शी चिनफिंग और मार्क कार्नी (तस्वीर क्रेडिट@rajnathsingh)

चीन और कनाडा संबंधों में नई शुरुआत की पहल: शी चिनफिंग और मार्क कार्नी की बैठक से द्विपक्षीय सहयोग को मिली नई दिशा

बीजिंग,1 नवंबर (युआईटीवी)- दक्षिण कोरिया के ग्योंगजू में आयोजित 32वीं एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (एपेक) नेताओं की बैठक के दौरान चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के बीच हुई मुलाकात ने दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों में नई ऊर्जा का संचार किया है। यह बैठक ऐसे समय में हुई,जब चीन और कनाडा अपने राजनयिक संबंधों की 55वीं वर्षगांठ तथा रणनीतिक साझेदारी की 20वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। दोनों नेताओं के बीच हुई यह बातचीत द्विपक्षीय संबंधों में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है,जो बीते कुछ वर्षों से राजनीतिक तनाव और कूटनीतिक मतभेदों के कारण ठहराव की स्थिति में थे।

राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने बैठक के दौरान कहा कि बीते कुछ वर्षों में चीन और कनाडा के साझा प्रयासों से संबंधों में धीरे-धीरे सुधार और सकारात्मक विकास की प्रवृत्ति देखने को मिली है। उन्होंने कहा कि यह प्रवृत्ति दोनों देशों और उनकी जनता के हित में है। शी ने कनाडा सरकार की उस नीति की सराहना की जिसमें उसने व्यावहारिक और रचनात्मक दृष्टिकोण अपनाकर संबंधों को सुधारने और आगे बढ़ाने की इच्छा व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि चीन इस बैठक को एक “अवसर” के रूप में लेकर चीन-कनाडा संबंधों को फिर से स्वस्थ,स्थिर और सतत मार्ग पर लाने का इच्छुक है,ताकि दोनों देशों की जनता को वास्तविक लाभ मिल सके।

शी चिनफिंग ने यह भी कहा कि चीन और कनाडा को समान हितों और दीर्घकालिक सहयोग के आधार पर पारस्परिक लाभ और ‘विन-विन’ सहयोग के सिद्धांत का पालन करना चाहिए। उन्होंने व्यापार,निवेश,ऊर्जा,प्रौद्योगिकी और अर्थव्यवस्था जैसे प्रमुख क्षेत्रों में व्यावहारिक सहयोग के विस्तार की आवश्यकता पर बल दिया। राष्ट्रपति शी ने यह भी कहा कि अब समय आ गया है कि दोनों देश अपने सांस्कृतिक, शैक्षणिक और जन-से-जन संपर्कों को और मजबूत करें। उन्होंने कहा कि “दोनों देशों की जनता के बीच परस्पर समझ और विश्वास को बढ़ाना द्विपक्षीय संबंधों की स्थिरता की नींव है।”

चीनी राष्ट्रपति ने यह भी उल्लेख किया कि चीन कनाडा को एक महत्वपूर्ण साझेदार के रूप में देखता है,जो न केवल एशिया-प्रशांत क्षेत्र में,बल्कि वैश्विक आर्थिक प्रणाली में भी अहम भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा कि चीन अपने खुलेपन की नीति पर दृढ़ है और वह चाहता है कि कनाडा भी इस दिशा में सक्रिय भूमिका निभाए। शी ने कहा कि चीन-कनाडा संबंधों में सुधार न केवल दोनों देशों के लिए,बल्कि वैश्विक आर्थिक स्थिरता और बहुपक्षीय व्यवस्था के लिए भी लाभकारी सिद्ध होगा।

दूसरी ओर,प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने बैठक के दौरान कहा कि कनाडा और चीन के बीच 55 वर्षों से स्थापित राजनयिक संबंधों ने दोनों देशों के बीच लंबे समय से स्थिरता और सहयोग की भावना बनाए रखी है। उन्होंने कहा कि उनकी नई सरकार चीन के साथ अपने संबंधों को अत्यंत महत्व देती है और वह इन संबंधों को पुनर्जीवित करने और खोए हुए समय की भरपाई करने की इच्छुक है। कार्नी ने स्पष्ट किया कि कनाडा का उद्देश्य केवल पुराने संबंधों को पुनः स्थापित करना नहीं है,बल्कि एक नया अध्याय शुरू करना है,जिसमें दोनों देश रचनात्मक सहयोग और आपसी सम्मान के साथ आगे बढ़ें।

प्रधानमंत्री कार्नी ने कहा कि कनाडा चीन के साथ उच्च-स्तरीय संवाद बनाए रखने,कृषि,ऊर्जा,पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में सहयोग को गहरा करने का इच्छुक है। उन्होंने कहा कि “हमारा लक्ष्य है कि दोनों देशों के बीच ऐसा सहयोग तंत्र तैयार किया जाए जो जनता को सीधे लाभ पहुँचाए।” कार्नी ने यह भी कहा कि कनाडा चीन के साथ व्यापार और निवेश के नए अवसरों को तलाशना चाहता है,ताकि दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाएं एक-दूसरे के पूरक बन सकें।

अंतर्राष्ट्रीय मामलों पर चर्चा के दौरान दोनों नेताओं ने बहुपक्षवाद,मुक्त व्यापार और वैश्विक आर्थिक व्यवस्था के सुधार पर एकजुट दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल दिया। कार्नी ने कहा कि कनाडा और चीन दोनों ही ऐसे देश हैं,जो अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था में स्थिरता और न्यायसंगत प्रतिस्पर्धा के समर्थक हैं। उन्होंने कहा कि “हम बहुपक्षवाद को सुदृढ़ करने,वैश्विक व्यापार नियमों को पारदर्शी और समान बनाने के लिए चीन के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं।”

मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं ने विभिन्न क्षेत्रों में आदान-प्रदान और सहयोग को पुनः शुरू करने पर सहमति जताई। उन्होंने आपसी चिंता से जुड़े आर्थिक और व्यापारिक मुद्दों को संवाद के माध्यम से सुलझाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। शी चिनफिंग और कार्नी दोनों ने माना कि अतीत के मतभेदों को पीछे छोड़ते हुए भविष्य की ओर बढ़ना ही दोनों देशों के हित में है।

विश्लेषकों का मानना है कि यह बैठक चीन-कनाडा संबंधों में एक “रीसेट मोमेंट” के रूप में देखी जा रही है। बीते कुछ वर्षों में,विशेष रूप से 2018 में हुई हुआवेई विवाद और इसके बाद के कूटनीतिक तनावों के चलते दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ गई थी,लेकिन अब जब कनाडा में नई सरकार आई है,तो दोनों पक्ष संबंधों को फिर से सामान्य करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

राजनयिक सूत्रों के अनुसार,बैठक के दौरान कई ऐसे समझौतों पर प्रारंभिक सहमति बनी है,जिनका उद्देश्य आर्थिक सहयोग को पुनर्जीवित करना है। इसमें ऊर्जा आपूर्ति,कृषि उत्पादों का व्यापार,शैक्षिक साझेदारी और पर्यावरण संरक्षण जैसे क्षेत्र शामिल हैं।

मुलाकात के अंत में दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि चीन और कनाडा के बीच रणनीतिक साझेदारी को और सशक्त किया जाएगा। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि इस साझेदारी की सफलता तभी संभव है,जब इसे जनता के हितों से जोड़ा जाए और दोनों देशों की नई पीढ़ी को इसमें सक्रिय रूप से शामिल किया जाए।

ग्योंगजू में हुई यह बैठक न केवल चीन और कनाडा के लिए एक नया अध्याय खोलती है,बल्कि यह एशिया-प्रशांत क्षेत्र में बदलते भू-राजनीतिक समीकरणों का भी संकेत देती है। अब देखना यह होगा कि इस उच्चस्तरीय संवाद के बाद द्विपक्षीय संबंध कितनी तेजी से व्यावहारिक स्तर पर आगे बढ़ते हैं और क्या वास्तव में दोनों देश अपने मतभेदों को पीछे छोड़कर सहयोग की नई राह पर चल पड़ते हैं।