वाशिंगटन,26 सितंबर (युआईटीवी)- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बड़ा कदम उठाते हुए चीन की लोकप्रिय वीडियो शेयरिंग ऐप टिकटॉक के अमेरिका में संचालन को लेकर नए समझौते को मंजूरी दे दी है। व्हाइट हाउस में गुरुवार को ट्रंप ने कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए और इस दौरान उन्होंने कहा कि इस सौदे को लेकर उनकी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी सकारात्मक बातचीत हुई है। ट्रंप ने साफ किया कि यह समझौता अमेरिका के हितों को ध्यान में रखते हुए किया गया है और अब टिकटॉक का अमेरिकी ऐप “अमेरिका में स्थापित एक नए संयुक्त उद्यम” द्वारा संचालित किया जाएगा।
इस आदेश के अनुसार,टिकटॉक अब किसी विदेशी शत्रु देश के नियंत्रण में नहीं रहेगा,बल्कि एक अमेरिकी कंपनी इसका संचालन करेगी। इस नई कंपनी का अधिकांश हिस्सा और नियंत्रण अमेरिकी निवेशकों और नागरिकों के पास होगा। इसका मतलब यह है कि टिकटॉक की अमेरिकी शाखा अब पूरी तरह से अमेरिकी कानूनों और डेटा गोपनीयता मानकों के तहत काम करेगी। इस कदम का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अमेरिकी नागरिकों का डेटा किसी भी सूरत में विदेशी कंपनियों या सरकारों के हाथ न लगे और इसे किसी प्रचार तंत्र के हथियार के रूप में इस्तेमाल न किया जा सके।
समझौते के मुताबिक,ओरेकल,सिल्वर लेक और कुछ अन्य अमेरिकी निवेशक इस नई अमेरिकी कंपनी में बहुमत हिस्सेदारी रखेंगे। वहीं,टिकटॉक की मूल कंपनी बाइटडांस,जो चीन की कंपनी हैइस संयुक्त उद्यम में 20 प्रतिशत से भी कम हिस्सेदारी रख पाएगी। यह व्यवस्था इस बात को सुनिश्चित करती है कि टिकटॉक के अमेरिकी वर्जन पर वास्तविक नियंत्रण अमेरिकी निवेशकों के पास रहेगा।
अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने इस सौदे की आर्थिक अहमियत को रेखांकित करते हुए कहा कि टिकटॉक यूएस का मूल्य 14 बिलियन डॉलर आंका गया है। वेंस ने कहा कि सरकार हमेशा से चाहती थी कि टिकटॉक अमेरिका में काम करता रहे,क्योंकि यह एक बेहद लोकप्रिय ऐप है और लाखों अमेरिकी युवा इसका इस्तेमाल करते हैं,लेकिन साथ ही यह भी ज़रूरी था कि देश की सुरक्षा और नागरिकों की निजता से कोई समझौता न हो। उनके अनुसार,इस समझौते के बाद अमेरिकी लोग टिकटॉक का इस्तेमाल और अधिक भरोसे के साथ कर पाएँगे,क्योंकि अब उनका डेटा अमेरिकी कानूनों के तहत संरक्षित रहेगा।
वेंस ने यह भी स्पष्ट किया कि इस डील का सबसे अहम पहलू टिकटॉक के एल्गोरिदम पर नियंत्रण है। उन्होंने कहा कि टिकटॉक की लोकप्रियता का राज़ इसका एल्गोरिदम है,जो यह तय करता है कि किसे कौन-सा कंटेंट दिखेगा। अब इस एल्गोरिदम का नियंत्रण भी अमेरिकी निवेशकों और कंपनी के पास रहेगा। वेंस ने जोर देकर कहा कि “हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हमारे लोग और हमारे निवेशक अपने व्यावसायिक हितों को ध्यान में रखकर निर्णय लें,न कि किसी दूसरी सरकार के प्रचार हितों के लिए।”
गौरतलब है कि अमेरिका में लंबे समय से टिकटॉक को लेकर विवाद बना हुआ था। ट्रंप प्रशासन ने पहले भी कई बार यह चिंता जताई थी कि टिकटॉक अमेरिकी नागरिकों का निजी डेटा चीन भेज सकता है और वहाँ की सरकार इसे अपने रणनीतिक या प्रचार उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल कर सकती है। राष्ट्रीय सुरक्षा और डेटा गोपनीयता को देखते हुए ही ट्रंप प्रशासन ने टिकटॉक पर प्रतिबंध लगाने तक की बात कही थी। हालाँकि,लाखों अमेरिकी युवाओं में इसकी लोकप्रियता को देखते हुए यह फैसला आसान नहीं था। ऐसे में नया समझौता एक तरह से बीच का रास्ता माना जा रहा है,जिसमें ऐप को अमेरिका में चलने की इजाजत भी मिल रही है और सुरक्षा से भी समझौता नहीं हो रहा।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह सौदा अमेरिका-चीन संबंधों की पृष्ठभूमि में भी अहम है। हाल के वर्षों में दोनों देशों के बीच व्यापार,तकनीक और सुरक्षा को लेकर लगातार तनाव बढ़ता रहा है। टिकटॉक विवाद इसी तनाव का एक हिस्सा था। इस समझौते से यह संदेश भी जाता है कि अमेरिका अपने राष्ट्रीय हितों से समझौता नहीं करेगा,भले ही मामला कितना भी लोकप्रिय प्लेटफॉर्म क्यों न हो।
दूसरी ओर,चीन की कंपनी बाइटडांस के लिए यह सौदा मिश्रित नतीजे वाला है। एक ओर उन्हें अमेरिका जैसे बड़े बाजार में टिकटॉक को चलाने की अनुमति मिल रही है,तो दूसरी ओर उन्हें अपने नियंत्रण और हिस्सेदारी में बड़ी कटौती करनी पड़ रही है। हालाँकि,विश्लेषक मानते हैं कि अमेरिकी बाजार में बने रहने के लिए यह उनके लिए एक जरूरी कदम था।
टिकटॉक के अमेरिकी उपयोगकर्ताओं के लिए यह समझौता राहत की खबर है। लंबे समय से वे इस आशंका में थे कि कहीं ऐप पर अचानक बैन न लग जाए,लेकिन अब जब संचालन पूरी तरह से अमेरिकी कंपनी के हाथ में होगा और डेटा सुरक्षा की गारंटी दी गई है,तो उपयोगकर्ताओं का भरोसा ऐप पर और बढ़ने की उम्मीद है।
डोनाल्ड ट्रंप के इस फैसले ने न केवल अमेरिका में टिकटॉक का भविष्य सुरक्षित कर दिया है,बल्कि यह भी सुनिश्चित कर दिया है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म पर विदेशी प्रभाव सीमित रहेगा। अब देखना यह होगा कि यह नया संयुक्त उद्यम किस तरह से ऐप को आगे बढ़ाता है और क्या यह अमेरिकी युवाओं की अपेक्षाओं पर खरा उतर पाता है। इस समझौते के साथ ही यह भी साफ हो गया है कि आने वाले समय में अमेरिका तकनीकी और डिजिटल क्षेत्र में किसी भी विदेशी कंपनी के नियंत्रण को लेकर और अधिक सतर्क रुख अपनाएगा।