हैदराबाद,11 जून (युआईटीवी)- बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री दीपिका पादुकोण ने अपने पिता और दिग्गज बैडमिंटन खिलाड़ी प्रकाश पादुकोण के 70वें जन्मदिन पर एक भावुक और प्रेरणादायक घोषणा की है। उन्होंने अपने आधिकारिक इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक खूबसूरत तस्वीर साझा करते हुए ‘पादुकोण स्कूल ऑफ बैडमिंटन (पीएसबी)’ के शुभारंभ की जानकारी दी। यह पहल न केवल एक खेल संस्थान है,बल्कि एक विचार है,जिसमें खेल के माध्यम से जीवन को बेहतर बनाने की प्रेरणा छिपी है।
दीपिका ने इस मौके पर लिखा कि उन्होंने खुद बैडमिंटन खेलते हुए जीवन में बहुत कुछ सीखा है। यह खेल सिर्फ शारीरिक रूप से नहीं,बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी जीवन को आकार देता है। उन्होंने कहा, “बैडमिंटन खेलते हुए बड़े होने के नाते,मैंने खुद अनुभव किया है कि यह खेल किसी के जीवन को कितना दिशा दे सकता है। पीएसबी के माध्यम से हमारा लक्ष्य है कि हम बैडमिंटन का अनुशासन,आनंद और प्रेरणा हर वर्ग के लोगों तक पहुँचाएँ और एक ऐसी पीढ़ी तैयार करें जो स्वस्थ और खेल-केंद्रित हो।”
दीपिका ने अपने पिता की सराहना करते हुए कहा कि जो लोग प्रकाश पादुकोण को करीब से जानते हैं,वे जानते हैं कि उनका जुनून बैडमिंटन के लिए कितना गहरा है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि 70 साल की उम्र में भी उनके पिता का खेल के प्रति प्रेम जगजाहिर है। इसी जुनून को ज़मीन पर लाने की दिशा में उन्होंने यह कदम उठाया है। ‘बैडमिंटन फॉर ऑल’। यह केवल एक जन्मदिन का उपहार नहीं है,बल्कि एक विरासत को आगे बढ़ाने की शुरुआत है।
इस स्कूल का विजन बहुत ही व्यापक और दूरदर्शी है। दीपिका के प्रेस नोट के अनुसार, पीएसबी हर साल 75 बैडमिंटन कोचिंग सेंटर खोलने की योजना बना रहा है। इस लक्ष्य को 2027 तक 250 केंद्रों तक विस्तारित करने की योजना है। इस पहल का उद्देश्य है कि बैडमिंटन को देश के हर कोने में सुलभ,किफायती और गुणवत्तापूर्ण बनाया जाए।
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शुरुआत के पहले ही साल में पीएसबी ने भारत के 18 प्रमुख शहरों में 75 से अधिक ग्रासरूट कोचिंग सेंटर खोल दिए हैं। इन शहरों में बेंगलुरु,दिल्ली,एनसीआर,मुंबई,चेन्नई,जयपुर,पुणे,नासिक,मैसूर,पानीपत,देहरादून,उदयपुर,कोयंबटूर,सांगली और सूरत जैसे नाम शामिल हैं। इन केंद्रों के माध्यम से बच्चों और युवाओं को शुरुआती स्तर से ही उचित मार्गदर्शन और प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाएगा।
प्रकाश पादुकोण,जो एक समय विश्व के नंबर 1 खिलाड़ी और ऑल इंग्लैंड चैंपियन रह चुके हैं,इस संस्थान में बतौर सलाहकार की भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने कहा कि,“खेल किसी भी बच्चे के बढ़ने का अभिन्न हिस्सा है। यह न केवल अनुशासन सिखाता है,बल्कि एक विनिंग माइंडसेट भी तैयार करता है,जो खेल के मैदान से आगे जीवन के हर क्षेत्र में काम आता है।”
उन्होंने यह भी बताया कि पीएसबी का लक्ष्य है कि गुणवत्तापूर्ण कोचिंग को न केवल आसान बनाया जाए,बल्कि उसे ग्रासरूट स्तर से ही सशक्त किया जाए,ताकि भारत का बैडमिंटन भविष्य और अधिक उज्ज्वल हो। वह मानते हैं कि सिर्फ खेल प्रतिभा नहीं,बल्कि सही मार्गदर्शन और संसाधनों की उपलब्धता ही खिलाड़ियों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहुँचा सकती है।
दीपिका पादुकोण और उनके परिवार का यह कदम केवल एक व्यक्तिगत प्रेरणा नहीं,बल्कि राष्ट्रीय महत्व का कदम है। भारत जैसे देश में जहाँ क्रिकेट को केंद्र में रखा जाता है,वहाँ बैडमिंटन जैसे खेल को समर्पित एक स्कूल शुरू करना एक साहसिक और दूरदर्शी प्रयास है। यह ना केवल खेल के विकास की दिशा में एक नया अध्याय है,बल्कि महिलाओं के नेतृत्व में खेल की दिशा बदलने की संभावना भी है।
‘पादुकोण स्कूल ऑफ बैडमिंटन’ एक ऐसा मंच है,जो खेल को एक सामाजिक आंदोलन में बदलने की क्षमता रखता है। दीपिका पादुकोण ने अपने पिता की विरासत को न केवल सम्मानित किया है,बल्कि उसे अगली पीढ़ी तक पहुँचाने का बीड़ा उठाया है। यह पहल दिखाती है कि खेल केवल प्रतिस्पर्धा नहीं,बल्कि जीवन को जीने का तरीका भी हो सकता है। ऐसे समय में जब युवा पीढ़ी स्क्रीन के पीछे सीमित होती जा रही है, पीएसबी उन्हें कोर्ट पर लाने का एक सुनहरा मौका प्रदान करता है, एक स्वस्थ,अनुशासित और प्रेरणादायक भविष्य की ओर।