नई दिल्ली,4 नवंबर (युआईटीवी)- राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की आबोहवा लगातार विषैली होती जा रही है। मंगलवार सुबह भी शहर के आसमान पर धुंध और प्रदूषण की मोटी परत छाई रही,जिससे दृश्यता कम हो गई और लोगों को सांस लेने में तकलीफ महसूस हुई। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आँकड़ों के अनुसार,मंगलवार को दिल्ली की वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई। शहर के कई इलाकों में एक्यूआई (एयर क्वालिटी इंडेक्स) खतरनाक स्तर को पार कर चुका है। यह स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है और फिलहाल राहत के कोई संकेत नहीं दिख रहे।
सीपीसीबी की ताजा रिपोर्ट के अनुसार,राजधानी के लगभग 17 प्रमुख क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता बेहद खराब श्रेणी में दर्ज की गई है। राजधानी के व्यस्ततम इलाकों में से एक आईटीओ में एक्यूआई 347 दर्ज किया गया,जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है। वहीं आनंद विहार क्षेत्र में प्रदूषण का स्तर और भी चिंताजनक है,जहाँ एक्यूआई 392 तक पहुँच गया। कर्तव्य पथ पर वायु गुणवत्ता थोड़ी बेहतर जरूर रही,लेकिन वहाँ भी एक्यूआई 278 दर्ज किया गया,जो ‘खराब’ श्रेणी में गिना जाता है। राजधानी के उत्तरी इलाके जहांगीरपुरी में हालात और गंभीर हैं,जहाँ एक्यूआई 400 के पार पहुँच गया,जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है।
राजधानी में लगातार गिरती वायु गुणवत्ता के बीच मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने स्थिति को गंभीरता से लेते हुए सभी संबंधित विभागों को सख्त निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने चेतावनी दी है कि प्रदूषण नियंत्रण में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सीएम गुप्ता ने कहा कि “दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। नागरिकों के स्वास्थ्य से समझौता किसी भी कीमत पर स्वीकार्य नहीं है।”
सोमवार को मुख्यमंत्री ने राजधानी में प्रदूषण नियंत्रण से संबंधित उपायों की विस्तृत समीक्षा बैठक की। इस बैठक में पर्यावरण विभाग,परिवहन विभाग,नगर निगम और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि सभी विभाग तत्काल प्रभाव से प्रदूषण रोकथाम के लिए अतिरिक्त टीमें गठित करें और फील्ड स्तर पर गश्त बढ़ाएँ। उन्होंने कहा कि औद्योगिक इकाइयों में प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए और निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण उपायों का सख्ती से पालन सुनिश्चित किया जाए।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने यह भी स्पष्ट किया कि लक्ष्य केवल प्रदूषण के स्तर को घटाना नहीं,बल्कि उसकी वृद्धि को पूरी तरह रोकना है। उन्होंने कहा कि “प्रदूषण नियंत्रण केवल एक औपचारिकता नहीं है,बल्कि यह एक जनस्वास्थ्य मिशन है। अगर किसी स्तर पर लापरवाही पाई गई,तो संबंधित अधिकारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।” उन्होंने यह भी कहा कि इस बार सरकार ‘नो टॉलरेंस’ नीति पर काम करेगी और किसी भी विभाग को ढिलाई की छूट नहीं दी जाएगी।
कूड़ा जलाने की घटनाओं को प्रदूषण का प्रमुख कारण बताते हुए मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया है कि ऐसे मामलों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए। इसके लिए विशेष निगरानी टीमें गठित की जा रही हैं,जो 24 घंटे निरीक्षण करेंगी और उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना लगाने के साथ-साथ कानूनी कार्रवाई भी करेंगी। रेखा गुप्ता ने कहा कि “कूड़ा जलाना पर्यावरण के लिए गंभीर अपराध है। ऐसी हरकत करने वालों को अब भारी जुर्माने और सख्त दंड का सामना करना पड़ेगा।”
मुख्यमंत्री ने पड़ोसी राज्यों के साथ भी बेहतर समन्वय की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि दिल्ली की वायु गुणवत्ता सुधारने के लिए हरियाणा,उत्तर प्रदेश और पंजाब सरकारों के साथ मिलकर संयुक्त रणनीति बनाई जा रही है। उन्होंने बताया कि “दिल्ली अकेले इस समस्या से नहीं निपट सकती। हमें क्षेत्रीय स्तर पर मिलकर काम करना होगा ताकि प्रदूषण के स्रोतों पर नियंत्रण पाया जा सके।”
इसी बीच,राजधानी के कई हिस्सों में बढ़ते प्रदूषण ने लोगों की दिनचर्या पर असर डालना शुरू कर दिया है। सुबह के समय धुंध की मोटी चादर के कारण सड़कों पर दृश्यता घट गई,जिससे वाहन चालकों को परेशानी हुई। कई स्कूलों ने छात्रों के स्वास्थ्य को देखते हुए खेलकूद गतिविधियाँ अस्थायी रूप से स्थगित कर दी हैं। वहीं अस्पतालों में सांस और एलर्जी से जुड़ी शिकायतों वाले मरीजों की संख्या भी बढ़ी है।
पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली की वायु गुणवत्ता को सुधारने के लिए केवल सरकारी कदम पर्याप्त नहीं होंगे। नागरिकों को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी,जैसे निजी वाहनों का सीमित प्रयोग,सार्वजनिक परिवहन का उपयोग और खुले में कचरा जलाने जैसी गतिविधियों से परहेज। विशेषज्ञों के मुताबिक,अगर तुरंत प्रभावी कदम नहीं उठाए गए,तो आने वाले हफ्तों में हालात और गंभीर हो सकते हैं।
फिलहाल दिल्ली की हवा में जहर घुल चुका है और राहत के आसार कम नजर आ रहे हैं। सरकार के सख्त कदमों और जनता की जागरूकता से ही राजधानी को इस दमघोंटू स्थिति से बचाया जा सकता है। सीएम रेखा गुप्ता के नेतृत्व में प्रशासन ने भले ही सख्त रुख अपनाया है,लेकिन यह जंग तभी जीती जा सकती है,जब हर नागरिक इसमें अपना योगदान दे।
