केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव

केंद्र ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम में बड़ा बदलाव किया,डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सख्त कंटेंट नियंत्रण गाइडलाइन 15 नवंबर से होंगे लागू

नई दिल्ली,23 अक्टूबर (युआईटीवी)- केंद्र सरकार ने बुधवार को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (आईटी एक्ट) 2000 में अहम संशोधन की घोषणा की है। इस बदलाव के तहत इंटरमीडियरी गाइडलाइंस और डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड 2021 में बड़े बदलाव किए गए हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा जारी नई अधिसूचना के अनुसार ये संशोधन 15 नवंबर 2025 से प्रभावी होंगे। इस कदम को देश की संप्रभुता,अखंडता,राज्य की सुरक्षा,सार्वजनिक व्यवस्था और शालीनता से जुड़े ऑनलाइन कंटेंट पर नियंत्रण को और कड़ा करने के उद्देश्य से उठाया गया है।

नई अधिसूचना के अनुसार,आईटी रूल्स 2021 के रूल 3(1)(डी) को पूरी तरह से बदल दिया गया है। अब किसी भी इंटरमीडियरी प्लेटफॉर्म—चाहे वह सोशल मीडिया हो,वेबसाइट हो या कोई ऑनलाइन सर्विस प्रोवाइडर पर यदि कोई ऐसी जानकारी, फोटो,वीडियो या अन्य डिजिटल कंटेंट मौजूद है,जो किसी भी कानून के तहत निषिद्ध है,तो उस प्लेटफॉर्म को इसे हटाने का निर्देश मिलेगा। नई गाइडलाइंस में यह तय किया गया है कि अगर किसी इंटरमीडियरी को यह वास्तविक जानकारी मिलती है कि उनके प्लेटफॉर्म पर गैरकानूनी या प्रतिबंधित सामग्री है,तो उसे 36 घंटे के भीतर उस कंटेंट को हटाना होगा।

सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि ‘वास्तविक जानकारी’ केवल दो ही स्थितियों में मान्य होगी। पहली स्थिति में यह सूचना किसी सक्षम न्यायालय के आदेश से मिले। दूसरी स्थिति में यह सूचना सरकार या उसकी किसी अधिकृत एजेंसी के वरिष्ठ अधिकारी द्वारा लिखित रूप में जारी की जाएगी। इस लिखित सूचना को केवल वही अधिकारी दे सकता है,जो संयुक्त सचिव या उसके समकक्ष पद पर नियुक्त हो। यदि राज्य सरकार की ओर से सूचना जारी की जा रही है,तो अधिकारी का पद डायरेक्टर या समकक्ष होना चाहिए।

इसके अलावा,यदि यह सूचना पुलिस प्रशासन की ओर से दी जा रही है,तो अधिकारी का पद उप पुलिस महानिरीक्षक या उससे ऊपर होना आवश्यक है। साथ ही,उसे राज्य सरकार द्वारा विशेष रूप से इस उद्देश्य के लिए अधिकृत किया गया होना चाहिए। सरकार ने यह भी निर्देश दिया है कि सभी लिखित सूचनाओं की हर महीने समीक्षा की जाएगी। यह समीक्षा संबंधित विभाग के सचिव स्तर के अधिकारी द्वारा की जाएगी,ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी आदेश आवश्यक,संतुलित और कानून की भावना के अनुरूप हैं।

नई गाइडलाइंस में यह भी स्पष्ट किया गया है कि किसी भी लिखित सूचना में सटीक विवरण होना अनिवार्य होगा। इसमें यह बताया जाएगा कि किस कानूनी आधार और अधिनियम की धारा के तहत कार्रवाई की जा रही है,किस प्रकार का अवैध कार्य हुआ है और किस यूआरएल या डिजिटल लिंक को हटाना या ब्लॉक करना है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म पर कार्रवाई करते समय पूरी पारदर्शिता और कानूनी स्पष्टता बनी रहे।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम सरकार की ओर से ऑनलाइन कंटेंट पर निगरानी और नियंत्रण को और प्रभावी बनाने के प्रयास का हिस्सा है। पिछले कुछ वर्षों में सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर फेक न्यूज,अवैध सामग्री और संवेदनशील जानकारी के फैलने की घटनाओं में वृद्धि देखी गई है। इसके चलते सरकार ने यह कदम उठाया है,ताकि ऐसे कंटेंट को तेजी से हटाया जा सके और डिजिटल माध्यमों में अनुशासन कायम रहे।

केंद्रीय अधिकारियों का कहना है कि इस संशोधन का उद्देश्य प्लेटफॉर्म और उपयोगकर्ताओं दोनों के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश बनाना है। अब इंटरनेट कंपनियों को यह पता होगा कि किस तरह की सामग्री अवैध मानी जाएगी और इसके लिए उन्हें कितने समय में कार्रवाई करनी होगी। इसके साथ ही,सरकारी और न्यायिक आदेशों की समीक्षा का प्रावधान यह सुनिश्चित करेगा कि किसी भी प्लेटफॉर्म पर किए जाने वाले कार्रवाई निर्णय अनुचित या अत्यधिक दमनकारी न हों।

विश्लेषकों का कहना है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म को 36 घंटे का समय देना एक महत्वपूर्ण बदलाव है। इससे इंटरनेट पर अवैध या गैरकानूनी सामग्री के तेजी से हटाने की प्रक्रिया सुसंगठित होगी और आम जनता तक इसका सकारात्मक असर पहुँचेगा। हालाँकि,कई आईटी और इंटरनेट विशेषज्ञों ने यह चिंता भी जताई है कि इतनी तेज़ समय सीमा में कार्रवाई करना कुछ प्लेटफॉर्म के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है,खासकर छोटे या मध्य आकार के डिजिटल व्यवसायों के लिए।

सरकार की ओर से जारी अधिसूचना यह सुनिश्चित करती है कि सभी डिजिटल प्लेटफॉर्म राष्ट्रीय सुरक्षा,सार्वजनिक व्यवस्था और कानून के अनुरूप कार्य करें। इसके साथ ही यह भी निर्देशित किया गया है कि कोई भी आदेश तभी मान्य होगा जब वह सार्वजनिक और कानूनी दृष्टि से उचित हो। यह कदम डिजिटल मीडिया की दुनिया में जिम्मेदारी और पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा प्रयास माना जा रहा है।

15 नवंबर से लागू होने वाले इन नए नियमों से भारत में डिजिटल मीडिया और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर निगरानी और नियंत्रण का नया युग शुरू होने जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह परिवर्तन न केवल इंटरनेट कंपनियों के लिए जिम्मेदारी तय करेगा,बल्कि आम उपयोगकर्ताओं के लिए भी यह स्पष्ट संकेत देगा कि गैरकानूनी या संवेदनशील सामग्री के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाएगी। इस बदलाव के साथ डिजिटल मीडिया पर नियम और एथिक्स को और सख्ती से लागू करने की दिशा में सरकार ने ठोस कदम उठाया है।