प्रवर्तन निदेशालय (ईडी)

चेन्नई में कोल्ड कफ सिरप कांड पर ईडी की बड़ी कार्रवाई: श्रीसन फार्मा और सरकारी अधिकारियों के ठिकानों पर छापेमारी,मनी लॉन्ड्रिंग की जाँच तेज

चेन्नई,13 अक्टूबर (युआईटीवी)- देशभर में बच्चों की मौत के मामले से जुड़ा चर्चित कोल्ड कफ सिरप विवाद अब मनी लॉन्ड्रिंग की जाँच के घेरे में पहुँच गया है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार को चेन्नई और उसके आसपास के इलाकों में सात अलग-अलग ठिकानों पर छापेमारी की कार्रवाई शुरू की। यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत की जा रही है। ईडी ने इस दौरान न केवल एक दवा कंपनी के दफ्तरों में तलाशी ली,बल्कि तमिलनाडु ड्रग कंट्रोल विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के घरों पर भी छापे मारे। इस कदम से सरकारी महकमे में हलचल मच गई है।

सूत्रों के अनुसार,ईडी की यह कार्रवाई ‘श्रीसन फार्मा’ नामक कंपनी से जुड़ी है। यह वही दवा निर्माता कंपनी है,जिसकी कफ सिरप ‘कोल्डरिफ’ पीने से उत्तर भारत के कई राज्यों — विशेषकर मध्य प्रदेश,उत्तर प्रदेश और हरियाणा में 20 से अधिक बच्चों की मौत हो चुकी है। इन मौतों के बाद यह मामला देशभर में सनसनी का विषय बन गया था। केंद्र सरकार ने भी इस घटना को गंभीरता से लेते हुए दवा निर्माण प्रक्रिया,गुणवत्ता नियंत्रण और लाइसेंसिंग प्रणाली की जाँच के आदेश दिए थे।

ईडी की टीम सोमवार सुबह कांचीपुरम जिले के सुंगुवरचत्रम इलाके में स्थित श्रीसन फार्मा के प्लांट पर पहुँची। हालाँकि,जब अधिकारी मौके पर पहुँचे,तो पाया कि कंपनी का कार्यालय बंद है। ईडी के अधिकारी घंटों तक परिसर के बाहर अपनी गाड़ियों में इंतजार करते रहे और कंपनी के कर्मचारियों को फोन के माध्यम से दफ्तर खोलने का निर्देश दिया गया। सूत्रों के अनुसार,तलाशी अभियान का उद्देश्य कंपनी के वित्तीय दस्तावेजों,बैंक खातों और उस लेनदेन की जाँच करना है,जिसके जरिए कथित तौर पर अवैध कमाई को वैध दिखाने की कोशिश की गई।

माना जा रहा है कि श्रीसन फार्मा ने जिन रसायनों और सॉल्वेंट्स का उपयोग कफ सिरप बनाने में किया,वे गुणवत्ता मानकों के अनुरूप नहीं थे। दवा में पाए गए विषैले रासायनिक तत्वों की वजह से कई बच्चों की मौत हुई थी। इस मामले में स्थानीय प्रशासन और राज्य के औषधि नियामक विभाग की भूमिका पर भी गंभीर सवाल उठे थे। इसी कड़ी में ईडी ने अब जाँच का दायरा बढ़ाते हुए सरकारी अधिकारियों को भी अपने रडार पर ले लिया है।

सूत्रों के अनुसार,ईडी ने सोमवार को तमिलनाडु ड्रग कंट्रोल डिपार्टमेंट की डायरेक्टर डीपा जोसेफ और संयुक्त निदेशक कार्तिकेयन के चेन्नई स्थित आवासों पर भी छापेमारी की। यह कार्रवाई बेहद अहम मानी जा रही है,क्योंकि इससे संकेत मिलता है कि इस पूरे घोटाले में सरकारी स्तर पर मिलीभगत की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। जाँच एजेंसी को संदेह है कि लाइसेंस जारी करने,सैंपल टेस्टिंग और क्वालिटी अप्रूवल के दौरान नियमों को नजरअंदाज किया गया और इसके बदले में आर्थिक लाभ उठाया गया।

ईडी के अधिकारियों ने बताया कि प्रारंभिक जाँच में यह संकेत मिले हैं कि कंपनी ने जहरीली दवाओं की बिक्री से भारी मुनाफा कमाया और फिर उस पैसे को कई खातों और फर्जी कंपनियों के जरिए इधर-उधर घुमाया गया। एजेंसी के मुताबिक,यह मनी लॉन्ड्रिंग का क्लासिक मामला हो सकता है,जिसमें अवैध कमाई को वैध दिखाने के लिए जटिल वित्तीय लेनदेन किए गए। यही कारण है कि ईडी ने अब पीएमएलए के तहत जाँच शुरू की है।

केंद्रीय एजेंसी इस बात की भी जाँच कर रही है कि क्या श्रीसन फार्मा ने विदेशी बाजारों में भी इन दवाओं की आपूर्ति की थी। दरअसल,पिछले वर्ष कुछ अफ्रीकी देशों में भी भारतीय कफ सिरप से बच्चों की मौत के मामले सामने आए थे,जिसके बाद भारत की दवा निर्यात व्यवस्था पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सवाल उठे थे। ईडी यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या श्रीसन फार्मा का उन घटनाओं से भी कोई अप्रत्यक्ष संबंध था।

जानकारी के मुताबिक,ईडी की टीम को कंपनी के मालिक रंगनाथन के घर से कुछ दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण मिले हैं,जिनकी फोरेंसिक जाँच की जाएगी। रंगनाथन का घर चेन्नई के कोडंबक्कम इलाके में स्थित है और वहीं से कंपनी के वित्तीय संचालन नियंत्रित किए जाने का शक है। एजेंसी को उम्मीद है कि इन डिजिटल सबूतों से यह स्पष्ट हो सकेगा कि विषैली दवाओं की बिक्री से प्राप्त राशि कहाँ और कैसे ट्रांसफर की गई।

इस छापेमारी के बाद तमिलनाडु सरकार के औषधि नियंत्रण विभाग पर भी सवाल उठने लगे हैं। विपक्षी दलों का आरोप है कि सरकार ने फार्मा कंपनियों पर निगरानी कमजोर कर दी है और अधिकारियों की मिलीभगत से घटिया दवाओं को बाजार में अनुमति मिल जाती है। वहीं,राज्य सरकार के सूत्रों का कहना है कि जाँच एजेंसियों को पूरा सहयोग दिया जा रहा है और दोषी पाए जाने पर किसी को बख्शा नहीं जाएगा।

ईडी ने संकेत दिए हैं कि आने वाले दिनों में इस मामले से जुड़े और लोगों को पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा। एजेंसी वित्तीय रिकॉर्ड,टैक्स विवरण और बैंक ट्रांजेक्शन का गहराई से विश्लेषण कर रही है। फिलहाल श्रीसन फार्मा के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और धोखाधड़ी दोनों मामलों में जाँच जारी है।

कोल्ड कफ सिरप से हुई बच्चों की मौत की यह घटना न केवल दवा निर्माण प्रणाली की खामियों को उजागर करती है,बल्कि यह भी दिखाती है कि जब मुनाफे की दौड़ में नैतिकता और मानवीय संवेदनाएँ खो जाती हैं,तो उसकी कीमत समाज के सबसे मासूम चेहरों अर्थात बच्चों को चुकानी पड़ती है। अब पूरे देश की निगाहें इस जाँच पर टिकी हैं कि क्या प्रवर्तन निदेशालय दोषियों को बेनकाब कर पाएगा और क्या ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाए जाएँगे।