अनिल अंबानी (तस्वीर क्रेडिट@SachinGuptaUP)

ईडी ने अनिल अंबानी समूह पर कसा शिकंजा: 3,084 करोड़ की संपत्तियाँ कुर्क,मुंबई-दिल्ली समेत कई शहरों में कार्रवाई

नई दिल्ली,3 नवंबर (युआईटीवी)- प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए रिलायंस अनिल धीरुभाई अंबानी समूह की 3,084 करोड़ रुपए की 40 से अधिक संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क कर लिया है। यह कार्रवाई धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 5(1) के तहत की गई है। कुर्क की गई संपत्तियों में मुंबई के पॉश इलाके पाली हिल स्थित अंबानी परिवार का आलीशान आवास,नई दिल्ली का प्रतिष्ठित रिलायंस सेंटर,चर्चगेट स्थित नागिन महल कार्यालय और देश के विभिन्न हिस्सों जैसे दिल्ली,नोएडा,गाजियाबाद,पुणे,ठाणे,हैदराबाद,चेन्नई, कांचीपुरम तथा आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी में स्थित अचल संपत्तियाँ शामिल हैं।

यह कार्रवाई ईडी द्वारा 31 अक्टूबर को की गई थी और इसका संबंध रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (आरएचएफएल) और रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड (आरसीएफएल) से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग और फंड डायवर्जन के गंभीर मामले से है। ईडी की जाँच के अनुसार, 2017 से 2019 के बीच यस बैंक ने आरएचएफएल में 2,965 करोड़ रुपए और आरसीएफएल में 2,045 करोड़ रुपए का निवेश किया था। हालाँकि,कुछ समय बाद ये निवेश गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) में बदल गए। एजेंसी का आरोप है कि इन दोनों कंपनियों के जरिए सार्वजनिक निवेशकों का पैसा अप्रत्यक्ष रूप से यस बैंक के माध्यम से अंबानी समूह की अन्य कंपनियों तक पहुँचाया गया,जो सेबी के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है।

ईडी की रिपोर्ट के मुताबिक,जाँच में यह स्पष्ट हुआ कि आरएचएफएल और आरसीएफएल की ओर से समूह की अन्य कंपनियों को दिए गए कॉर्पोरेट लोन में भारी अनियमितताएँ पाई गईं। कई मामलों में लोन आवेदन और उसकी स्वीकृति के उसी दिन फंड जारी कर दिए गए,जो बैंकिंग नियमों और मानक संचालन प्रक्रियाओं का खुला उल्लंघन है। सुरक्षा दस्तावेज अधूरे या अपंजीकृत थे और जारी फंड का उपयोग उन उद्देश्यों में नहीं हुआ,जिनके लिए उन्हें स्वीकृत किया गया था। एजेंसी ने इसे “जानबूझकर की गई और व्यवस्थित नियंत्रण विफलता” करार दिया है।

जाँच में यह भी सामने आया कि रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड (आरकॉम) और उसकी संबद्ध कंपनियों ने 13,600 करोड़ रुपए से अधिक की राशि सदाबहार ऋणों के रूप में दिखाकर अपने खातों को ठीक करने की कोशिश की। इसके अलावा,करीब 12,600 करोड़ रुपए की रकम संबंधित पक्षों को स्थानांतरित की गई। एजेंसी ने कहा कि यह रकम कई स्तरों पर ट्रांसफर की गई ताकि फंड के वास्तविक स्रोत और उपयोग को छिपाया जा सके।

ईडी की जाँच के अनुसार,लगभग 1,800 करोड़ रुपए की राशि एफडी (फिक्स्ड डिपॉजिट) और म्यूचुअल फंड में निवेश के नाम पर डाली गई और बाद में इस रकम को समूह की अन्य कंपनियों को ट्रांसफर कर दिया गया। यह संपूर्ण प्रक्रिया एक संगठित तरीके से की गई ताकि अवैध फंड ट्रांसफर को वैध वित्तीय लेन-देन का रूप दिया जा सके। एजेंसी ने इसे “कॉरपोरेट संरचना का दुरुपयोग” बताया है,जिसमें समूह की दर्जनों कंपनियों के माध्यम से फंड को एक-दूसरे के बीच घुमाया गया।

कुर्क की गई प्रमुख संपत्तियों में मुंबई के बांद्रा पश्चिम स्थित पाली हिल का आलीशान अंबानी हाउस (नरगिस दत्त रोड),नई दिल्ली का रिलायंस सेंटर,चर्चगेट स्थित नागिन महल कार्यालय,नोएडा के बीएचए मिलेनियम टॉवर में एक लग्जरी फ्लैट,हैदराबाद का कैप्री अपार्टमेंट,चेन्नई में 29 फ्लैट,कांचीपुरम की जमीनें और आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी जिले में स्थित भूमि शामिल हैं। एजेंसी ने बताया कि ये संपत्तियाँ अनिल अंबानी समूह की विभिन्न कंपनियों और उनके सहयोगियों के नाम पर पंजीकृत थीं,जिन्हें अब “अपराध की आय” के रूप में चिह्नित किया गया है।

ईडी के अधिकारियों के अनुसार,यह कार्रवाई एक व्यापक जाँच का हिस्सा है,जो अभी जारी है। एजेंसी का कहना है कि वह अपराध की आय का पता लगाने और अवैध संपत्तियों की जब्ती की प्रक्रिया को आगे बढ़ा रही है। ईडी ने यह भी दावा किया है कि यह बरामदगी अंततः उन आम निवेशकों के हित में होगी,जिनका धन गलत तरीके से इस्तेमाल किया गया था।

जानकारों के मुताबिक,यह मामला केवल रिलायंस समूह के खिलाफ नहीं,बल्कि समूचे वित्तीय तंत्र के लिए एक चेतावनी के तौर पर देखा जा रहा है। हाल के वर्षों में कई कॉरपोरेट हाउसों के खिलाफ ईडी और सीबीआई की कार्रवाई यह दर्शाती है कि फंड डायवर्जन और फर्जी लोन स्वीकृति जैसी गतिविधियों पर अब सरकार और नियामक संस्थाएँ शून्य सहनशीलता की नीति अपना रही हैं।

रिलायंस समूह की ओर से अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। हालाँकि,समूह के करीबी सूत्रों का कहना है कि कंपनी जाँच में पूरा सहयोग कर रही है और अपनी वित्तीय लेन-देन की वैधता को साबित करने के लिए सभी दस्तावेज ईडी को सौंपे जा रहे हैं।

गौरतलब है कि रिलायंस होम फाइनेंस और रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस दोनों कंपनियाँ पहले ही वित्तीय संकट के दौर से गुजर रही हैं। एनपीए बढ़ने और निवेशकों के भरोसे में कमी आने के बाद कंपनी के शेयर बाजार प्रदर्शन पर भी असर पड़ा है। अब ईडी की इस कार्रवाई ने समूह पर कानूनी दबाव और बढ़ा दिया है।

वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है कि यदि ईडी की जाँच में फंड डायवर्जन और मनी लॉन्ड्रिंग के ठोस सबूत सामने आते हैं,तो यह मामला अनिल अंबानी समूह के लिए लंबे समय तक कानूनी और वित्तीय परेशानी का कारण बन सकता है। फिलहाल एजेंसी इस बात पर ध्यान केंद्रित कर रही है कि फंड का अंतिम गंतव्य क्या था और इससे जुड़े लाभार्थी कौन थे।

इस पूरी कार्रवाई से यह साफ हो गया है कि सरकार वित्तीय अपराधों पर सख्ती से शिकंजा कस रही है और बड़े कॉरपोरेट समूह भी अब जाँच एजेंसियों के रडार से बाहर नहीं हैं। प्रवर्तन निदेशालय ने कहा है कि आने वाले महीनों में इस मामले से जुड़ी और भी संपत्तियों की पहचान कर उन्हें कुर्क किया जा सकता है,ताकि निवेशकों के हितों की रक्षा सुनिश्चित की जा सके।