अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (तस्वीर क्रेडिट@sengarlive)

डोनाल्ड ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान तनाव सुलझाने में अहम भूमिका निभाने का किया दावा,रूस-यूक्रेन युद्ध से जताई निराशा

लंदन,19 सितंबर (युआईटीवी)- अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर से अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर अपने बेबाक विचार सामने रखे हैं। ब्रिटेन की राजकीय यात्रा पर पहुँचे ट्रंप ने प्रधानमंत्री कीर स्टारमर के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कई अहम वैश्विक मसलों पर चर्चा की। इस अवसर पर उन्होंने विशेष रूप से भारत और पाकिस्तान के बीच इस वर्ष की शुरुआत में उत्पन्न तनाव का उल्लेख किया और दावा किया कि उस तनाव को कम करने और दोनों देशों को बातचीत के रास्ते पर लाने में उनकी अहम भूमिका रही।

बकिंघमशायर स्थित प्रधानमंत्री आवास ‘चेकर्स’ में आयोजित इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप ने कहा कि उनके कार्यकाल की सबसे बड़ी निराशा रूस-यूक्रेन युद्ध रहा। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने उन्हें निराश किया है। ट्रंप ने याद दिलाया कि उनके नेतृत्व में अमेरिका और रूस के बीच सात परमाणु समझौते हुए थे,लेकिन वे अपेक्षित परिणाम नहीं ला पाए। उन्होंने कहा, “हमने कई समझौते किए,लेकिन उनमें से ज्यादातर बेकार साबित हुए। इसके बावजूद भारत और पाकिस्तान के साथ व्यापार को आधार बनाकर समझौता सफल रहा और यही मेरी बड़ी उपलब्धि रही।”

ट्रंप ने इस बात का भी खुलासा किया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान दोनों को यह साफ संदेश दिया था कि अगर वे अमेरिका के साथ व्यापारिक संबंधों को मजबूत करना चाहते हैं,तो आपसी सहयोग और संवाद का रास्ता अपनाना होगा। उनके अनुसार,इसी दबाव और आग्रह ने दोनों देशों को गंभीरता से आगे बढ़ने और तनाव घटाने पर मजबूर किया। ट्रंप के दावे से एक बार फिर यह बहस तेज हो गई है कि क्या अमेरिका ने वास्तव में भारत-पाकिस्तान के बीच बैकडोर डिप्लोमेसी के जरिए भूमिका निभाई थी या फिर यह महज ट्रंप की अपनी राजनीतिक शैली है,जिसमें वे हर अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रम में अपनी भागीदारी का दावा करते हैं।

भारत के साथ अपने व्यक्तिगत संबंधों पर बात करते हुए ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि वह भारत के प्रधानमंत्री के बेहद करीब हैं और हाल ही में उनके जन्मदिन पर भी उनसे फोन पर बात हुई थी। ट्रंप ने कहा, “हमारे संबंध अच्छे हैं,लेकिन इसके बावजूद मैंने भारत पर व्यापारिक प्रतिबंध लगाए। अमेरिका के हितों से समझौता करना मेरे लिए संभव नहीं था।” ट्रंप का यह बयान उनकी राजनीतिक शैली को दर्शाता है,जिसमें वे व्यक्तिगत निकटता और कठोर नीतियों दोनों को एक साथ प्रस्तुत करते हैं।

रूस-यूक्रेन युद्ध पर बोलते हुए ट्रंप ने जोर देकर कहा कि इस संघर्ष का हल ऊर्जा बाजार में छिपा है। उनके अनुसार,अगर वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतें घटती हैं,तो रूस की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ेगा और पुतिन को युद्ध रोकने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। उन्होंने अपने कार्यकाल का हवाला देते हुए कहा कि उस समय उनकी नीतियों के कारण तेल की कीमतें काफी नीचे आ गई थीं,जिससे रूस पर दबाव बढ़ा। ट्रंप ने संकेत दिया कि यदि भविष्य में उन्हें फिर से अवसर मिला,तो वे ऊर्जा नीति को हथियार बनाकर इस युद्ध को समाप्त करने का प्रयास करेंगे।

चीन को लेकर भी ट्रंप ने सख्त रुख अपनाया। उन्होंने दावा किया कि चीन अमेरिका को भारी-भरकम टैरिफ चुका रहा है और यही रणनीति वे अन्य देशों पर भी लागू करना चाहते हैं। उनके अनुसार,मजबूत व्यापारिक दबाव से ही अमेरिका अपने हितों की रक्षा कर सकता है और यही नीति उन्होंने अपने कार्यकाल में अपनाई थी। ट्रंप ने यह भी जोड़ा कि रूस-यूक्रेन युद्ध का सीधा असर अमेरिका पर भले ही न हो,लेकिन दुनिया की स्थिरता पर इसका गहरा प्रभाव पड़ रहा है और वे उम्मीद कर रहे हैं कि निकट भविष्य में इस मोर्चे पर कुछ सकारात्मक संकेत मिलेंगे।

ब्रिटेन की इस यात्रा के दौरान ट्रंप ने अमेरिका-यूके संबंधों पर भी चर्चा की और प्रधानमंत्री कीर स्टारमर के साथ साझा एजेंडे पर सहयोग बढ़ाने का आश्वासन दिया। हालाँकि,मीडिया और विश्लेषकों की नजरें उनके उन बयानों पर टिक गईं जिनमें उन्होंने भारत-पाकिस्तान तनाव और रूस-यूक्रेन युद्ध का जिक्र किया। अंतर्राष्ट्रीय राजनीति के जानकार मानते हैं कि ट्रंप अक्सर अपने बयानों से चर्चा का केंद्र बनते हैं और उनके हालिया दावे इसी रणनीति का हिस्सा हैं।

ट्रंप के इन दावों का असर भारत और पाकिस्तान में अलग-अलग तरीके से महसूस किया जाएगा। भारत हमेशा से यह कहता रहा है कि उसके और पाकिस्तान के बीच के मुद्दे द्विपक्षीय हैं और किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की आवश्यकता नहीं है। वहीं पाकिस्तान बार-बार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हस्तक्षेप की माँग करता रहा है। ऐसे में ट्रंप का यह दावा पाकिस्तान के पक्ष में जाता दिखाई देता है,लेकिन भारत के लिए यह किसी हद तक असहज स्थिति पैदा कर सकता है।

ट्रंप के बयान ने एक बार फिर वैश्विक राजनीति में हलचल मचा दी है। जहाँ उन्होंने खुद को भारत-पाकिस्तान तनाव घटाने वाला कूटनीतिक खिलाड़ी बताया,वहीं रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर उन्होंने अपनी असफलता स्वीकार की। ट्रंप की यह दोहरी तस्वीर उनके राजनीतिक व्यक्तित्व की झलक देती है। एक ओर दृढ़ और आत्मविश्वासी नेता,जो अपनी भूमिका को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करता है और दूसरी ओर ऐसा राजनीतिज्ञ,जो असफलताओं को भी खुले तौर पर स्वीकार करता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि उनके इन बयानों का अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति पर क्या असर पड़ता है और भारत-पाकिस्तान समेत अन्य देश इन्हें किस नजर से देखते हैं।