नई दिल्ली,13 नवंबर (युआईटीवी)- दिल्ली में हुए आतंकी हमले की जाँच में अब एक बड़ा मोड़ आ गया है। जाँच एजेंसियों को डॉक्टर उमर मोहम्मद उर्फ उमर उन नबी और डॉक्टर मुजम्मिल की ‘डायरी’ से कई अहम सुराग मिले हैं,जिनसे इस हमले की पूरी साजिश की परतें खुलने लगी हैं। इन डायरियों से यह स्पष्ट होता है कि यह हमला किसी आकस्मिक कार्रवाई का नतीजा नहीं था,बल्कि एक बेहद संगठित,योजनाबद्ध और लंबे समय से चल रही आतंकी साजिश का हिस्सा था।
सूत्रों के अनुसार,ये डायरी मंगलवार और बुधवार को जाँच एजेंसियों ने अलग-अलग जगहों से बरामद कीं। एक डायरी आतंकी उमर के कमरे नंबर-4 से और दूसरी मुजम्मिल के कमरे नंबर-13 से मिली। यह वही परिसर है,जहाँ से पहले 360 किलोग्राम विस्फोटक बरामद हुआ था। दोनों कमरे फरीदाबाद के धौज इलाके में अल फलाह विश्वविद्यालय से करीब 300 मीटर की दूरी पर स्थित हैं। जाँच टीम को संदेह है कि इन कमरों का इस्तेमाल आतंकियों ने न केवल विस्फोटक तैयार करने के लिए,बल्कि हमले की योजना को अंतिम रूप देने के लिए भी किया था।
बरामद डायरियों में कई कोड वर्ड्स का इस्तेमाल किया गया है,जिनका अर्थ समझने के लिए सुरक्षा एजेंसियाँ साइबर और क्रिप्टो विशेषज्ञों की मदद ले रही हैं। शुरुआती जाँच से यह सामने आया है कि डायरियों में विशेष रूप से 8 से 12 नवंबर के बीच की तारीखों का बार-बार उल्लेख किया गया है। यह वही समयावधि है,जब दिल्ली में हमला हुआ था,जिससे स्पष्ट है कि इन्हीं दिनों में आतंकी साजिश को अंजाम देने की योजना थी।
डायरियों में लगभग 25 नाम दर्ज हैं,जिनमें से कई जम्मू-कश्मीर और फरीदाबाद के रहने वाले बताए जा रहे हैं। इन सभी को अब जाँच के दायरे में लाया जा रहा है। एजेंसियों को शक है कि इनमें से कुछ लोग लॉजिस्टिक सपोर्ट,विस्फोटक सामग्री की सप्लाई और छिपने के ठिकाने मुहैया कराने में शामिल रहे होंगे।
जाँच में यह भी खुलासा हुआ है कि इस आतंकी मॉड्यूल की नींव वर्ष 2021 में रखी गई थी। बताया जा रहा है कि इसी वर्ष डॉक्टर मुजम्मिल ने अपने तीन विदेशी हैंडलर्स के माध्यम से उमर और उसके साथियों की मुलाकात करवाई थी। इसके बाद इन आतंकियों के बीच संपर्क बनाए रखने के लिए एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया गया,लेकिन जब एजेंसियों की निगरानी बढ़ी,तो उन्होंने ज्यादा सुरक्षित माध्यम का सहारा लिया और एक टेलीग्राम आईडी बनाई गई। इस आईडी को ‘वसीम’ नाम का व्यक्ति संचालित कर रहा था। जाँच एजेंसियों को शक है कि यह वसीम पाकिस्तान या अफगानिस्तान में बैठा कोई आतंकी हैंडलर हो सकता है।
इतना ही नहीं,जाँच में यह भी पता चला है कि उमर ने तीन महीने पहले सिग्नल ऐप पर एक और ग्रुप बनाया था। इस ग्रुप में सिर्फ दो से चार लोग शामिल थे,जो अत्यधिक गुप्त संवाद के लिए इस्तेमाल किया जाता था। माना जा रहा है कि इसी ग्रुप पर दिल्ली हमले की अंतिम रणनीति तय की गई थी।
एजेंसियों को डायरियों से एक और चौंकाने वाला खुलासा मिला है। आई-20 कार और ईको स्पोर्ट्स जैसी गाड़ियों में विस्फोटक भरने के बाद आतंकियों की योजना थी कि दो और पुरानी गाड़ियाँ तैयार की जाएँ। इन गाड़ियों में बड़ी मात्रा में विस्फोटक रखकर देश की राजधानी में किसी और भीड़भाड़ वाले इलाके या सरकारी प्रतिष्ठान को निशाना बनाया जाना था। यह योजना इसलिए भी खतरनाक थी क्योंकि इन वाहनों में ‘रिमोट डिटोनेशन सिस्टम’ लगाए जाने की बात भी लिखी मिली है,जिससे वे दूर से भी विस्फोट कर सकते थे।
10 नवंबर को जब सुरक्षा एजेंसियों ने दिल्ली आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया था,तब उन्होंने लगभग 2,900 किलोग्राम विस्फोटक बरामद किया था। यह मात्रा किसी बड़े पैमाने पर तबाही मचाने के लिए पर्याप्त थी। इस कार्रवाई में अब तक 7 संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। एजेंसियों का कहना है कि इन गिरफ्तार आतंकियों के तार सीमापार आतंकी संगठनों से जुड़े हैं,जो भारत में बड़े आतंकी हमले की साजिश रच रहे थे।
सूत्रों का कहना है कि उमर और मुजम्मिल दोनों पेशे से डॉक्टर थे,लेकिन उनके संबंध कट्टरपंथी संगठनों से लंबे समय से थे। दोनों को कई बार विदेश में संदिग्ध गतिविधियों में शामिल देखा गया था। माना जा रहा है कि इनका इस्तेमाल आतंकी संगठनों ने ‘इंटेलिजेंस गैदरिंग’ और ‘टेक्निकल सपोर्ट’ के लिए किया। दोनों के मेडिकल बैकग्राउंड की वजह से वे बिना शक के घूम-फिर सकते थे और विस्फोटक तैयार करने के वैज्ञानिक तरीकों को आसानी से समझ सकते थे।
अब जाँच एजेंसियों ने दोनों आतंकियों की डायरी से मिले कोड्स,नंबरों और संदिग्ध संपर्कों की डिटेल को डिकोड करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। एनआईए और इंटेलिजेंस ब्यूरो की टीमें इस केस में मिलकर काम कर रही हैं। एजेंसियों को उम्मीद है कि डायरी से मिले सुराग न केवल इस आतंकी हमले के पीछे के मास्टरमाइंड तक पहुंचने में मदद करेंगे,बल्कि देश के भीतर फैले उनके नेटवर्क का भी पर्दाफाश करेंगे।
जाँच अधिकारियों का कहना है कि इस केस में हर पन्ना नए राज खोल रहा है। उमर और मुजम्मिल की डायरी अब दिल्ली धमाके की पूरी साजिश समझने की ‘कुंजी’ बन गई है। एजेंसियों को उम्मीद है कि बहुत जल्द इस मामले से जुड़े बाकी फरार आतंकियों को भी गिरफ्तार कर लिया जाएगा और इस नेटवर्क को पूरी तरह समाप्त किया जा सकेगा।

