नई दिल्ली,3 सितंबर (युआईटीवी)- पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान में आए विनाशकारी भूकंप के बाद,चिंता और निराशा उसकी सीमाओं से बहुत दूर तक फैल रही है। दिल्ली में रहने वाले अफ़ग़ानों के लिए,यह त्रासदी बेहद नज़दीक लग रही है क्योंकि उनके घर-परिवार और दोस्तों के फ़ोन लाइन बंद पड़े हैं।
राजधानी के लाजपत नगर और भोगल इलाकों में,जहाँ एक बड़ा शरणार्थी समुदाय रहता है,कई अफ़गान भूकंप प्रभावित प्रांतों में अपने प्रियजनों से संपर्क करने की बेताब कोशिश कर रहे हैं। घंटों तक,कॉल का कोई जवाब नहीं मिला और सन्नाटे ने उनके डर को और गहरा कर दिया है।
दिल्ली में रहने वाले एक अफ़ग़ान छात्र अहमद ने कहा, “हमें नहीं पता कि हमारे परिवार सुरक्षित हैं या नहीं। हर मिनट एक साल जैसा लगता है। हमें सिर्फ़ टीवी चैनलों से ही ख़बरें मिलती हैं,लेकिन हमारे गाँवों के बारे में कुछ नहीं।”
हाल के वर्षों में आए सबसे विनाशकारी भूकंपों में से एक,इस भूकंप में सैकड़ों लोग मारे गए और हज़ारों घायल हुए हैं,जिससे स्थानीय बुनियादी ढाँचा पूरी तरह से ध्वस्त हो गया है। दिल्ली में,सामुदायिक नेता प्रार्थना करने और गैर-सरकारी संगठनों व अंतर्राष्ट्रीय सहायता एजेंसियों के माध्यम से राहत सामग्री जुटाने के तरीकों पर चर्चा करने के लिए एकत्रित होने लगे हैं।
भारत में सुरक्षित जीवन बसर करने के लिए संघर्ष से भागे कई अफ़गानों के लिए,यह आपदा उस पीड़ा की एक क्रूर याद दिलाती है जो उनके वतन पर आज भी छाया हुआ है। दो बच्चों की माँ फ़ातिमा ने आँखों में आँसू भरते हुए कहा,”हम भले ही दूर हों,लेकिन हमारा दिल अब भी अफ़गानिस्तान में है।”
जैसे-जैसे समुदाय अपडेट की प्रतीक्षा कर रहा है,आशा भय के साथ घुल-मिल रही है तथा दिल्ली में अफगान परिवारों में बचने के लिए प्रार्थनाएँ गूँज रही हैं।