चक्रवात ‘मोंथा’ ने मचाया कहर (तस्वीर क्रेडिट@chennai13621472)

चक्रवात ‘मोंथा’ ने मचाया कहर:आंध्र प्रदेश के तटीय जिलों में तबाही,तमिलनाडु में अगले छह दिन तक बारिश का अलर्ट

चेन्नई,29 अक्टूबर (युआईटीवी)- आंध्र प्रदेश के तटीय जिलों में बुधवार सुबह तब अफरातफरी मच गई,जब भीषण चक्रवात ‘मोंथा’ ने काकीनाडा तट पर दस्तक दी। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार,यह चक्रवाती तूफान दक्षिण-पूर्वी बंगाल की खाड़ी में पिछले सप्ताह बना था और धीरे-धीरे उत्तर-पश्चिम दिशा में बढ़ते हुए बुधवार सुबह आंध्र प्रदेश के काकीनाडा तट से टकराया। टकराव के समय तूफान की गति 110 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुँच गई,जिसने मछलीपट्टनम और कलिंगपट्टनम के बीच स्थित तटीय क्षेत्रों में भारी तबाही मचा दी। तेज हवाओं और मूसलाधार बारिश के चलते कई जगहों पर पेड़ उखड़ गए,बिजली की आपूर्ति बाधित हो गई और संपत्ति को नुकसान पहुँचा।

अल्लूरी जिले से एक दुखद खबर सामने आई,जहाँ तूफान के दौरान एक पेड़ गिरने से एक महिला की मौत हो गई,जबकि दो अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। दोनों घायलों को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। प्रशासन ने बताया कि आपदा प्रबंधन दलों को प्रभावित इलाकों में तुरंत तैनात कर दिया गया है,ताकि गिरे हुए पेड़ों को हटाया जा सके और बिजली आपूर्ति को जल्द-से-जल्द बहाल किया जा सके। तूफान के कारण कई गाँवों में जनजीवन ठप पड़ गया है और कई घरों की छतें उड़ गई हैं।

आईएमडी के वरिष्ठ वैज्ञानिक एस. बालाचंद्रन ने बताया कि ‘मोंथा’ जब तट से टकराया,तब यह एक ‘सीवियर साइक्लोनिक स्टॉर्म’ के रूप में दर्ज किया गया था,लेकिन तट पार करने के बाद इसकी तीव्रता कुछ कम हो गई है। हालाँकि,मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि तूफान के कमजोर पड़ने के बावजूद इसके प्रभाव से दक्षिण भारत के कई हिस्सों में व्यापक वर्षा हो सकती है। अगले कुछ दिनों तक आंध्र प्रदेश,तमिलनाडु,पुडुचेरी और केरल में मध्यम से भारी बारिश होने की संभावना जताई गई है।

तमिलनाडु में मौसम विभाग ने छह दिनों तक मध्यम वर्षा का पूर्वानुमान जारी किया है। बुधवार सुबह जारी बुलेटिन के अनुसार,तमिलनाडु,पुडुचेरी और कन्याकुमारी सागर के तटीय क्षेत्रों में 45 से 55 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएँ चल सकती हैं,जो कभी-कभी 65 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुँच सकती हैं। इस दौरान मछुआरों को सख्त सलाह दी गई है कि वे समुद्र में न जाएँ,क्योंकि समुद्र में ऊँची लहरें उठ रही हैं और मौसम बेहद खराब है।

चेन्नई में भी आसमान में बादल छाए रहने और कुछ इलाकों में रुक-रुक कर हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है। ग्रेटर चेन्नई कॉर्पोरेशन और तमिलनाडु आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने संभावित वर्षा संबंधी घटनाओं से निपटने के लिए अपने सभी आपातकालीन नियंत्रण कक्षों को अलर्ट पर रखा है। नगर निगम ने शहर के निचले इलाकों में जलभराव से निपटने के लिए पंपिंग मशीनें और सफाई दल तैनात किए हैं,ताकि भारी बारिश की स्थिति में स्थिति नियंत्रण में रखी जा सके।

तमिलनाडु सरकार ने राज्य के सभी जिला कलेक्टरों को निर्देश दिया है कि वे नदियों और जलाशयों के जलस्तर की लगातार निगरानी करें। अधिकारियों को निचले और बाढ़-प्रवण इलाकों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने और राहत शिविरों की व्यवस्था करने के आदेश दिए गए हैं। मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने भी आपात बैठक बुलाई है और राहत कार्यों की समीक्षा की है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार हर संभव कदम उठा रही है,ताकि जनहानि और संपत्ति का नुकसान न्यूनतम हो सके।

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी ने भी सभी जिलाधिकारियों को सतर्क रहने और जरूरत पड़ने पर एनडीआरएफ तथा एसडीआरएफ की टीमों की मदद लेने के निर्देश दिए हैं। राज्य में कई इलाकों में सड़कों पर पानी भर गया है और कुछ स्थानों पर बिजली के खंभे गिर जाने से यातायात बाधित हो गया है। अधिकारियों ने बताया कि मौसम की स्थिति में सुधार होने के बाद नुकसान का पूरा आकलन किया जाएगा।

विशेषज्ञों का कहना है कि बंगाल की खाड़ी में इस समय समुद्र का तापमान सामान्य से अधिक है,जिसके कारण चक्रवातों की तीव्रता बढ़ जाती है। हालाँकि,तट से टकराने के बाद जब ये तूफान जमीन पर पहुँचते हैं,तो उनका असर धीरे-धीरे कम हो जाता है।

फिलहाल, ‘मोंथा’ के कारण दक्षिण भारत के तटीय इलाकों में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। मौसम विभाग ने लोगों से अपील की है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें,स्थानीय प्रशासन के निर्देशों का पालन करें और जरूरत न हो तो घर से बाहर न निकलें। विशेषज्ञों का कहना है कि अगले 48 घंटे इस तूफान के असर को लेकर बेहद अहम रहेंगे। अगर बारिश का दौर लंबा चला,तो तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के कई जिलों में बाढ़ जैसी स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है।

‘मोंथा’ ने एक बार फिर यह याद दिला दिया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्री चक्रवातों की आवृत्ति और तीव्रता लगातार बढ़ रही है। ऐसे में सरकार और समाज दोनों को मिलकर आपदा प्रबंधन तंत्र को और मजबूत बनाने की आवश्यकता है,ताकि भविष्य में ऐसी प्राकृतिक आपदाओं से बेहतर तरीके से निपटा जा सके।