न्यूयॉर्क,20 जून (युआईटीवी)- अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 20 जून 2025 को एक बार फिर से अपनी विवादास्पद शैली में बयान दिया,जिसने राष्ट्रीय स्तर पर बहस को जन्म दे दिया। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ सोशल पर पोस्ट करते हुए अमेरिका में बढ़ती गैर-कार्यदिवसीय छुट्टियों पर चिंता जताई और दावा किया कि ऐसी छुट्टियों के कारण देश को “अरबों डॉलर” का आर्थिक नुकसान हो रहा है।
अपने पोस्ट में ट्रंप ने लिखा, “अमेरिका में बहुत सारी गैर-कामकाजी छुट्टियाँ हैं। इससे हमारे देश को अरबों डॉलर का नुकसान हो रहा है,क्योंकि इन छुट्टियों में सारी दुकानें और व्यवसाय बंद रहते हैं। कर्मचारी भी ऐसा नहीं चाहते हैं। जल्द ही हम साल के हर एक कार्य दिवस पर छुट्टी मनाने लगेंगे। अगर हम अमेरिका को फिर से महान बनाना चाहते हैं तो इसे बदलना होगा।”
हालाँकि,उन्होंने किसी अवकाश का नाम स्पष्ट रूप से नहीं लिया,लेकिन यह पोस्ट जूनटीन्थ अवकाश (19 जून) के अगले दिन,20 जून को की गई,जिससे यह कयास लगाए जा रहे हैं कि ट्रंप का इशारा इसी छुट्टी की ओर था।
जूनटीन्थ अमेरिका में दासप्रथा की समाप्ति की याद में मनाया जाने वाला महत्वपूर्ण दिवस है। 19 जून 1865 को टेक्सास के गैल्वेस्टन में संघीय सैनिकों ने अंतिम अश्वेत गुलामों को स्वतंत्र घोषित किया था। यह दिन अमेरिकी इतिहास में दासता की समाप्ति के प्रतीक के रूप में देखा जाता है और 2021 में इसे आधिकारिक संघीय अवकाश घोषित किया गया।
इस दिन अधिकांश संघीय कार्यालय,बैंक और डाक सेवाएँ बंद रहती हैं,हालाँकि छुट्टी के दिन निजी क्षेत्र के कई बड़े रिटेलर जैसे वॉलमार्ट,कॉस्टको,टारगेट और स्टारबक्स खुले रहते हैं।
ट्रंप के बयान का मूल तर्क यह है कि जितनी ज्यादा छुट्टियाँ होंगी,उतना ही उत्पादकता में गिरावट आएगी और आर्थिक नुकसान होगा। उनका मानना है कि कई गैर-कार्यदिवसीय छुट्टियाँ जैसे जूनटीन्थ,अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदेह हैं और इनका पुनर्विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी दावा किया कि “कर्मचारी भी छुट्टियाँ नहीं चाहते,”हालाँकि इस पर कोई सर्वे या आँकड़ा पेश नहीं किया गया।
ट्रंप के बयान को सामाजिक और राजनीतिक गलियारों में कई तरह की प्रतिक्रियाएँ मिलीं। कुछ दक्षिणपंथी समर्थकों ने इसे सही ठहराया और कहा कि अमेरिका को “वर्क कल्चर” पर लौटना चाहिए,जबकि कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और डेमोक्रेट नेताओं ने इस टिप्पणी को जूनटीन्थ जैसे ऐतिहासिक अवकाश का अपमान बताया।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार,जब व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट से पूछा गया कि ट्रंप इस दिन क्या कर रहे हैं या क्या कोई आधिकारिक बयान जारी किया गया है,तो उन्होंने कहा, “मुझे आज किसी आधिकारिक दस्तावेज पर हस्ताक्षर या उनके किसी सार्वजनिक कार्यक्रम की जानकारी नहीं है। मुझे बस इतना पता है कि आज एक सरकारी छुट्टी है।”
अर्थशास्त्री इस विषय पर विभाजित हैं। कुछ का मानना है कि छुट्टियाँ अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँचा सकती हैं,खासकर जब वे व्यापक रूप से व्यवसायों को बंद करवा देती हैं। वहीं कुछ अन्य विशेषज्ञ मानते हैं कि अवकाश से कर्मचारियों को मानसिक स्वास्थ्य लाभ मिलता है,जिससे दीर्घकालिक उत्पादकता बढ़ती है। इसके अलावा,पर्यटन,होटल और मनोरंजन क्षेत्रों में छुट्टियाँ आय बढ़ाने का भी जरिया बनती हैं।
डोनाल्ड ट्रंप का यह बयान न केवल आर्थिक बहस को जन्म देता है,बल्कि यह भी दिखाता है कि अमेरिका में छुट्टियों की सांस्कृतिक और सामाजिक मान्यताओं को लेकर मतभेद गहराते जा रहे हैं। विशेषकर जूनटीन्थ जैसे ऐतिहासिक महत्व के अवकाश पर सवाल उठाना,अश्वेत समुदाय और सामाजिक न्याय से जुड़े मुद्दों को फिर से चर्चा में ला देता है।
हालाँकि,ट्रंप ने सीधे तौर पर जूनटीन्थ का नाम नहीं लिया,लेकिन समय और संदर्भ को देखते हुए स्पष्ट है कि उनका इशारा उस अवकाश की ओर ही था। यह मुद्दा आने वाले चुनावों और राजनीतिक विमर्श में एक बड़ा विषय बन सकता है,खासकर जब अमेरिका की पहचान बहु-सांस्कृतिक समाज के रूप में हो रही हो।