नई दिल्ली,18 सितंबर (युआईटीवी)- बॉलीवुड के मशहूर फिल्म निर्माता,निर्देशक और टेलीविजन व्यक्तित्व करण जौहर को दिल्ली हाईकोर्ट से एक बड़ी राहत मिली है। अदालत ने उनके पक्ष में पर्सनैलिटी राइट्स (व्यक्तित्व अधिकार) की सुरक्षा को लेकर अंतरिम निषेधाज्ञा जारी की है। इस आदेश के तहत अब कोई भी व्यक्ति,संस्था या प्लेटफॉर्म उनकी अनुमति के बिना उनका नाम,आवाज़,तस्वीर या अन्य पहचान का उपयोग नहीं कर सकेगा। यह फैसला भारतीय मनोरंजन जगत के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है,क्योंकि इससे पहले ऐश्वर्या राय बच्चन और अभिषेक बच्चन को भी इसी तरह की राहत मिल चुकी है।
यह मामला पहली बार सोमवार, 15 सितंबर को अदालत में पहुँचा था। सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति मनमीत पी.एस. अरोड़ा ने कहा कि वह करण जौहर द्वारा उठाए गए तमाम मुद्दों पर विचार करेंगी। इनमें सबसे अहम उनके नाम और तस्वीर का इस्तेमाल करके अवैध रूप से सामान बेचना,फर्जी प्रोफाइल बनाना,डोमेन नाम का दुरुपयोग करना और अश्लील सामग्री के लिए उनके व्यक्तित्व का उपयोग करना था। जौहर की ओर से यह भी दलील दी गई कि उनकी तस्वीरों वाले मग,टी-शर्ट और अन्य उत्पाद ऑनलाइन बेचे जा रहे हैं,जो पूरी तरह से अवैध है।
करण जौहर की ओर से पेश वकील राजशेखर राव ने कोर्ट को बताया कि विभिन्न संस्थाएँ और व्यक्ति उनकी सहमति के बिना उनके नाम,तस्वीर और आवाज़ का इस्तेमाल करके आर्थिक लाभ उठा रहे हैं। यह न केवल उनके व्यक्तित्व अधिकार का उल्लंघन है,बल्कि उनकी गरिमा और गोपनीयता को भी ठेस पहुँचाने वाला कदम है। उन्होंने जोर देकर कहा कि व्यक्तित्व अधिकार हर नागरिक का मौलिक अधिकार है और सार्वजनिक जीवन में सक्रिय हस्तियों को इसकी और भी ज्यादा सुरक्षा मिलनी चाहिए।
दूसरी ओर,फेसबुक,इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप के मालिकाना हक रखने वाली मेटा प्लेटफॉर्म्स के वकील ने अदालत के सामने तर्क दिया कि चिन्हित की गई कई टिप्पणियाँ वास्तव में मानहानिकारक नहीं थीं। उन्होंने कहा कि यह सामान्य लोग हैं,जो केवल चर्चा कर रहे हैं या व्यंग्यात्मक टिप्पणी कर रहे हैं। वकील ने यहाँ तक कहा कि यदि इस तरह के मामलों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया,तो भारी संख्या में मुकदमे दर्ज होने लगेंगे। उन्होंने अदालत से यह भी आग्रह किया कि सामान्य अभिव्यक्ति और वास्तविक मानहानि के बीच अंतर किया जाना चाहिए।
हालाँकि,अदालत ने इस दलील को पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया और माना कि किसी भी सार्वजनिक हस्ती की तस्वीर,आवाज़ या नाम का बिना अनुमति व्यावसायिक उपयोग उनके अधिकारों का उल्लंघन है। अदालत का यह फैसला खासकर उस दौर में अहम है,जब सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर मशहूर हस्तियों के नाम और तस्वीरों का गलत तरीके से इस्तेमाल करने के मामले लगातार बढ़ रहे हैं।
करण जौहर से पहले ऐश्वर्या राय बच्चन और अभिषेक बच्चन ने भी अदालत का दरवाजा खटखटाया था। उन्हें भी न्यायालय से पर्सनैलिटी राइट्स के मामले में राहत मिली थी। तब अदालतों ने आदेश दिया था कि उनकी तस्वीरों और आवाज़ को बिना अनुमति के उपयोग नहीं किया जा सकता और किसी भी भ्रामक या अपमानजनक सामग्री में उन्हें चित्रित करना उनकी गोपनीयता और गरिमा का उल्लंघन होगा। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया था कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) जैसी आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल यदि किसी के चरित्र को नुकसान पहुँचने के लिए किया जाता है,तो यह पूरी तरह अवैध है।
करण जौहर का मामला इस मायने में और भी अहम है कि वे न सिर्फ एक सफल फिल्मकार हैं,बल्कि भारतीय पॉप कल्चर के बड़े चेहरे भी हैं। उनके शो,इंटरव्यू और सोशल मीडिया उपस्थिति उन्हें एक मजबूत सार्वजनिक पहचान देते हैं। ऐसे में उनके नाम और तस्वीर का व्यावसायिक उपयोग ब्रांड्स और अन्य कंपनियों के लिए एक आकर्षक माध्यम हो सकता है,लेकिन अदालत के इस आदेश के बाद किसी भी संस्था को उनकी अनुमति के बिना ऐसा करने की इजाजत नहीं होगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला भारतीय फिल्म और मनोरंजन उद्योग के लिए एक मिसाल पेश करेगा। इससे उन कलाकारों और फिल्मकारों को मदद मिलेगी,जो अक्सर अपने नाम और पहचान के दुरुपयोग का शिकार होते हैं। खासकर डिजिटल युग में,जब ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर किसी की भी तस्वीर और नाम का इस्तेमाल करके प्रोडक्ट बेचना आसान हो गया है,ऐसे फैसले कलाकारों को कानूनी ढाल प्रदान करेंगे।
दिल्ली हाईकोर्ट का यह आदेश भारतीय न्याय व्यवस्था में पर्सनैलिटी राइट्स की अहमियत को रेखांकित करता है। करण जौहर के पक्ष में आया यह फैसला न केवल उनके लिए,बल्कि पूरे मनोरंजन जगत के लिए राहत की खबर है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि अदालत आगे की सुनवाई में इस मामले में और क्या ठोस कदम उठाती है और किस तरह से कलाकारों के व्यक्तित्व अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करती है।
