नई दिल्ली,26 अगस्त (युआईटीवी)- दिल्ली की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली के पूर्व मंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता सौरभ भारद्वाज के आवास सहित कुल 13 ठिकानों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई कथित रूप से 5,590 करोड़ रुपये के अस्पताल निर्माण घोटाले से जुड़ी हुई बताई जा रही है। जैसे ही ईडी की यह कार्रवाई सामने आई,आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार और एजेंसियों पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार ईडी और सीबीआई जैसी एजेंसियों का दुरुपयोग कर विपक्षी नेताओं की आवाज दबाने की कोशिश कर रही है।
अरविंद केजरीवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा कि सौरभ भारद्वाज के घर ईडी की रेड सरकार द्वारा एजेंसियों के दुरुपयोग का एक और उदाहरण है। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद शायद ही किसी राजनीतिक दल को इस तरह से टारगेट किया गया हो,जैसा आम आदमी पार्टी को किया जा रहा है। केजरीवाल ने आगे लिखा कि असल वजह यह है कि ‘आप’ सरकार की गलत नीतियों और भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे मुखर आवाज है। सरकार चाहती है कि यह आवाज थम जाए,लेकिन ऐसा कभी नहीं होगा। उन्होंने दो टूक कहा कि आम आदमी पार्टी डरने वाली नहीं है और वह हमेशा की तरह देशहित में आवाज उठाती रहेगी।
इसी क्रम में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी केंद्र सरकार पर सीधा हमला बोला। उन्होंने दावा किया कि सोमवार को पूरे देश ने प्रधानमंत्री की डिग्री को लेकर सवाल उठाए और जब उस पर सवालों का जवाब नहीं दिया जा सका,तो ध्यान भटकाने के लिए ईडी ने सौरभ भारद्वाज पर रेड डलवाई। सिसोदिया ने अपने पोस्ट में लिखा कि जिस दौर का केस बताया जा रहा है,उस समय सौरभ भारद्वाज मंत्री भी नहीं थे। इसका साफ मतलब है कि जैसे प्रधानमंत्री की डिग्री फर्जी है,वैसे ही यह केस भी फर्जी है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि सत्येंद्र जैन को तीन साल जेल में रखा गया,ईडी और सीबीआई ने तमाम कोशिशें कीं लेकिन एक भी सबूत नहीं मिला। यही हकीकत इस मामले की भी है।
सिसोदिया ने इस पूरी कार्रवाई को भाजपा की राजनीतिक साजिश बताते हुए कहा कि यह लड़ाई भ्रष्टाचार की नहीं बल्कि आम आदमी पार्टी की ईमानदारी को दबाने की है। उन्होंने कहा कि सरकार को असल डर ‘आप’ की बढ़ती लोकप्रियता और उसकी पारदर्शी राजनीति से है।
सौरभ भारद्वाज के घर ED की रेड मोदी सरकार द्वारा एजेंसीज के दुरुपयोग का एक और मामला है।
मोदी सरकार आम आदमी पार्टी के पीछे पड़ गई है। जिस तरह “आप” को टारगेट किया जा रहा है, ऐसे इतिहास में किसी पार्टी को नहीं किया गया।
“आप” को इसलिए टारगेट किया जा रहा है क्योंकि मोदी सरकार की…
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) August 26, 2025
उधर,ईडी की कार्रवाई को लेकर भाजपा नेताओं का कहना है कि यह छापेमारी पूरी तरह कानूनी है और तथ्यों पर आधारित है। उनका तर्क है कि 2018-2019 में दिल्ली सरकार ने 24 अस्पतालों के निर्माण के लिए 5,590 करोड़ रुपये की परियोजना को मंजूरी दी थी। इनमें आईसीयू अस्पताल भी शामिल थे,जिनका निर्माण छह महीने में पूरा होना था,लेकिन तीन साल बाद भी काम अधूरा है और धन के उपयोग पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। भाजपा का आरोप है कि इस पूरी परियोजना में भारी गड़बड़ी हुई है और इसी वजह से ईडी जाँच कर रही है।
हालाँकि,आम आदमी पार्टी का कहना है कि भाजपा नेताओं के आरोप निराधार हैं और यह सब राजनीति से प्रेरित है। पार्टी का दावा है कि दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाओं में पिछले वर्षों में उल्लेखनीय सुधार हुआ है और भाजपा इन सुधारों को पचा नहीं पा रही। पार्टी नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार चाहती है कि ‘आप’ को कमजोर किया जाए,क्योंकि वह भाजपा की सत्ता और उसकी नीतियों को खुलकर चुनौती देती है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस पूरे घटनाक्रम के दो बड़े पहलू हैं। पहला यह कि जब भी आम आदमी पार्टी या उसके नेता सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हैं,उसके तुरंत बाद उन पर एजेंसियों की कार्रवाई होती है। इससे यह धारणा बन रही है कि केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल विपक्षी नेताओं को डराने और दबाने के लिए किया जा रहा है। दूसरा पहलू यह है कि भाजपा आम आदमी पार्टी को एक बड़ी चुनौती के रूप में देख रही है,खासकर दिल्ली और पंजाब में उसके बढ़ते प्रभाव को देखते हुए।
इससे पहले भी आम आदमी पार्टी के कई नेताओं पर इसी तरह की जाँच और कार्रवाई हो चुकी है। मनीष सिसोदिया खुद कथित शराब नीति घोटाले के मामले में लंबे समय से जेल में हैं,वहीं सत्येंद्र जैन को भी इसी तरह ईडी ने गिरफ्तार किया था,लेकिन अब तक इन मामलों में ठोस सबूत सामने नहीं आ पाए हैं,जिससे ‘आप’ को यह कहने का मौका मिल रहा है कि ये सभी केस फर्जी हैं।
ईडी की इस छापेमारी ने दिल्ली की राजनीति में हलचल मचा दी है। भाजपा इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई बता रही है,जबकि आम आदमी पार्टी इसे राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित बता रही है। सच्चाई क्या है,यह तो आने वाले समय में जाँच से सामने आएगा,लेकिन इतना तय है कि इस घटना ने एक बार फिर केंद्र और दिल्ली की राजनीति को आमने-सामने खड़ा कर दिया है।
जनता के बीच अब यह सवाल गूँज रहा है कि क्या वास्तव में अस्पताल निर्माण में घोटाला हुआ है या फिर यह केवल राजनीतिक दुश्मनी का नतीजा है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा दिल्ली की राजनीति और केंद्र-विपक्ष के टकराव का अहम हिस्सा बनने वाला है।
ईडी की यह कार्रवाई आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच टकराव को और गहरा कर रही है। एक ओर भाजपा इसे भ्रष्टाचार पर प्रहार बताती है,तो दूसरी ओर आम आदमी पार्टी इसे लोकतंत्र और विपक्ष की आवाज को दबाने का प्रयास मानती है। फिलहाल इतना स्पष्ट है कि यह विवाद यहीं थमने वाला नहीं है और आने वाले समय में और भी राजनीतिक हलचल देखने को मिलेगी।