नई दिल्ली,10 जून (युआईटीवी)- दिल्ली के द्वारका सेक्टर-13 स्थित ‘शब्द अपार्टमेंट’ में मंगलवार सुबह भयावह आग लगने की घटना ने राजधानी में रह रहे लोगों को एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या ऊँची इमारतों में रहने वाले नागरिक सुरक्षित हैं? सात मंजिला इस इमारत की ऊपरी मंजिल पर लगी आग ने कुछ ही देर में विकराल रूप धारण कर लिया और इमारत में अफरा-तफरी मच गई।
मंगलवार सुबह करीब 10 बजे जब लोग अपने रोजमर्रा के काम में व्यस्त थे,तभी अचानक ‘शब्द अपार्टमेंट’ की सातवीं मंजिल से धुएँ के गुबार उठने लगे। देखते ही देखते आग ने ऊपरी मंजिल को पूरी तरह से अपनी चपेट में ले लिया। आग लगने के बाद इमारत में रह रहे लोगों में दहशत फैल गई। कुछ लोगों ने जान बचाने के लिए इमारत से छलांग लगा दी,जिनमें से तीन की हालत गंभीर बताई जा रही है। उन्हें पास के अस्पताल में भर्ती कराया गया है,जहाँ उनका इलाज जारी है।
दमकल विभाग को आग लगने की सूचना सुबह 10 बजे मिली,जिसके बाद शुरुआती तौर पर आठ अग्निशमन वाहन मौके पर भेजे गए,लेकिन जैसे ही आग की गंभीरता का अंदाजा हुआ,तत्काल और पाँच वाहन भेजे गए। कुल मिलाकर 13 दमकल गाड़ियों ने मिलकर आग पर काबू पाने के लिए कई घंटे तक संघर्ष किया। साथ ही दिल्ली पुलिस की टीम ने भी इमारत से लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने में अहम भूमिका निभाई।
दमकल विभाग के अधिकारियों के अनुसार,आग इतनी तेजी से फैली कि ऊपरी मंजिलों पर मौजूद लोग फँस गए। ऐसे में जान बचाने के लिए कई लोगों को खिड़कियों और बालकनी से कूदना पड़ा। राहत की बात यह रही कि बचाव दल समय पर पहुँच गया,जिससे बड़े नुकसान से बचा जा सका।
प्राथमिक जाँच के अनुसार,आग लगने की वजह शॉर्ट सर्किट हो सकती है। हालाँकि,अभी इसकी पुष्टि नहीं हुई है। घटनास्थल की फॉरेंसिक जाँच जारी है और पुलिस तथा दमकल विभाग की संयुक्त टीम पूरे मामले की गहन जाँच कर रही है। अगर यह सच साबित होता है कि शॉर्ट सर्किट के कारण आग लगी,तो यह दिल्ली में ऊँची इमारतों की वायरिंग और बिजली आपूर्ति तंत्र पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
दिल्ली में आग लगने की घटनाएँ कोई नई बात नहीं हैं। इससे पहले दिलशाद गार्डन इलाके में एक मकान में आग लगने से दो लोगों की मौत हो चुकी है। मृतकों की पहचान 25 वर्षीय शशि और 55 वर्षीय बल्लू के रूप में हुई थी। इसके अलावा फ्रेंड्स कॉलोनी में भी एयर कंडीशनर के कंप्रेसर फटने से आग लगने की घटना सामने आ चुकी है।
इन घटनाओं की बढ़ती संख्या यह बताती है कि दिल्ली जैसे घनी आबादी वाले शहर में आग सुरक्षा को लेकर गंभीर खामियाँ मौजूद हैं। चाहे वो बिल्डिंग का स्ट्रक्चर हो, वायरिंग हो या फिर आपातकालीन निकास व्यवस्था,हर स्तर पर सुधार की आवश्यकता है।
इस घटना के बाद दिल्ली प्रशासन और नगर निगम की ज़िम्मेदारी बनती है कि वह बहुमंजिला इमारतों की सुरक्षा मानकों की दोबारा समीक्षा करें। हर सोसाइटी में नियमित रूप से फायर सेफ्टी ड्रिल कराई जाए,फायर अलार्म और आपातकालीन सीढ़ियों की जाँच हो और सभी निवासियों को आपदा के समय क्या करना है,इसकी जानकारी दी जाए।
इसके अलावा,बिजली विभाग को भी निर्देश दिए जाने चाहिए कि वे पुरानी इमारतों की वायरिंग की नियमित जाँच करें और जहाँ ज़रूरत हो वहाँ सुधार कार्य करवाएँ,क्योंकि आज के समय में ज़रा सी लापरवाही भी एक बड़े हादसे का कारण बन सकती है।
द्वारका के ‘शब्द अपार्टमेंट’ में हुई आग की घटना एक चेतावनी है कि अगर समय रहते सतर्कता नहीं बरती गई,तो ऐसे हादसे दोहराए जाते रहेंगे। लोगों की सुरक्षा को सर्वोपरि रखते हुए सरकार,प्रशासन और स्वयं नागरिकों को मिलकर इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे,क्योंकि जब सवाल जान की सुरक्षा का हो,तो कोई भी लापरवाही माफ़ी के योग्य नहीं होती।