प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एलन मस्क (तस्वीर क्रेडिट@sengarlive)

एलन मस्क और पीटर नवारो में तनातनी,पीटर नवारो को मस्क ने दिया जवाब,भारत की तेल खरीद पर उठे विवाद के बीच बढ़ा राजनीतिक तापमान

नई दिल्ली,8 सितंबर (युआईटीवी)- टेस्ला और स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो के बीच सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर तीखी बयानबाजी छिड़ गई है। मामला भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद और इस मुद्दे पर फैलाई जा रही कथित गलत सूचनाओं से जुड़ा है। नवारो ने मस्क पर आरोप लगाया कि उनका सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स प्रोपेगेंडा को बढ़ावा दे रहा है,जबकि मस्क ने जवाब दिया कि इस मंच पर नैरेटिव लोग तय करते हैं और प्लेटफॉर्म पर तथ्य-जाँच का सिस्टम निष्पक्ष रूप से काम करता है।

यह विवाद तब शुरू हुआ,जब नवारो ने एक्स पर पोस्ट कर भारत को सीधे निशाने पर लिया। उन्होंने लिखा कि भारत केवल लाभ के लिए रूस से तेल खरीद रहा है। नवारो के अनुसार,रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण करने से पहले भारत ने रूसी तेल की कोई खरीद नहीं की थी और मौजूदा समय में भारत सरकार की “स्पिन मशीन” तेज गति से काम कर रही है। उन्होंने भारत पर यूक्रेन में जारी युद्ध के लिए अप्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार होने का आरोप लगाया और यह भी कहा कि भारत की नीतियों के कारण अमेरिकी नौकरियाँ प्रभावित हो रही हैं। नवारो ने अपने बयान में यहाँ तक कहा कि “यूक्रेनियों को मारना बंद करो,अमेरिकी नौकरियाँ छीनना बंद करो।”

हालँकि,नवारो की इस पोस्ट को एक्स पर कम्युनिटी नोट्स ने तुरंत ही फैक्ट-चेक करते हुए भ्रामक बताया। प्लेटफॉर्म पर दिखाई गई जानकारी के अनुसार,भारत की संप्रभु ऊर्जा खरीद अंतर्राष्ट्रीय कानून के पूरी तरह अनुरूप है और इसमें किसी भी तरह की गैरकानूनी गतिविधि शामिल नहीं है। यही नहीं,नोट्स में यह भी स्पष्ट किया गया कि भारत लंबे समय से अपनी ऊर्जा सुरक्षा नीति के तहत बहुआयामी स्रोतों से तेल खरीदता रहा है।


कम्युनिटी नोट्स की इस कार्रवाई से नाराज होकर नवारो ने मस्क की आलोचना शुरू कर दी। उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि मस्क ने प्लेटफॉर्म को “क्रैप नोट्स” का अड्डा बना दिया है और यह तथ्यों की आड़ में भारत सरकार का बचाव कर रहा है। इस पर मस्क ने सीधा जवाब देते हुए लिखा कि “इस मंच पर लोग ही नैरेटिव तय करते हैं। आप किसी भी तर्क के सभी पक्षों को सुन सकते हैं। कम्युनिटी नोट्स सभी को सही करते हैं,कोई अपवाद नहीं। नोट्स का डेटा और कोड पूरी तरह सार्वजनिक स्रोत से उपलब्ध है। इसके अलावा,ग्रोक फैक्ट-चेकिंग को और आगे बढ़ाता है।”

मस्क के इस जवाब ने बहस को और तेज कर दिया। एक ओर जहाँ नवारो भारत की नीतियों को लगातार कटघरे में खड़ा करते रहे,वहीं भारत सरकार ने इस विवाद पर अपनी आधिकारिक प्रतिक्रिया दी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने नवारो के आरोपों को पूरी तरह खारिज करते हुए उन्हें गलत और भ्रामक बताया। प्रवक्ता ने कहा कि भारत हमेशा अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं और राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखकर फैसले करता है और इस मामले में किसी बाहरी दबाव को स्वीकार नहीं किया जाएगा।

गौरतलब है कि नवारो इससे पहले भी भारत की विदेश नीति पर सवाल उठा चुके हैं। हाल ही में तियानजिन में हुए शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूसी और चीनी नेताओं के साथ हुई मुलाकात पर उन्होंने आलोचना की थी। नवारो का कहना था कि भारत को रूस और चीन के साथ नहीं,बल्कि अमेरिका के साथ खड़ा होना चाहिए। उनके इन बयानों ने भी भारत-अमेरिका संबंधों को लेकर सवाल खड़े किए थे।

हालाँकि,इसी बीच अमेरिकी राजनीति से एक अलग संकेत भी सामने आया। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत-अमेरिका संबंधों को बेहद खास करार दिया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की। ट्रंप ने अपने हालिया बयान में कहा कि वह हमेशा मोदी के दोस्त बने रहेंगे। यह बयान महत्वपूर्ण इसलिए माना जा रहा है क्योंकि कुछ समय पहले ट्रंप ने यह टिप्पणी की थी कि अमेरिका चीन के हाथों भारत को खो रहा है,लेकिन अब उन्होंने अपने रुख को नरम करते हुए स्पष्ट कर दिया कि वह भारत और मोदी दोनों के साथ अपने संबंधों को महत्व देते हैं।

ट्रंप के इस बयान के कुछ ही घंटों बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि वह राष्ट्रपति ट्रंप की भावनाओं की सराहना करते हैं और उनका पूरा सम्मान करते हैं। मोदी के इस जवाब ने यह संदेश दिया कि भारत अमेरिका के साथ अपने रिश्तों को रणनीतिक दृष्टि से अहम मानता है और दोनों देशों के बीच विश्वास और सहयोग की गहराई बनी हुई है।

एलन मस्क और नवारो के बीच सोशल मीडिया पर हुई यह बहस केवल व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप तक सीमित नहीं है। इसने भारत की ऊर्जा नीति,अमेरिका-भारत संबंधों और रूस-यूक्रेन युद्ध के भू-राजनीतिक प्रभावों को भी सामने ला दिया है। भारत ने बार-बार यह स्पष्ट किया है कि उसकी ऊर्जा खरीद एक संप्रभु निर्णय है और इसका उद्देश्य केवल अपने नागरिकों और अर्थव्यवस्था के लिए स्थिर और सस्ती ऊर्जा उपलब्ध कराना है। वहीं अमेरिका के भीतर भी इस मुद्दे पर मतभेद साफ दिखाई दे रहे हैं,जहाँ नवारो जैसे लोग भारत की आलोचना कर रहे हैं,वहीं ट्रंप जैसे नेता भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने पर जोर दे रहे हैं।

मस्क और नवारो के बीच छिड़ी यह जंग सोशल मीडिया से निकलकर अंतर्राष्ट्रीय राजनीति और कूटनीति तक फैल गई है। भारत की दृढ़ ऊर्जा नीति,अमेरिका की आंतरिक बहस और रूस-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि ने इस विवाद को और ज्यादा जटिल बना दिया है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह विवाद केवल बयानबाजी तक सीमित रहता है या फिर भारत-अमेरिका संबंधों की दिशा पर भी इसका कोई असर पड़ता है।