नई दिल्ली/कानपुर,13 नवंबर (युआईटीवी)- दिल्ली के लाल किले के पास हुए कार ब्लास्ट मामले में जाँच एजेंसियों को बड़ी सफलता मिली है। इस मामले में एक और संदिग्ध व्यक्ति,डॉक्टर मोहम्मद आरिफ,को उत्तर प्रदेश एटीएस ने कानपुर से हिरासत में लिया है। मोहम्मद आरिफ कार्डियोलॉजी की पढ़ाई कर रहा था और लंबे समय से जाँच एजेंसियों की निगरानी में था। बताया जा रहा है कि डॉक्टर परवेज से पूछताछ के बाद आरिफ के बारे में कई अहम सुराग मिले,जिसके बाद मंगलवार देर रात कानपुर में छापेमारी की गई और उसे हिरासत में ले लिया गया।
सूत्रों के अनुसार,उत्तर प्रदेश एटीएस और राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) की संयुक्त टीम ने डॉक्टर परवेज से घंटों की पूछताछ के दौरान कई नाम और संपर्क नंबरों की जानकारी जुटाई। इन्हीं जानकारियों के आधार पर कानपुर में कार्रवाई की गई। हिरासत में लिए गए डॉक्टर मोहम्मद आरिफ से अब गहन पूछताछ की जा रही है,ताकि यह पता लगाया जा सके कि उसका संबंध आतंकी मॉड्यूल से किस स्तर तक था।
डॉक्टर परवेज को मंगलवार शाम को उत्तर प्रदेश के एटीएस ने हिरासत में लिया था। परवेज की पहचान संदिग्ध आतंकी डॉक्टर शाहीन सिद्दीकी के भाई के रूप में हुई है,जो पहले से ही फरीदाबाद में पकड़े गए आतंकी मॉड्यूल का हिस्सा है। सूत्रों का कहना है कि परवेज के पास से तीन कीपैड फोन,कुछ इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स और धारदार हथियार बरामद किए गए हैं। एजेंसियों को शक है कि परवेज का इस्तेमाल आतंकी नेटवर्क में संदेशों के आदान-प्रदान और तकनीकी सहायता के लिए किया जा रहा था।
बताया जा रहा है कि एनआईए और एटीएस की संयुक्त टीम बुधवार तड़के डॉक्टर परवेज को लेकर दिल्ली के लिए रवाना हुई,जहाँ उससे आगे की पूछताछ की जाएगी। जाँच एजेंसियों का मानना है कि परवेज और आरिफ दोनों ही दिल्ली कार ब्लास्ट में शामिल आतंकी नेटवर्क का हिस्सा थे,जिसने देश की राजधानी में बड़े पैमाने पर तबाही मचाने की योजना बनाई थी।
गौरतलब है कि दिल्ली के लाल किले के पास सोमवार शाम लगभग 6:52 बजे एक कार में जोरदार धमाका हुआ था। इस विस्फोट में शक्तिशाली इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) का इस्तेमाल किया गया था। यह धमाका भारत के सबसे सुरक्षित इलाकों में से एक में हुआ,जिससे सुरक्षा एजेंसियों में हड़कंप मच गया। धमाके के तुरंत बाद एनआईए ने जाँच की कमान संभाली और फोरेंसिक विशेषज्ञों की टीम को मौके पर भेजा। शुरुआती जाँच में पता चला कि कार में विस्फोटक उच्च-गुणवत्ता के थे,जो बड़ी तबाही मचाने में सक्षम थे।
एनआईए की जाँच में अब तक यह भी सामने आया है कि इस ब्लास्ट के पीछे आतंकी उमर उन नबी का हाथ था,जो पहले ही दिल्ली कार ब्लास्ट में मारा जा चुका है। डीएनए परीक्षण से यह पुष्टि हो चुकी है कि लाल किले के पास विस्फोट करने वाला व्यक्ति उमर उन नबी ही था। एजेंसियाँ अब उमर के नेटवर्क,उसके हैंडलर्स और विस्फोटक सामग्री के स्रोत का पता लगाने में जुटी हैं।
सूत्रों के मुताबिक,उमर उन नबी के साथी डॉक्टर मुजम्मिल और डॉक्टर उमर मोहम्मद की डायरी से मिले कोडवर्ड्स और नामों की जाँच जारी है। इन डायरियों में कई अहम सुराग मिले हैं,जिनसे पता चलता है कि आतंकी मॉड्यूल पिछले कई महीनों से इस हमले की साजिश रच रहा था। यही नहीं,जाँच में यह भी सामने आया है कि इस मॉड्यूल के कुछ सदस्य मेडिकल प्रोफेशनल्स के रूप में काम कर रहे थे ताकि वे आसानी से सुरक्षा एजेंसियों की नजर से बच सकें।
फरीदाबाद में 10 नवंबर को हुए आतंकी मॉड्यूल के भंडाफोड़ ने इस नेटवर्क की जड़ें उजागर की थीं। उस समय सुरक्षा एजेंसियों ने लगभग 2900 किलो विस्फोटक बरामद किया था। इस विस्फोटक सामग्री के तार अब दिल्ली कार ब्लास्ट से भी जुड़ते दिखाई दे रहे हैं। जाँच एजेंसियों का मानना है कि यही ग्रुप देश के कई हिस्सों में सिलसिलेवार धमाके करने की योजना बना रहा था,लेकिन समय रहते उनकी साजिश को नाकाम कर दिया गया।
डॉक्टर मोहम्मद आरिफ की गिरफ्तारी के बाद जाँच में यह नया मोड़ आया है कि कैसे मेडिकल पृष्ठभूमि वाले कुछ लोग आतंकी गतिविधियों से जुड़ रहे हैं। जाँच एजेंसियों को आशंका है कि यह मॉड्यूल न केवल देश में आतंकी हमले की योजना बना रहा था,बल्कि विदेशों से फंडिंग और तकनीकी सहायता भी प्राप्त कर रहा था। एनआईए अब डिजिटल साक्ष्यों की जाँच कर रही है,ताकि यह पता लगाया जा सके कि आरिफ और परवेज किन ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर सक्रिय थे और उनके विदेशी संपर्क कौन थे।
फिलहाल एनआईए ने दिल्ली,फरीदाबाद, कानपुर और लखनऊ सहित कई शहरों में अपने नेटवर्क को सक्रिय कर दिया है। एजेंसी की टीमें लगातार छापेमारी कर रही हैं और संदिग्धों से पूछताछ की जा रही है। इस बीच,दिल्ली पुलिस ने भी राष्ट्रीय राजधानी में सुरक्षा बढ़ा दी है और संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त बल तैनात किया गया है।
डॉक्टर मोहम्मद आरिफ की गिरफ्तारी से जहाँ जाँच को नया आयाम मिला है,वहीं यह सवाल भी उठने लगा है कि आखिर किस तरह आतंकवादी संगठन पढ़े-लिखे युवाओं को अपने जाल में फँसा रहे हैं। यह मामला अब सिर्फ एक धमाके की जाँच नहीं रह गया,बल्कि यह देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक गंभीर चेतावनी बन गया है। एनआईए को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में इस आतंकी नेटवर्क की पूरी साजिश का पर्दाफाश कर लिया जाएगा और इसके सभी सहयोगियों को कानून के कठघरे में लाया जाएगा।

