नई दिल्ली,4 अगस्त (युआईटीवी)- देश के एक लोकप्रिय आदिवासी नेता और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का सोमवार को दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में निधन हो गया। वे 80 वर्ष के थे और लंबे समय से बीमार चल रहे थे। शिबू सोरेन इस समय राज्यसभा के सदस्य थे और अपने जीवन के अंतिम दिनों तक सक्रिय राजनीति में बने रहे। उनके निधन की खबर के साथ ही झारखंड समेत पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई। राज्यसभा में भी उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया गया और सभी सांसदों ने दो मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इसके बाद सदन की कार्यवाही को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया।
राज्यसभा की कार्यवाही जब सोमवार को शुरू हुई,तो उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने सदन को यह दु:खद समाचार दिया कि वरिष्ठ सांसद और आदिवासी नेता शिबू सोरेन का निधन हो गया है। उपसभापति ने कहा कि यह जानकारी देते हुए गहरा दुख हो रहा है कि झारखंड से राज्यसभा के वर्तमान सांसद और देश के प्रमुख जनजातीय नेता शिबू सोरेन अब हमारे बीच नहीं रहे। उन्होंने बताया कि सोरेन झारखंड के सामाजिक-राजनीतिक जीवन में एक अत्यंत प्रभावशाली और सम्मानित व्यक्तित्व थे।
The demise of Shri Shibu Soren Ji is a big loss in the space of social justice. He championed the cause of tribal identity and formation of the state of Jharkhand. Besides his work at the grassroots, he also contributed as the Chief Minister of Jharkhand, as a Union Minister and…
— President of India (@rashtrapatibhvn) August 4, 2025
उपसभापति ने कहा कि शिबू सोरेन को आम जनता ‘गुरूजी’ के नाम से जानती थी। उनका जन्म 11 मई 1944 को झारखंड के हजारीबाग जिले के एक गाँव में हुआ था। एक किसान परिवार से आने वाले सोरेन ने केवल मैट्रिक तक की पढ़ाई की थी,लेकिन जीवन भर वे आदिवासी समाज के अधिकारों के लिए संघर्षरत रहे। उन्होंने झारखंड राज्य के गठन के लिए चलाए गए आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाई थी। ‘दिशोम गुरु’ के नाम से मशहूर शिबू सोरेन ने एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में अपना जीवन प्रारंभ किया और धीरे-धीरे राजनीति में प्रवेश किया। उन्होंने वंचितों,आदिवासियों और गरीबों के अधिकारों की लड़ाई को अपना जीवन बना लिया।
शिबू सोरेन ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के गठन से की थी,जो आदिवासी हितों के लिए काम करने वाली प्रमुख पार्टी बनी। वे आठ बार लोकसभा सांसद चुने गए और झारखंड की जनता का प्रतिनिधित्व बड़े ही ईमानदारी और निष्ठा से किया। इसके अलावा वे तीन बार राज्यसभा के सदस्य भी रहे। 2005 से 2010 के बीच वे तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने। 2004 से 2006 तक वे केंद्र सरकार में कोयला मंत्री के रूप में भी कार्यरत रहे।
Shri Shibu Soren Ji was a grassroots leader who rose through the ranks of public life with unwavering dedication to the people. He was particularly passionate about empowering tribal communities, the poor and downtrodden. Pained by his passing away. My thoughts are with his…
— Narendra Modi (@narendramodi) August 4, 2025
राज्यसभा में श्रद्धांजलि देते हुए उपसभापति हरिवंश ने कहा कि शिबू सोरेन एक जमीनी नेता थे,जिन्होंने सत्ता को कभी अपने जीवन का लक्ष्य नहीं बनाया,बल्कि उसे समाज सेवा का माध्यम बनाया। वे हमेशा आदिवासी समाज के उत्थान,सामाजिक न्याय,ग्रामीण विकास और वंचित समुदायों की आवाज उठाने के लिए संसद के मंच का उपयोग करते रहे। उनके भाषणों में जनजातीय संस्कृति और सामाजिक न्याय की गूँज हमेशा सुनाई देती थी। उन्होंने समाज के सबसे पिछड़े वर्गों की समस्याओं को राष्ट्रीय मंच पर मजबूती से रखा और उनके लिए संघर्ष किया।
शिबू सोरेन का निधन केवल झारखंड के लिए ही नहीं,बल्कि पूरे देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है। वे ऐसे राजनेता थे,जिन्होंने राजनीति को जनसेवा का माध्यम माना और हमेशा अपने आदर्शों पर कायम रहे। उनके निधन से झारखंड की राजनीति में एक युग का अंत हो गया है। वे झारखंड राज्य की आत्मा और पहचान का प्रतीक माने जाते थे।
आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए हैं।
आज मैं शून्य हो गया हूँ…
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) August 4, 2025
उनके योगदान को याद करते हुए झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन,जो स्वयं उनके पुत्र हैं,ने भी एक भावुक बयान जारी किया। उन्होंने कहा कि “मेरे पिता सिर्फ मेरे नहीं,बल्कि पूरे झारखंड के मार्गदर्शक थे। उनका जीवन आदिवासी समाज के संघर्ष और सफलता की गाथा है। उन्होंने जो मार्ग दिखाया है,हम उस पर चलकर उनके सपनों को साकार करेंगे।”
राष्ट्रीय स्तर पर भी नेताओं ने उनके निधन पर गहरा शोक जताया है। प्रधानमंत्री,राष्ट्रपति,उपराष्ट्रपति समेत अनेक केंद्रीय मंत्रियों और विपक्षी नेताओं ने शिबू सोरेन के निधन को देश के लिए एक बड़ी क्षति बताया। सोशल मीडिया पर भी लाखों लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी और उनके संघर्षमय जीवन को नमन किया।
शिबू सोरेन का अंतिम संस्कार झारखंड में पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। उनके पार्थिव शरीर को पहले राँची लाया जाएगा,जहाँ आम जनता उन्हें अंतिम विदाई दे सकेगी। झारखंड सरकार ने राज्य में एक दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है।
शिबू सोरेन के निधन से देश ने एक ऐसा नेता खो दिया है,जिसने अपनी सादगी और सिद्धांतों से यह साबित किया कि जनता से जुड़ाव ही किसी नेता की सबसे बड़ी ताकत होती है। उनका जीवन आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बना रहेगा।