतिनिधित्व वकील सत्य मित्रा ने किया था, जो कोविड वैक्सीन के साइड-इफेक्ट्स के कारण निधन हो गया था।

शीर्ष अदालत ने अगस्त में माता-पिता की याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया था, जिसमें समयबद्ध तरीके से ऑटोप्सी और जांच रिपोर्ट जारी करने के साथ-साथ मौतों की एक स्वतंत्र समिति द्वारा जांच की मांग की गई थी। याचिकाकर्ताओं ने मौद्रिक मुआवजे और कोविड टीकों के प्रतिकूल दुष्प्रभावों से पीड़ित व्यक्तियों का शीघ्र पता लगाने और उपचार के लिए दिशा-निर्देशों की भी मांग की।

याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि पहले याचिकाकर्ता की 18 वर्षीय बेटी को मई 2021 में कोविशील्ड की पहली खुराक मिली और जून 2021 में उसकी मौत हो गई। दूसरे याचिकाकर्ता की 20 वर्षीय बेटी को कोविशील्ड की पहली खुराक जून 2021 में मिली और जुलाई 2021 में उसकी मौत हो गई।

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