नई दिल्ली,3 जनवरी (युआईटीवी)- डेविड वार्नर की प्रतिभा और क्षमता की सराहना करते हुए ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान माइकल क्लार्क ने कहा कि उनका क्रिकेट करियर शानदार रहा है।
डेविड वार्नर टेस्ट और वनडे क्रिकेट से संन्यास लेने के लिए तैयार हैं। पाकिस्तान के खिलाफ बुधवार से सिडनी में वार्नर अपना फेयरवेल टेस्ट मैच खेलेंगे। 2011 में वार्नर ने टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू किया था,जिसकी कप्तानी माइकल क्लार्क कर रहे थे। माइकल क्लार्क के साथ डेविड वार्नर ने 39 मैच खेले हैं। उनके साथ खेलते हुए 2015 वनडे विश्व कप जीत भी हासिल की।
डेविड वार्नर के शुरुआती दिनों को याद करते हुए माइकल क्लार्क ने उनके बारे में बताया कि वह खेल और जीवन दोनों में आक्रामक दृष्टिकोण रखने वाले “लिटिल बुल” हैं। डेविड वार्नर को टीम के लिए महत्वपूर्ण बताया है,जो टीम के लिए अपनी महत्ता काफी परेशानियों और चुनौतियों का सामना करने के बावजूद भी साबित किया है। उनकी इसी काबिलियत के वजह से उन्हें सामूहिक प्रयास से क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया में बनाए रखा गया।
ईएसपीएन के अराउंड द विकेट शो में माइकल क्लार्क ने कहा कि, ” हमेशा से डेवी एक सख्त चरित्र वाला व्यक्ति रहे हैं। टीम में उनका वह आक्रामक रवैया,उनका वह इरादा मुझे काफी पसंद था। जैसा वे मैदान के अंदर रवैया रखते थे,वैसा ही वे मैदान के बाहर भी थे,एक लिटिल बुल। जिसके कारण वह थोड़ी परेशानी में पड़ गया।”

माइकल क्लार्क ने वार्नर के ख़राब दौर में उनका साथ देने वाले वरिष्ठ खिलाड़ियों और क्रिकेट बिरादरी को भी स्वीकार किया है। जिनके वजह से वार्नर का अनुबंध बरकरार रखना सुनिश्चित किया गया। आगे उन्होंने कहा कि डेवी का खेल वास्तव में ऑस्ट्रेलिया के लिए खेलते हुए उच्चतम स्तर पर सीखा गया है,जो करना बिलकुल भी सरल नहीं है। इसलिए मुझे ऐसा लगता है कि वे हकदार हैं कि उन्हें बहुत अधिक श्रेय दिया जाए।
वार्नर के खेल के विकास पर विचार करते हुए माइकल क्लार्क ने कहा कि प्रारंभिक वर्षों के दौरान जो-जो चीजें उन्हें सिखाया जाता था,वार्नर ने उन सभी सबक पर जोर दिया। वार्नर की क्षमता पर क्लार्क अटूट भरोसा रखते थे,युवा सलामी बल्लेबाज की प्रतिभा को उन्होंने पहचाना था ।
वार्नर के करियर को शानदार बताते हुए माइकल क्लार्क ने कहा कि, ” सलामी बल्लेबाज़ी करना बहुत कठिन स्थिति है। डेवी के खेल को लेकर बहुत सारी शंका थे। एक टी20 खिलाड़ी के रूप में उन्होंने शुरुआत की थी। इसलिए सभी के मन में शंका थी कि क्या वह टेस्ट क्रिकेट में आगे बढ़ पाएँगे ? लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि उनके खेल के पहले दिन से ही उनकी प्रतिभा को सभी ने देखा और पहचाना कि जो काम बहुत से खिलाड़ी नहीं कर सकते हैं,वह काम वार्नर कर सकते हैं।”
माइकल क्लार्क पूर्व में ऑस्ट्रेलिया के कप्तान थे और बाद में कमेंटेटर बने। उन्होंने वार्नर की आक्रामक इरादे को बनाए रखने की क्षमता पर कहा कि वार्नर ने टेस्ट क्रिकेट की सभी चुनौतियों को स्वीकार किया। डेविड वार्नर ने टेस्ट और वनडे से संन्यास की घोषणा की है। लेकिन टी20 के लिए वे उपलब्ध रहेंगे। माइकल क्लार्क ने उनके संन्यास की घोषणा पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के सभी प्रारूपों को अलविदा कहने के लिए वार्नर के पास सिडनी टेस्ट उपयुक्त अवसर है।
घरेलू टी20 में फॉर्म में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट की माँग के साथ संतुलन बनाए रखने की कठिनाई को क्लार्क ने स्वीकार किया। खासकर युवा प्रतिभाओं की नजरें आगामी विश्व कप में टिकी हुई हैं। फिर भी, क्रिकेट के तीनों प्रारूपों में वार्नर ने शानदार योगदान दिया। क्लार्क ने उनकी सराहना करते हुए कहा कि टीम के लिए दिया गया उनका शानदार योगदान एक अनुभवी खिलाड़ी के स्थायी कौशल और खेल के प्रति प्रतिबद्धता का प्रमाण देता है।
ऑस्ट्रेलियाई पूर्व कप्तान माइकल क्लार्क ने आगे कहा कि, ” मेरा ऐसा मानना है कि आम तौर पर यह समय आदर्श समय होता है,जब कोई क्रिकेटर अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से दूर जाने वाला हो,लेकिन वार्नर टी20 क्रिकेट खेलना जारी रखना चाहते हैं।”
डेविड वार्नर जैसे ही अपने बचपन के दोस्त उस्मान ख्वाजा के साथ एससीजी में अपना अंतिम टेस्ट क्रिकेट खेलेंगे,एक ऐसे खिलाड़ी की यात्रा को क्रिकेट की दुनिया प्रतिबिंबित करती है,जो कभी भी हार न मानने वाले थे,जिन्होंने सभी संदेह पर विजय प्राप्त की। ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट के इतिहास में डेविड वार्नर ने अपना नाम आक्रामक,अदम्य भावना के साथ दर्ज कराया है।