अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (तस्वीर क्रेडिट@Mahsar_khan)

हमास पर डोनाल्ड ट्रंप का कड़ा बयान: कहा,“अगर चाहूँ तो हमास को तुरंत खत्म कर दूँ ”

वाशिंगटन,4 नवंबर (युआईटीवी)- अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में फिलिस्तीनी उग्रवादी संगठन हमास को लेकर तीखा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि अगर वह चाहें तो हमास को “तुरंत खत्म” कर सकते हैं। ट्रंप का यह बयान ऐसे समय में आया है,जब अमेरिका और इजरायल के बीच गाजा संघर्ष को लेकर लगातार रणनीतिक चर्चा चल रही है और दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग पहले से ज्यादा मजबूत माना जा रहा है।

इंटरव्यू में राष्ट्रपति ट्रंप ने हमास के प्रति सख्त रुख अपनाते हुए कहा, “अगर हमास ने अच्छा व्यवहार नहीं किया,तो उसे तुरंत खत्म कर दिया जाएगा। अगर मैं चाहूँ तो हमास को निशस्त्र कर सकता हूँ और इसे पूरी तरह समाप्त कर दूँगा। वे यह बात अच्छी तरह जानते हैं।” इस बयान से स्पष्ट है कि ट्रंप प्रशासन हमास के खिलाफ किसी भी संभावित कार्रवाई को लेकर पहले से तैयार है और अमेरिका हमास के हालिया व्यवहार को लेकर बेहद गंभीर नजर आ रहा है।

ट्रंप ने इस मौके पर इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की भी जमकर प्रशंसा की। उन्होंने कहा, “बेंजामिन नेतन्याहू बहुत प्रतिभाशाली व्यक्ति हैं। वे ऐसे व्यक्ति हैं,जिन पर पहले कभी दबाव नहीं डाला गया। मुझे नहीं लगता कि उनके साथ हमेशा अच्छा व्यवहार किया गया है,लेकिन मैंने उन पर दबाव डाला,क्योंकि मैं जानता हूँ कि वह परिस्थितियों को संभाल सकते हैं।” ट्रंप का यह बयान संकेत देता है कि अमेरिका इजरायल की वर्तमान रणनीति और नेतन्याहू की नेतृत्व क्षमता पर भरोसा करता है।

ट्रंप का यह बयान तब आया जब अमेरिका ने एक दिन पहले हमास पर गंभीर आरोप लगाते हुए एक वीडियो फुटेज जारी किया था। अमेरिकी सेंट्रल कमांड (सीईएनटीसीओएम) ने दावा किया कि गाजा में भेजी जा रही मानवीय सहायता को हमास के कार्यकर्ता लूट रहे हैं। अमेरिकी रक्षा विभाग द्वारा जारी ड्रोन वीडियो में कथित तौर पर दक्षिणी गाजा पट्टी के उत्तरी खान यूनिस क्षेत्र में कुछ संदिग्ध हमास कार्यकर्ता एक ट्रक से सहायता सामग्री लूटते नजर आ रहे हैं।

अमेरिकी सेंट्रल कमांड ने एक बयान में कहा, “दक्षिणी इजरायल के किर्यत गत शहर में स्थित अमेरिकी नेतृत्व वाले नागरिक-मिलिट्री समन्वय केंद्र (सीएमसीसी) ने देखा कि उत्तरी खान यूनिस में गाजा निवासियों के लिए भेजे गए एक सहायता ट्रक को संदिग्ध हमास कार्यकर्ता लूट रहे थे।” वीडियो सामने आने के बाद अमेरिका ने हमास पर यह आरोप लगाया कि वह अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा भेजी जा रही मानवीय मदद को जनता तक नहीं पहुँच रहा,बल्कि उसे अपने नियंत्रण में रख रहा है।

हालाँकि,हमास ने अमेरिका के इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। हमास के प्रवक्ता ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि यह “एक झूठा और भ्रामक आरोप” है,जिसका कोई सबूत नहीं है। हमास द्वारा संचालित गाजा सरकार के मीडिया कार्यालय ने कहा, “अमेरिकी सेंट्रल कमांड के आरोप झूठे हैं। उनके पास कोई ठोस प्रमाण नहीं है। यह बयान एक सुनियोजित दुष्प्रचार अभियान का हिस्सा है,जिसका उद्देश्य हमास को बदनाम करना और इजरायल की नीतियों को वैध ठहराना है।”

हमास ने कहा कि गाजा में सहायता वितरण अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों और स्थानीय समितियों के माध्यम से पारदर्शी तरीके से किया जा रहा है। संगठन ने अमेरिका पर इजरायल के हितों की रक्षा करने का आरोप लगाया और कहा कि वाशिंगटन की नीतियाँ पूरी तरह “एकतरफा” हैं।

इस पूरे घटनाक्रम ने गाजा संघर्ष को लेकर अंतर्राष्ट्रीय तनाव को और बढ़ा दिया है। अमेरिका जहाँ इजरायल के समर्थन में पूरी तरह खड़ा है,वहीं फिलिस्तीनी समूह हमास और उसके समर्थक देशों का कहना है कि अमेरिका संघर्ष को समाप्त करने के बजाय इसे और भड़का रहा है।

विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप का हालिया बयान केवल सैन्य चेतावनी नहीं,बल्कि एक राजनीतिक संदेश भी है। इससे यह संकेत मिलता है कि अमेरिका अब हमास के प्रति “शून्य सहिष्णुता” की नीति पर आगे बढ़ सकता है। ट्रंप ने जिस तरह से कहा कि “अगर मैं चाहूँ तो हमास को तुरंत खत्म कर दूँ,” उससे स्पष्ट है कि वाशिंगटन अब हमास के खिलाफ किसी बड़े कदम की संभावना से इनकार नहीं कर रहा।

इजरायल और हमास के बीच जारी संघर्ष ने गाजा पट्टी में मानवीय संकट को और गहरा कर दिया है। हजारों लोग विस्थापित हो चुके हैं और खाद्य व चिकित्सा सहायता की भारी कमी हो गई है। ऐसे में,जब अमेरिका की ओर से यह आरोप लगाया गया कि हमास राहत सामग्री लूट रहा है, तो इसने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में चिंता और बढ़ा दी है।

ट्रंप प्रशासन पहले भी हमास को एक “आतंकी संगठन” करार दे चुका है और उस पर कई प्रतिबंध लगा चुका है,लेकिन यह पहली बार है जब अमेरिकी राष्ट्रपति ने सार्वजनिक रूप से यह कहा है कि वह “हमास को तुरंत खत्म करने” की क्षमता और इच्छा रखते हैं। इससे इजरायल को निश्चित रूप से एक मजबूत राजनीतिक समर्थन मिला है,लेकिन साथ ही यह बयान मध्य पूर्व में तनाव को और भड़का सकता है।

फिलहाल,अमेरिकी प्रशासन ने यह नहीं बताया है कि ट्रंप के इस बयान के बाद कोई सैन्य कार्रवाई की योजना बनाई जा रही है या नहीं। परंतु यह साफ है कि अमेरिका और हमास के बीच टकराव अब केवल बयानबाजी तक सीमित नहीं रहा,बल्कि यह एक गंभीर कूटनीतिक और सैन्य विवाद का रूप ले चुका है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या ट्रंप प्रशासन अपने शब्दों को वास्तविक कार्रवाई में बदलता है या यह बयान केवल एक राजनीतिक चेतावनी भर साबित होता है।