नई दिल्ली,15 सितंबर (युआईटीवी)- दिल्ली कैंट इलाके में हुए दर्दनाक बीएमडब्ल्यू एक्सीडेंट केस में अब जाँच नए मोड़ पर पहुँच गई है। रविवार शाम दिल्ली कैंट मेट्रो स्टेशन के पास हुई इस घटना में बाइक सवार नवजोत सिंह की मौत हो गई थी,जबकि उनकी पत्नी गंभीर रूप से घायल हैं। नवजोत सिंह वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग में उप सचिव के पद पर कार्यरत थे और हादसे के वक्त अपनी पत्नी के साथ बंगला साहिब गुरुद्वारे से घर लौट रहे थे। इस घटना ने न केवल राजधानी को हिला दिया,बल्कि अब पुलिस की जाँच में कई गंभीर पहलू भी सामने आ रहे हैं।
दिल्ली पुलिस ने आरोपी बीएमडब्ल्यू कार चालक के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए एफआईआर में नई धाराएँ जोड़ दी हैं। सोमवार को पुलिस ने बताया कि इस मामले में आरोपी पर सबूतों को नष्ट और छुपाने की धाराएँ भी लगाई गई हैं। एफआईआर में बीएनएस की धारा 105, 125बी, 281 और 238 शामिल की गई हैं। खासतौर पर धारा 238 को जोड़ने से मामला और गंभीर हो गया है,क्योंकि यह धारा सबूतों से छेड़छाड़ और उन्हें नष्ट करने जैसे अपराधों से जुड़ी होती है।
पुलिस सूत्रों ने यह भी खुलासा किया है कि दुर्घटना के बाद पीड़ित को नजदीकी अस्पताल में ले जाने के बजाय 19 किलोमीटर दूर स्थित अस्पताल में भर्ती कराया गया। बताया जा रहा है कि आरोपी ने नवजोत सिंह और उनकी पत्नी को मुखर्जी नगर इलाके के न्यू लाइफ अस्पताल में पहुँचाया,जबकि घटनास्थल से यह अस्पताल लगभग 17 से 19 किलोमीटर की दूरी पर है। पुलिस अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की कि कैंट इलाके के आसपास कई बड़े अस्पताल मौजूद थे,जहाँ पीड़ितों को तत्काल पहुँचाया जा सकता था। इसके बावजूद इतनी दूर ले जाने के पीछे आरोपी की मंशा पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक,जिस अस्पताल में घायल दंपति को भर्ती कराया गया,वह आरोपी के किसी जानकार का बताया जा रहा है। यही वजह है कि अब पुलिस यह जाँच कर रही है कि क्या अस्पताल को चुनने के पीछे कोई खास मकसद था और क्या यह निर्णय सबूत छुपाने या पुलिस कार्रवाई से बचने के लिए लिया गया था। नवजोत सिंह के बेटे ने भी इस फैसले पर सवाल उठाए हैं और कहा है कि जब इतने नजदीक अस्पताल मौजूद थे,तो उनके माता-पिता को इतने दूर क्यों ले जाया गया। इस आरोप ने मामले को और भी संवेदनशील बना दिया है।
हादसे के चश्मदीदों और शुरुआती जाँच से पता चला है कि बीएमडब्ल्यू कार को गगनप्रीत नाम की महिला चला रही थी,जबकि उसका पति बगल की सीट पर बैठा था। हादसे के बाद जब पुलिस घटनास्थल पर पहुँची,तो बीएमडब्ल्यू कार पलटी हुई पाई गई,जबकि नवजोत सिंह की बाइक डिवाइडर के पास क्षतिग्रस्त अवस्था में खड़ी थी। पुलिस का कहना है कि दुर्घटना इतनी भीषण थी कि मौके पर ही नवजोत सिंह की जान चली गई,जबकि उनकी पत्नी को गंभीर चोटें आईं और उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया।
दिल्ली पुलिस इस मामले को बेहद गंभीरता से देख रही है। जाँच अधिकारियों का मानना है कि आरोपी ने न केवल लापरवाही से गाड़ी चलाई,बल्कि घटना के बाद सबूतों को छुपाने और बचाव का भी प्रयास किया। यही वजह है कि एफआईआर में नई धाराएँ जोड़कर केस को और मजबूत किया गया है। इस बीच,पीड़ित परिवार ने भी पुलिस जाँच पर भरोसा जताया है और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की माँग की है।
यह हादसा केवल एक सड़क दुर्घटना भर नहीं रह गया,बल्कि अब इसमें कई तरह के सवाल और शक की परतें जुड़ गई हैं। सबूतों को नष्ट करने का आरोप,अस्पताल चुनने को लेकर संदेह और आरोपी की भूमिका ने पूरे मामले को बेहद संवेदनशील बना दिया है। राजधानी में लगातार बढ़ते सड़क हादसों और लापरवाह ड्राइविंग की घटनाओं के बीच यह मामला एक मिसाल भी बन सकता है कि कानून और पुलिस कार्रवाई कितनी सख्ती से होती है।
फिलहाल दिल्ली पुलिस मामले की हर कड़ी की गहनता से जाँच कर रही है। हादसे की असल वजह और आरोपी की नीयत को सामने लाने के लिए सबूतों की बारीकी से पड़ताल हो रही है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि पीड़ित को दूर के अस्पताल में ले जाने के पीछे की सच्चाई सामने आने के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि आरोपी की मंशा क्या थी।
दिल्ली कैंट का यह हादसा न केवल एक परिवार के लिए अपूरणीय क्षति लेकर आया है,बल्कि उसने शहर की सड़क सुरक्षा और न्याय प्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि पुलिस अपनी जाँच को किस दिशा में आगे बढ़ाती है और क्या आरोपी को उसके किए की सजा मिलती है। यह मामला एक बार फिर याद दिलाता है कि सड़क पर लापरवाही सिर्फ कानून का उल्लंघन नहीं,बल्कि कई बार किसी परिवार की जिंदगी तबाह कर देने वाला अपराध भी बन सकता है।

