नई दिल्ली,4 सितंबर (युआईटीवी)- दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने गुरुवार को पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को बड़ी राहत दी। अदालत ने आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले की सुनवाई को टालते हुए अगली तारीख अक्टूबर तय की है। इस दौरान दोनों नेताओं को व्यक्तिगत रूप से पेश होने से छूट दे दी गई। अदालत का यह फैसला उस वक्त आया,जब दोनों नेताओं ने पेशी से छूट की अर्जी दायर की थी।
केजरीवाल और सिसोदिया की ओर से अदालत को बताया गया कि वे इस समय पंजाब में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं और राहत एवं बचाव कार्यों में सक्रिय रूप से जुटे हुए हैं। उनके वकीलों ने दलील दी कि वे पीड़ितों की सहायता करने में व्यस्त हैं और ऐसे समय में अदालत में उपस्थित होना संभव नहीं है। अदालत ने इन तर्कों को स्वीकार करते हुए उन्हें पेशी से छूट प्रदान कर दी। इस तरह,फिलहाल दोनों नेताओं को इस मामले में बड़ी राहत मिल गई है,हालाँकि अक्टूबर में होने वाली अगली सुनवाई को लेकर अब सभी की निगाहें अदालत के रुख पर टिकी होंगी।
गौरतलब है कि दिल्ली की आबकारी नीति को लेकर बीते साल से विवाद जारी है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया था। जाँच एजेंसी का आरोप है कि नई नीति के जरिए अवैध लाभ पहुँचाने और शराब ठेकों में गड़बड़ियों की साजिश रची गई। ईडी ने इस मामले में कई नेताओं और अधिकारियों पर शिकंजा कसा है। मनीष सिसोदिया को इस केस में पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है और लंबे समय तक वे जेल में भी रहे। अरविंद केजरीवाल से भी इस मामले में पूछताछ की जा चुकी है। ऐसे में अदालत की कार्यवाही को लेकर राजनीतिक हलकों में लगातार चर्चा बनी रहती है।
दिल्ली की राजनीति में आबकारी नीति मामला बड़ा मुद्दा रहा है। विपक्ष लगातार आम आदमी पार्टी की सरकार पर भ्रष्टाचार और घोटाले के आरोप लगाता रहा है,जबकि आप का कहना है कि यह पूरा मामला राजनीतिक साजिश का हिस्सा है। पार्टी का आरोप है कि केंद्र सरकार और उसकी एजेंसियाँ विपक्षी नेताओं को दबाने और बदनाम करने के लिए इस तरह के केस दर्ज कर रही हैं। अदालत की ओर से अगली सुनवाई टलने के बाद आप नेताओं ने इसे न्याय की दिशा में सकारात्मक कदम बताया है।
इस बीच पंजाब में बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है। लगातार बारिश और नदियों में बढ़े जलस्तर ने कई जिलों में तबाही मचा दी है। हजारों एकड़ फसलें पानी में डूब चुकी हैं,गां गाँवों और कस्बों में जलभराव से जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस स्थिति को गंभीर बताते हुए केंद्र सरकार से तत्काल सहायता की माँग की है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर पंजाब का 60 हजार करोड़ रुपये का रुका हुआ फंड जारी करने की अपील की। मान ने कहा कि राज्य वर्तमान में कठिन दौर से गुजर रहा है और केंद्र को इस संकट की घड़ी में पंजाब का साथ देना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने यह भी सुझाव दिया कि राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (एसडीआरएफ) के तहत मिलने वाली मुआवजा राशि को बढ़ाया जाए। वर्तमान नियमों के अनुसार प्रति एकड़ मिलने वाला मुआवजा अपर्याप्त है,इसलिए इसे बढ़ाकर 50 हजार रुपये प्रति एकड़ किया जाना चाहिए। मान ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार केंद्र की योजना के अनुसार अपना 25 प्रतिशत योगदान जारी रखेगी,लेकिन केंद्र को भी तात्कालिक संशोधन कर राहत के नियमों को और व्यावहारिक बनाना होगा।
पंजाब में बाढ़ से उत्पन्न हालात ने राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर नई बहस को जन्म दिया है। राहत और पुनर्वास कार्यों में सक्रिय भागीदारी निभा रहे अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया ने अदालत में पेशी से छूट लेकर यह संदेश दिया कि उनके लिए इस समय सबसे बड़ी प्राथमिकता पीड़ित जनता की मदद करना है। आप पार्टी का कहना है कि संकट के समय नेताओं का जनता के बीच होना ही उनका कर्तव्य है और यही वजह है कि अदालत में उन्होंने अपनी अनुपस्थिति के लिए छूट की मांग की।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अदालत का यह निर्णय आप नेताओं के लिए अस्थायी राहत जरूर है,लेकिन अक्टूबर में होने वाली सुनवाई इस पूरे मामले के लिए निर्णायक साबित हो सकती है। ईडी लगातार अपने आरोपों को पुख्ता करने के लिए नए साक्ष्य जुटाने में लगी है,जबकि बचाव पक्ष अदालत में यह साबित करने का प्रयास करेगा कि यह मामला कानूनी से ज्यादा राजनीतिक है।
फिलहाल,अदालत का यह कदम आम आदमी पार्टी के लिए राहत की सांस लेकर आया है। पंजाब की आपदा और दिल्ली के विवादास्पद आबकारी मामले के बीच आप की राजनीतिक स्थिति संवेदनशील बनी हुई है। अब देखना यह होगा कि अक्टूबर में अदालत की अगली सुनवाई किस दिशा में जाती है और यह मामला दिल्ली की राजनीति और आम आदमी पार्टी के भविष्य पर किस तरह असर डालता है।