अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (तस्वीर क्रेडिट@JaikyYadav16)

डोनाल्ड ट्रंप ने ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ पर 15 अरब डॉलर का मानहानि केस ठोका,मीडिया पर दशकों से झूठ फैलाने का लगाया आरोप

वाशिंगटन,16 सितंबर (युआईटीवी)- अमेरिका के राष्ट्रपति और रिपब्लिकन पार्टी के कद्दावर नेता डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार वह अपने राजनीतिक बयानों या चुनावी रैलियों की वजह से नहीं,बल्कि एक बड़े कानूनी विवाद को लेकर चर्चा में आए हैं। ट्रंप ने फ्लोरिडा की अदालत में देश के प्रमुख दैनिक समाचार पत्र ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ के खिलाफ 15 अरब डॉलर यानी लगभग 1.25 लाख करोड़ रुपये का मानहानि का मुकदमा दायर किया है। उनका आरोप है कि अखबार दशकों से उनके खिलाफ झूठ का अभियान चला रहा है और कट्टरपंथी वामपंथी डेमोक्रेटिक पार्टी का मुखपत्र बनकर कार्य कर रहा है।

ट्रंप ने यह मुकदमा दर्ज कराने के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर एक लंबा बयान साझा किया। इसमें उन्होंने लिखा कि उन्हें यह मुकदमा दायर करने का बड़ा सौभाग्य प्राप्त हुआ है। उनके मुताबिक, ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ न केवल उनके, बल्कि उनके परिवार,उनके व्यवसाय और उनके राजनीतिक आंदोलन को योजनाबद्ध तरीके से बदनाम करने का काम कर रहा है। उन्होंने तीखे शब्दों का इस्तेमाल करते हुए इस अखबार को देश के इतिहास के सबसे गिरे और पक्षपाती अखबारों में से एक करार दिया।

ट्रंप का कहना है कि ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ की रिपोर्टिंग में लगातार यह पैटर्न देखने को मिलता है कि उन्हें,उनके समर्थकों और ‘अमेरिका फर्स्ट मूवमेंट’ को नकारात्मक रूप से प्रस्तुत किया जाता है। उनका आरोप है कि यह मीडिया संस्थान लंबे समय से डेमोक्रेटिक पार्टी और उसके नेताओं के समर्थन में खुलकर काम करता आया है। यहाँ तक कि उन्होंने दावा किया कि अखबार ने उनकी प्रतिद्वंद्वी कमला हैरिस को चुनावों में अप्रत्यक्ष रूप से लाभ पहुँचाने की कोशिश की है। ट्रंप के अनुसार,फ्रंट पेज पर कमला हैरिस की प्रमुख कवरेज अब तक का सबसे बड़ा अवैध चुनावी योगदान है।

अपने बयान में उन्होंने यह भी कहा कि ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ दशकों से उनके बारे में झूठ गढ़कर प्रकाशित करता रहा है। चाहे वह उनके कार्यकाल में लिए गए फैसले हों,उनके कारोबारी सौदे हों या फिर उनके परिवार से जुड़े मुद्दे,हर जगह अखबार ने उन्हें नकारात्मक रूप में पेश किया है। उन्होंने इस कवरेज को न केवल गलत बल्कि सुनियोजित साजिश बताया।

ट्रंप ने यह भी स्पष्ट किया कि यह पहला मौका नहीं है,जब उन्होंने किसी बड़े मीडिया संस्थान के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया हो। उन्होंने दावा किया कि पहले भी एबीसी,सीबीएस और पैरामाउंट जैसे मीडिया समूहों पर उन्होंने मुकदमे किए थे और उन मामलों में समझौते भी हुए। उदाहरण के तौर पर उन्होंने बताया कि एबीसी न्यूज ने उनके साथ कानूनी विवाद का निपटारा उनकी राष्ट्रपति लाइब्रेरी परियोजना के लिए 1.5 करोड़ डॉलर का दान देकर किया था। इसी तरह सीबीएस की मूल कंपनी पैरामाउंट ने भी उनके साथ एक विवाद का समाधान करते हुए 1.6 करोड़ डॉलर की रकम चुकाई थी।

ट्रंप ने कहा कि इन मामलों से यह साफ है कि मीडिया संगठनों ने दस्तावेजों और वीडियो में जानबूझकर फेरबदल कर उन्हें और उनके आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश की। उनके मुताबिक,इन संस्थानों की रिपोर्टिंग न केवल अनैतिक थी,बल्कि अवैध भी। अब उन्होंने ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ को भी कठघरे में खड़ा करते हुए कहा है कि लंबे समय से इस अखबार को झूठ और दुष्प्रचार फैलाने की खुली छूट मिली हुई थी,लेकिन अब यह सिलसिला खत्म होगा।

ट्रंप ने अपने बयान में यह भी जोड़ा कि मीडिया का यह पक्षपात अमेरिकी लोकतंत्र के लिए घातक है। उन्होंने कहा कि जब पत्रकारिता अपनी निष्पक्षता खो देती है और किसी एक राजनीतिक दल का औजार बन जाती है,तब वह लोकतंत्र की मूल आत्मा को नुकसान पहुँचाती है। उनके अनुसार, ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ इसी दिशा में काम कर रहा है और अब समय आ गया है कि इसे कानून के कठघरे में खड़ा किया जाए।

यह मुकदमा अमेरिकी राजनीति और मीडिया जगत में बड़ी हलचल मचाने वाला साबित हो सकता है। एक ओर जहाँ ट्रंप के समर्थक इसे उनके खिलाफ वर्षों से चल रहे ‘फेक न्यूज’ अभियान के खिलाफ न्याय की दिशा में उठाया गया साहसिक कदम बता रहे हैं,वहीं दूसरी ओर उनके आलोचक इसे सिर्फ राजनीतिक स्टंट करार दे रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इतनी बड़ी रकम का मानहानि दावा अदालत में साबित करना बेहद मुश्किल होगा,क्योंकि प्रेस की स्वतंत्रता अमेरिकी संविधान में मजबूत रूप से निहित है।

हालाँकि,ट्रंप पहले भी मीडिया पर बार-बार हमला बोलते रहे हैं। अपने राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान उन्होंने अक्सर ‘फेक न्यूज मीडिया’ शब्द का इस्तेमाल कर मुख्यधारा के कई बड़े समाचार चैनलों और अखबारों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए। उनका कहना है कि मीडिया का बड़ा वर्ग अमेरिकी जनता को गुमराह करने का काम करता है और जनता की असली आवाज को दबाता है।

इस पूरे विवाद का राजनीतिक असर भी गहरा हो सकता है। ट्रंप एक बार फिर 2028 के चुनावी अभियान की तैयारी कर रहे हैं और ऐसे में ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ जैसे बड़े संस्थान के खिलाफ इतना बड़ा केस दायर करना उन्हें अपनी पारंपरिक समर्थक वोट बैंक में और लोकप्रिय बना सकता है। यह कदम उन्हें ऐसे नेता के रूप में पेश करेगा,जो कथित ‘मुख्यधारा मीडिया’ से लड़ने का साहस रखता है।

दूसरी ओर, ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ की ओर से अब तक इस मुकदमे पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है,लेकिन संभावना यही है कि अखबार अदालत में प्रेस की स्वतंत्रता और सार्वजनिक हित में रिपोर्टिंग के अपने अधिकार का बचाव करेगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह मुकदमा आखिर किस दिशा में आगे बढ़ता है और क्या वाकई यह अमेरिकी मीडिया जगत के लिए एक ऐतिहासिक मोड़ साबित होगा।

डोनाल्ड ट्रंप बनाम ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ की यह कानूनी जंग आने वाले महीनों में अमेरिका की राजनीति,मीडिया और जनमत पर गहरा असर डाल सकती है। यह मुकदमा सिर्फ एक व्यक्ति और अखबार के बीच का विवाद नहीं है,बल्कि यह इस बात की परीक्षा भी है कि आधुनिक लोकतंत्र में प्रेस की स्वतंत्रता और राजनीतिक जवाबदेही के बीच संतुलन कैसे कायम रहेगा।