न्यूयॉर्क,2 अगस्त (युआईटीवी)- अमेरिकी राजनीति और वैश्विक कूटनीति एक बार फिर से गरमा गई है,जहाँ अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के पूर्व राष्ट्रपति तथा वर्तमान में रूसी संघ की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष दिमित्री मेदवेदेव के बीच वाकयुद्ध गंभीर मोड़ लेता जा रहा है। इस तनावपूर्ण स्थिति के बीच ट्रंप ने रूस की ओर से आ रहे भड़काऊ बयानों के मद्देनज़र दो परमाणु पनडुब्बियों को “उपयुक्त स्थानों” पर तैनात करने का आदेश दे दिया है।
इस घटनाक्रम की शुरुआत मेदवेदेव के एक तीखे टेलीग्राम पोस्ट से हुई,जिसमें उन्होंने ट्रंप के हालिया बयानों को युद्ध भड़काने वाला बताया। इसके जवाब में ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर एक कड़ा संदेश जारी करते हुए कहा कि उन्होंने अमेरिका की दो अत्याधुनिक परमाणु पनडुब्बियों को रणनीतिक क्षेत्रों में तैनात करने का आदेश दिया है। ट्रंप ने कहा, “रूस के पूर्व राष्ट्रपति और वर्तमान में रूसी संघ की सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष दिमित्री मेदवेदेव के अत्यंत भड़काऊ और गैर-जिम्मेदार बयानों को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है।”
ट्रंप ने अपने पोस्ट में चेतावनी भरे अंदाज़ में लिखा, “शब्द बहुत मायने रखते हैं और वे कभी-कभी ऐसे नतीजे ला सकते हैं,जो बोले जाने वाले के लिए भी अनचाहे होते हैं। मैं आशा करता हूँ कि इस मामले में ऐसा न हो।” हालाँकि,ट्रंप ने यह स्पष्ट नहीं किया कि कौन सी पनडुब्बियाँ कहाँ भेजी गई हैं,लेकिन जानकारों का मानना है कि यह कदम न केवल रूस को संदेश देने के लिए है,बल्कि ट्रंप की राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति गंभीरता को भी दर्शाता है।
विवाद की शुरुआत उस समय हुई,जब ट्रंप ने यूक्रेन-रूस युद्ध पर हस्तक्षेप करते हुए यह दावा किया कि यदि उन्हें दोबारा सत्ता मिली तो वे इस युद्ध को 50 दिनों में समाप्त करवा देंगे। इसके कुछ ही समय बाद उन्होंने अपनी उस समयसीमा को घटाकर मात्र 10 दिन कर दिया,जिससे रूस की ओर से तीखी प्रतिक्रिया आई। मेदवेदेव ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर एक पोस्ट में लिखा कि ट्रंप का हर नया अल्टीमेटम अमेरिका और रूस के बीच संभावित संघर्ष की ओर एक और कदम है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि ट्रंप केवल शब्दों के खेल से दुनिया को युद्ध की ओर धकेल रहे हैं।
ट्रंप के इस सैन्य कदम को न केवल एक राजनीतिक प्रतिक्रिया माना जा रहा है,बल्कि इसे रूस को एक स्पष्ट संदेश देने के रूप में भी देखा जा रहा है कि अमेरिका अपनी सामरिक तैयारी में किसी भी स्तर पर पीछे नहीं है। हालाँकि,अमेरिकी रक्षा मंत्रालय की ओर से अभी तक इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है,लेकिन रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि परमाणु पनडुब्बियों की तैनाती केवल चेतावनी के रूप में नहीं,बल्कि युद्धकालीन रणनीति के हिस्से के रूप में भी देखी जा सकती है।
ट्रंप के इस कदम से वैश्विक राजनीति में हलचल मच गई है। रूस ने अभी तक इस पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है,लेकिन क्रेमलिन के करीबी सूत्रों का मानना है कि ट्रंप का यह निर्णय “चुनावी राजनीति से प्रेरित और खतरनाक रणनीति” का हिस्सा है। रूस यह मानता है कि ट्रंप इस प्रकार के बयानों और कार्रवाइयों के ज़रिए अमेरिका में अपने दक्षिणपंथी समर्थकों को आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह मामला अब केवल बयानबाज़ी तक सीमित नहीं रहा,बल्कि यह डिजिटल युद्ध से आगे बढ़कर सैन्य तैनाती तक जा पहुँचा है,जो वैश्विक स्थिरता के लिए एक गंभीर संकेत है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की नजरें अब इस पर टिकी हैं कि क्या यह वाकयुद्ध किसी वास्तविक टकराव में बदल सकता है या यह सिर्फ कूटनीतिक दबाव बनाने का एक तरीका है।