नई दिल्ली, 8 दिसंबर (युआईटीवी/आईएएनएस)- दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को भारतीय मूल के स्वीडन के प्रोफेसर अशोक स्वैन की एक याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा, जिसमें उनके ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया कार्ड (ओसीआई कार्ड) पर रोक लगाने को चुनौती दी गई थी।
ओसीआई कार्ड भारतीय मूल के एक विदेशी नागरिक को जारी किया जाता है, जिसे अनिश्चित काल के लिए भारत में रहने और काम करने की अनुमति होती है।
एकल-न्यायाधीश न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह ने केंद्र से चार सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है और मामले को फरवरी 2023 में सुनवाई के लिए पोस्ट कर दिया है।
स्वैन स्वीडन के उप्साला विश्वविद्यालय में शांति और संघर्ष अनुसंधान विभाग के संकाय सदस्य हैं।
अपनी याचिका में उन्होंने उल्लेख किया था कि उनका ओसीआई कार्ड फरवरी 2022 में रद्द कर दिया गया था, इसलिए उन्होंने वर्तमान भारत सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि उन्होंने कोई भड़काऊ भाषण नहीं दिया है।
स्वैन ने तर्क दिया कि उनका कार्ड इस आधार पर रद्द कर दिया गया था कि वह भड़काऊ भाषणों और भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल थे, हालांकि, इसे साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं थे।
याचिका में दावा कहा गया, याचिकाकर्ता कभी भी भड़काऊ भाषणों या भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल नहीं रहा है। एक विद्वान के रूप में यह समाज में उसकी भूमिका है कि वह अपने काम के माध्यम से सरकार की नीतियों पर चर्चा और आलोचना करे।
इसमें कहा गया है, एक शिक्षाविद् होने के नाते, वह वर्तमान सरकार की कुछ नीतियों का विश्लेषण और आलोचना करता है, वर्तमान सत्तारूढ़ व्यवस्था की नीतियों की आलोचना नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 7डी (ई) के तहत भारत विरोधी गतिविधियों के समान नहीं होगी।