एस जयशंकर और मार्को रुबियो (तस्वीर क्रेडिट@pankajj_das)

दिल्ली धमाके को अमेरिकी विदेश मंत्री ने बताया आतंकवादी हमला,जी7 बैठक में एस. जयशंकर से मुलाकात में भारत की जाँच की सराहना

हैमिल्टन,13 नवंबर (युआईटीवी)- भारत की राजधानी दिल्ली में लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए भीषण विस्फोट को अमेरिका ने औपचारिक रूप से आतंकवादी हमला करार दिया है। कनाडा में आयोजित जी7 विदेश मंत्रियों की बैठक में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के बीच हुई मुलाकात के दौरान इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा हुई। अमेरिकी विदेश मंत्री ने न केवल भारत की जांच एजेंसियों की प्रशंसा की,बल्कि इस हमले को अंजाम देने वाले आतंकियों के खिलाफ भारत के पेशेवर और संयमित रवैये की भी सराहना की।

कनाडा के नियाग्रा शहर में आयोजित जी7 विदेश मंत्रियों की बैठक में एस. जयशंकर कई देशों के विदेश मंत्रियों से द्विपक्षीय बातचीत कर रहे हैं। इसी क्रम में बुधवार को उन्होंने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो से मुलाकात की। दोनों नेताओं की बैठक के बाद जब अमेरिकी विदेश मंत्री मीडिया से रूबरू हुए,तो उन्होंने दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए विस्फोट को लेकर कहा, “साफ तौर पर यह एक आतंकवादी हमला था। यह कोई साधारण हादसा नहीं था,बल्कि योजनाबद्ध तरीके से किया गया आतंकवादी कृत्य था। एक कार में अत्यधिक विस्फोटक सामग्री भरी गई थी,जिसमें धमाका हुआ और कई निर्दोष लोगों की जानें चली गईं।”

अमेरिकी विदेश मंत्री ने आगे कहा कि भारत ने इस आतंकी हमले के बाद जिस तरह से जाँच शुरू की है,वह बेहद प्रशंसनीय है। उन्होंने कहा, “भारतीय एजेंसियाँ बहुत ही सोच-समझकर,सावधानीपूर्वक और पेशेवर तरीके से इस हमले की जाँच कर रही हैं। उनकी सराहना की जानी चाहिए। मुझे विश्वास है कि वे जल्द ही इस हमले के पीछे के सभी तथ्यों को उजागर करेंगे और दोषियों को न्याय के कठघरे में जाएँगे।”

रुबियो ने यह भी बताया कि अमेरिका ने भारत को जाँच में सहयोग की पेशकश की थी,लेकिन भारत की ओर से कहा गया कि उनके पास पर्याप्त संसाधन और क्षमता है और वे इस जाँच को स्वतंत्र रूप से आगे बढ़ा रहे हैं। अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा, “अमेरिका हर स्थिति में भारत के साथ है। हमने मदद की पेशकश की थी,लेकिन मुझे लगता है कि वे इस मामले में बेहद सक्षम हैं। उन्हें हमारी किसी तकनीकी या खुफिया सहायता की आवश्यकता नहीं है,क्योंकि वे स्वयं ही इसे बहुत गंभीरता से और सटीकता से कर रहे हैं।”

इस मुलाकात के बाद भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर बैठक की तस्वीर साझा करते हुए लिखा कि यह चर्चा सकारात्मक और सार्थक रही। उन्होंने कहा कि उन्होंने अमेरिकी विदेश मंत्री को दिल्ली विस्फोट में मारे गए लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त करने के लिए धन्यवाद दिया। जयशंकर ने यह भी बताया कि दोनों देशों ने आतंकवाद के खिलाफ अपने सहयोग को और मजबूत करने पर भी चर्चा की।

गौरतलब है कि सोमवार को दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास एक कार में हुआ भीषण धमाका पूरे देश को दहला गया था। जाँच एजेंसियों के अनुसार,इस कार में बड़ी मात्रा में आरडीएक्स और एएनएफओ जैसे शक्तिशाली विस्फोटक भरे थे। इस विस्फोट में आठ लोगों की मौत हो गई थी,जबकि 20 से अधिक लोग घायल हुए थे। धमाके की तीव्रता इतनी अधिक थी कि आसपास की खड़ी कई गाड़ियों के शीशे चकनाचूर हो गए और सड़क का एक हिस्सा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया।

घटना के बाद भारत सरकार ने इसे एक “आतंकवादी हमला” घोषित किया और केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बैठक कर एक आधिकारिक प्रस्ताव पारित किया। प्रस्ताव में कहा गया, “भारत ने एक जघन्य आतंकवादी कृत्य का सामना किया है,जिसे राष्ट्र-विरोधी ताकतों ने सावधानीपूर्वक योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया है। यह हमला केवल निर्दोष नागरिकों को निशाना बनाने का प्रयास नहीं था,बल्कि भारत की स्थिरता और सुरक्षा को चुनौती देने की कोशिश थी।”

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आगे निर्देश दिया कि “इस घटना की जाँच अत्यंत तत्परता और पेशेवर तरीके से की जानी चाहिए,ताकि अपराधियों,उनके सहयोगियों और उनके प्रायोजकों की पहचान कर उन्हें न्याय के कटघरे में लाया जा सके।” इस प्रस्ताव के बाद राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) और दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा ने संयुक्त रूप से जाँच शुरू की है। अब तक की जाँच में यह बात सामने आई है कि विस्फोटक सामग्री दिल्ली में नहीं,बल्कि हरियाणा के फरीदाबाद में तैयार की गई थी और कार को दिल्ली तक पहुँचाया गया था।

अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने मीडिया से बातचीत के दौरान इस सवाल का भी जवाब दिया कि क्या यह हमला भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ा सकता है। इस पर उन्होंने कहा, “हम इस संभावना से वाकिफ हैं कि ऐसी घटनाएँ दक्षिण एशिया में तनाव को बढ़ा सकती हैं,लेकिन हमें भारत की क्षमता और परिपक्वता पर भरोसा है। उन्होंने इस घटना के बाद बहुत ही संतुलित,सतर्क और पेशेवर प्रतिक्रिया दी है। भारत ने भावनाओं में बहकर कोई जल्दबाजी नहीं की,बल्कि शांति और संयम बनाए रखा।”

रुबियो ने यह भी जोड़ा कि भारत इस समय वैश्विक कूटनीति का एक अहम स्तंभ है और अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख का पूर्ण समर्थन करता है। उन्होंने कहा, “आतंकवाद का मुकाबला किसी एक देश की जिम्मेदारी नहीं है,बल्कि यह पूरी दुनिया की साझा जिम्मेदारी है। भारत ने हमेशा आतंकवाद के खिलाफ दृढ़ और साहसिक कदम उठाए हैं और अमेरिका इस दिशा में भारत के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए प्रतिबद्ध है।”

इस बीच, भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने जी7 बैठक के दौरान फ्रांस,जर्मनी, ब्राजील और ब्रिटेन के विदेश मंत्रियों से भी द्विपक्षीय वार्ता की। उन्होंने सभी से आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक एकजुटता की आवश्यकता पर बल दिया। जयशंकर ने कहा कि “भारत ने बार-बार यह साबित किया है कि वह आतंकवाद के खिलाफ न केवल अपने देश में,बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी सख्त कदम उठाने के लिए तैयार है।”

दिल्ली विस्फोट के बाद भारत के कई राज्यों में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को सतर्क रहने के निर्देश जारी किए हैं और बड़े शहरों में भीड़भाड़ वाले इलाकों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। जाँच एजेंसियाँ यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि कहीं इस हमले के तार सीमा पार से तो नहीं जुड़े हैं।

कनाडा में जी7 बैठक के दौरान हुई एस. जयशंकर और मार्को रुबियो की बातचीत को दोनों देशों के बीच बढ़ते रणनीतिक सहयोग का संकेत माना जा रहा है। यह मुलाकात ऐसे समय में हुई,जब भारत ने आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक स्तर पर सख्त रुख अपनाया है और अमेरिका भी इस दिशा में उसके साथ कदमताल कर रहा है।

दिल्ली धमाके को लेकर अमेरिका का यह बयान भारत के लिए एक राजनयिक समर्थन के रूप में देखा जा रहा है। अमेरिकी विदेश मंत्री का यह कहना कि भारत “जाँच को बहुत ही सोच-समझकर,सावधानी से और पेशेवर तरीके से” कर रहा है, न केवल भारत की सुरक्षा एजेंसियों की कार्यकुशलता पर भरोसे का प्रतीक है,बल्कि यह अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को यह संदेश भी देता है कि भारत आतंकवाद के मुद्दे पर किसी भी दबाव में नहीं आने वाला देश है।

जैसे-जैसे जाँच आगे बढ़ रही है,देश की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि आखिर इस जघन्य आतंकवादी हमले के पीछे कौन-सी ताकतें थीं और उनका उद्देश्य क्या था। लेकिन इस बीच,अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत को जो समर्थन मिला है,वह यह साफ संकेत देता है कि आतंकवाद के खिलाफ भारत की जंग अब केवल उसकी नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की साझा लड़ाई बन चुकी है।