कोलंबो,23 अगस्त (युआईटीवी)- श्रीलंका की राजनीति एक बार फिर से भ्रष्टाचार के मुद्दे पर हिल गई है। देश के पूर्व राष्ट्रपति और छह बार प्रधानमंत्री रह चुके रानिल विक्रमसिंघे को आपराधिक जाँच विभाग (सीआईडी) ने शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया। उनके खिलाफ आरोप है कि उन्होंने लंदन यात्रा के दौरान सरकारी धन का दुरुपयोग किया। गिरफ्तारी के बाद उन्हें कोलंबो फोर्ट मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया,जहाँ इस मामले में उनके बयान भी दर्ज किए गए। यह कार्रवाई श्रीलंका में बीते कुछ वर्षों से चल रहे भ्रष्टाचार विरोधी अभियान का हिस्सा है,जिसमें कई वरिष्ठ राजनेताओं और उच्च अधिकारियों पर शिकंजा कसा गया है।
रानिल विक्रमसिंघे श्रीलंका की राजनीति में लंबे समय से एक प्रमुख चेहरा रहे हैं। वे छह बार प्रधानमंत्री रह चुके हैं और जुलाई 2022 से नवंबर 2024 तक राष्ट्रपति पद पर भी आसीन रहे। उनका कार्यकाल उस समय शुरू हुआ था,जब जनता के व्यापक विरोध प्रदर्शनों के चलते तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को इस्तीफा देना पड़ा था। जनता का गुस्सा राजपक्षे सरकार की नीतियों,भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन को लेकर फूटा था,जिसने देश को गहरे आर्थिक संकट में धकेल दिया था। ऐसे समय में विक्रमसिंघे को एक संकटमोचक नेता के तौर पर देखा गया था,लेकिन अब उन्हीं पर सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग का गंभीर आरोप लगा है।
विक्रमसिंघे के खिलाफ यह मामला 2025 की शुरुआत में दर्ज किया गया था। जाँच समिति ने यह पाया था कि सितंबर 2023 में उनकी एक यात्रा के दौरान सरकारी धन के इस्तेमाल में गड़बड़ी हुई। उस समय वे श्रीलंका के राष्ट्रपति थे। रिपोर्ट के अनुसार,विक्रमसिंघे हवाना में हुए जी-77 शिखर सम्मेलन में शामिल होकर लौट रहे थे,जब उन्होंने लंदन में रुकने का फैसला किया। इस दौरान उन्होंने अपनी पत्नी मैत्री विक्रमसिंघे के साथ वॉल्वरहैम्प्टन विश्वविद्यालय में आयोजित एक समारोह में भाग लिया। आरोप है कि इस निजी कार्यक्रम की यात्रा और सुरक्षा व्यवस्था का खर्च सरकारी खजाने से उठाया गया।
श्रीलंका के आपराधिक जाँच विभाग (सीआईडी) का कहना है कि विक्रमसिंघे ने न केवल सरकारी धन से अपनी पत्नी की निजी यात्रा को समर्थन दिया,बल्कि उनके निजी अंगरक्षक को भी सरकारी फंड से भुगतान किया गया। हालाँकि,विक्रमसिंघे इन आरोपों को सिरे से खारिज करते रहे हैं। उनका कहना है कि लंदन यात्रा का खर्च उनकी पत्नी ने स्वयं वहन किया था और उन्होंने अपने निजी उद्देश्यों के लिए किसी भी सरकारी धन का इस्तेमाल नहीं किया। विक्रमसिंघे ने इसे एक राजनीतिक साजिश करार देते हुए दावा किया कि विपक्षी ताकतें उन्हें बदनाम करने की कोशिश कर रही हैं।
इस गिरफ्तारी के साथ श्रीलंका में भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम ने एक नया मोड़ ले लिया है। हाल के वर्षों में श्रीलंका ने कई बड़े घोटालों और आर्थिक संकटों का सामना किया है। विदेशी कर्ज,वित्तीय बदइंतजामी और राजनीतिक अस्थिरता ने देश की अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया। 2022 में ईंधन,दवाइयों और खाद्यान्न की भारी किल्लत ने आम जनता को सड़कों पर उतरने पर मजबूर कर दिया था। यही वह समय था,जब गोटबाया राजपक्षे को सत्ता छोड़नी पड़ी और विक्रमसिंघे ने राष्ट्रपति पद संभाला। हालाँकि,उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से मदद ली,लेकिन भ्रष्टाचार और राजनीतिक साख के सवाल उनके कार्यकाल के दौरान भी उठते रहे।
विशेषज्ञों का मानना है कि विक्रमसिंघे की गिरफ्तारी केवल एक कानूनी कार्रवाई नहीं,बल्कि श्रीलंका की राजनीति में शक्ति संतुलन बदलने का संकेत भी है। विपक्ष इस मामले को सत्ता में मौजूद नेताओं के खिलाफ एक सबक के रूप में पेश कर रहा है,जबकि विक्रमसिंघे के समर्थकों का कहना है कि यह राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित कदम है। श्रीलंका की न्यायपालिका और भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसियों पर भी सवाल उठते रहे हैं कि वे निष्पक्ष तरीके से कार्रवाई कर रही हैं या फिर सत्ताधारी दलों के दबाव में।
अब नजरें कोलंबो की अदालत पर टिकी हैं,जहाँ विक्रमसिंघे के खिलाफ केस की सुनवाई होगी। अगर आरोप साबित होते हैं,तो यह न केवल उनके राजनीतिक करियर को खत्म कर सकता है,बल्कि श्रीलंका की अंतर्राष्ट्रीय छवि पर भी गहरा असर डाल सकता है। देश पहले ही आर्थिक संकट से जूझ रहा है और अब राजनीतिक अस्थिरता की यह नई लहर विदेशी निवेशकों और साझेदार देशों के भरोसे को कमजोर कर सकती है।
विक्रमसिंघे का कहना है कि वह जाँच में पूरा सहयोग करेंगे और न्यायपालिका पर उनका भरोसा है,लेकिन उनके खिलाफ दर्ज हुए आरोप और गिरफ्तारी ने श्रीलंका की राजनीति में हलचल मचा दी है। एक ओर भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम को इससे बल मिला है,वहीं दूसरी ओर सत्ता के गलियारों में अनिश्चितता और गहराती नजर आ रही है। यह मामला इस बात का भी परीक्षण करेगा कि श्रीलंका की संस्थाएँ कितनी स्वतंत्र और पारदर्शी तरीके से न्याय सुनिश्चित कर पाती हैं।