दिल्ली प्रदूषण

दीपावली के बाद दिल्ली की हवा फिर ‘जहरीली’: एक्यूआई 345 पहुँचा ‘बहुत खराब’ श्रेणी में,स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने दी चेतावनी

नई दिल्ली,22 अक्टूबर (युआईटीवी)- राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की हवा एक बार फिर से सांस लेने लायक नहीं रही है। दीपावली के उत्सव के बाद बुधवार सुबह दिल्ली और आसपास के इलाकों में घनी धुंध की परत छाई रही,जिससे दृश्यता बेहद कम हो गई। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के ताज़ा आँकड़ों के मुताबिक,सुबह 5:30 बजे दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 345 दर्ज किया गया,जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है। इस स्तर पर हवा में प्रदूषण के कण इतने अधिक होते हैं कि यह स्वस्थ लोगों पर भी असर डाल सकता है,जबकि अस्थमा और हृदय रोगियों के लिए यह स्थिति बेहद खतरनाक होती है।

दीपावली के बाद वायु गुणवत्ता में यह गिरावट कोई नई बात नहीं है। पिछले कई वर्षों से हर सर्दी में दिल्ली धुएँ और धुंध की मोटी चादर में लिपट जाती है। इस बार भी स्थिति कुछ अलग नहीं रही। सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय समयसीमा और ‘ग्रीन पटाखों’ के अलावा अन्य पटाखों पर पाबंदी के बावजूद राजधानी के कई हिस्सों में नियमों का उल्लंघन हुआ। दीपावली की रात पटाखों की गूँज और धुएँ से शहर की हवा और भी खराब हो गई।

मंगलवार को दिल्ली के कई मॉनिटरिंग स्टेशनों पर एक्यूआई का स्तर 500 से पार पहुँच गया,जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है। यह स्थिति बताती है कि कुछ इलाकों में हवा में प्रदूषक तत्वों की मात्रा सामान्य सीमा से आठ गुना अधिक थी। सीपीसीबी के अनुसार मंगलवार का औसत 24 घंटे का एक्यूआई 351 दर्ज किया गया,जो सोमवार के 345 से भी अधिक था। इसका अर्थ यह है कि हवा लगातार जहरीली हो रही है और राहत के आसार फिलहाल नजर नहीं आ रहे।

मंगलवार को प्रदूषण के मुख्य स्रोत यानी सूक्ष्म प्रदूषक कण (पीएम 2.5) का औसत स्तर 488 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रिकॉर्ड किया गया,जबकि सामान्य सीमा 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर मानी जाती है। इसका मतलब यह है कि हवा में मौजूद प्रदूषक खतरनाक स्तर पर पहुँच गए हैं। डॉक्टरों के अनुसार,इस स्तर का प्रदूषण शरीर पर तुरंत असर डालता है। राजधानी के अस्पतालों में सांस की तकलीफ,आँखों में जलन,सिरदर्द,खांसी,फ्लू जैसे मामलों में अचानक वृद्धि दर्ज की गई है। कई लोगों को जोड़ों में दर्द और थकान की शिकायतें भी होने लगी हैं।

एम्स के एक वरिष्ठ फेफड़ा रोग विशेषज्ञ ने बताया कि इस समय हवा में सूक्ष्म कण इतने अधिक हैं कि वे फेफड़ों की झिल्ली में प्रवेश कर सकते हैं और लंबे समय तक स्वास्थ्य पर असर डाल सकते हैं। उन्होंने कहा, “ऐसे दिनों में सुबह या रात के समय टहलने से बचना चाहिए क्योंकि इन घंटों में प्रदूषण का स्तर सबसे ज्यादा होता है। बच्चों और बुजुर्गों को विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए।”

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने लोगों को सलाह दी है कि वे जरूरत पड़ने पर एन95 मास्क का इस्तेमाल करें,बाहर जाते समय आँखों को ढकें और घर के अंदर एयर प्यूरीफायर का प्रयोग करें। साथ ही,खिड़कियाँ और दरवाजे अधिक देर तक खुले न रखें,ताकि बाहर की जहरीली हवा अंदर न आए। विशेषज्ञों का कहना है कि यह समस्या तब तक बनी रहेगी,जब तक हवा की दिशा बदलकर प्रदूषक तत्वों को शहर से बाहर नहीं ले जाती।

दिल्ली में वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए प्रशासन ने भी सतर्कता बढ़ा दी है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने संकेत दिया है कि ‘ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान’ (ग्रेप) का दूसरा चरण यानी ग्रेप-2 लागू किया जा सकता है। इस चरण के तहत कई सख्त कदम उठाए जाएँगे। इनमें डीजल जनरेटरों के इस्तेमाल पर पाबंदी (जरूरी सेवाओं को छोड़कर),निर्माण और ध्वस्तीकरण गतिविधियों पर नियंत्रण,सड़क धूल पर अंकुश और वाहनों से निकलने वाले धुएँ की निगरानी के लिए टास्क फोर्स की तैनाती शामिल है।

दिल्ली सरकार ने भी कहा है कि वह प्रदूषण पर काबू पाने के लिए सभी संबंधित एजेंसियों से समन्वय कर रही है। पर्यावरण विभाग के अधिकारियों के अनुसार,ग्रेप के तहत सड़क पर पानी का छिड़काव बढ़ाया जाएगा,ताकि उड़ती धूल को रोका जा सके। साथ ही,ट्रैफिक जाम वाले इलाकों में निगरानी बढ़ाई जाएगी,ताकि वाहन उत्सर्जन पर नियंत्रण रखा जा सके।

दिल्ली की हवा के बिगड़ने में पड़ोसी राज्यों से आने वाले पराली धुएँ की भी बड़ी भूमिका होती है। पंजाब,हरियाणा और उत्तर प्रदेश के खेतों से उठने वाला धुआं हवा के साथ दिल्ली तक पहुँचता है और यहाँ के स्थानीय प्रदूषण के साथ मिलकर जहरीली स्मॉग की परत बना देता है। विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक पराली जलाने पर कड़ा नियंत्रण नहीं होगा और वाहनों का प्रदूषण कम नहीं किया जाएगा,तब तक दिल्ली की सांस हर साल इसी तरह दूषित होती रहेगी।

इस समय दिल्ली में हवा की गुणवत्ता इतनी खराब है कि सामान्य व्यक्ति को भी गले में खराश और आँखों में चुभन महसूस हो रही है। स्कूल जाने वाले बच्चों और कामकाजी लोगों के लिए यह स्थिति अत्यंत चिंताजनक है। हालाँकि,मौसम विभाग का कहना है कि आने वाले कुछ दिनों में यदि हवा की गति बढ़ी तो प्रदूषण के स्तर में हल्की गिरावट आ सकती है,लेकिन फिलहाल राजधानी पर जहरीली हवा का संकट बरकरार है। दीपावली की रोशनी भले ही अब बुझ चुकी हो,लेकिन उसके बाद छोड़े गए धुएँ ने दिल्ली की आबोहवा को फिर से धुंधला और दमघोंटू बना दिया है।