अन्नादुरई की जयंती पर मुख्यमंत्री स्टालिन ने एआई-वीडियो साझा कर दी श्रद्धांजलि (तस्वीर क्रेडिट@KanimozhiDMK)

अन्नादुरई की जयंती पर मुख्यमंत्री स्टालिन ने एआई-वीडियो साझा कर दी श्रद्धांजलि,परंपरा और तकनीक का दिखा अनोखा संगम

चेन्नई,15 सितंबर (युआईटीवी)- तमिलनाडु की राजनीति और संस्कृति में गहराई तक जड़ें जमाए हुए महान नेता और द्रविड़ आंदोलन के स्तंभ सीएन अन्नादुरई की जयंती इस बार एक खास अंदाज़ में मनाई गई। राज्य के मुख्यमंत्री और द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (डीएमके) अध्यक्ष एमके स्टालिन ने अपने पूर्ववर्ती नेता को श्रद्धांजलि देते हुए एक विशेष एआई-जनरेटेड वीडियो जारी किया। यह वीडियो न केवल तकनीक और परंपरा के संगम का प्रतीक बना,बल्कि इसने यह भी दर्शाया कि आधुनिक समय में कैसे तकनीक का उपयोग अतीत के नायकों की स्मृतियों को जीवित रखने और नई पीढ़ी तक उनके संदेश पहुँचाने में किया जा सकता है।

सीएम स्टालिन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर यह वीडियो साझा किया। इसमें अन्नादुरई को विभिन्न रूपों में दिखाया गया। कभी जनता के बीच,कभी उनके भाषणों के दृश्य और कभी उनके ऐतिहासिक फोटोग्राफ। वीडियो में पुरानी तस्वीरों और वीडियो फुटेज को एआई तकनीक के जरिए आधुनिक स्वरूप दिया गया था। स्टालिन ने इसे साझा करते हुए अपने भावुक संदेश में अन्नादुरई को “तमिलनाडु को जीवन देने वाला और डीएमके में प्राण फूँकने वाला नेता” बताया। उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा कि “जिन्होंने तमिलनाडु का निर्माण किया,उस नेता का सिर कभी झुकने नहीं दिया जाएगा। तमिलनाडु हमेशा ऊँचा रहेगा।”

मुख्यमंत्री ने अपने तमिल भाषा में किए गए पोस्ट में भावनाओं को और स्पष्ट करते हुए कहा, “वो नेता जिन्होंने तमिलों को तमिल भाषा दी। हमें डीएमके के रूप में जीवन देने वाले महान सपूत। हम अपने नेता द्वारा निर्मित तमिलनाडु को कभी सिर झुकाने नहीं देंगे।” यह बयान न केवल श्रद्धांजलि था,बल्कि अन्नादुरई की विचारधारा को आगे बढ़ाने का संकल्प भी था।

अन्नादुरई, जिन्हें “पेरारिग्नर अन्ना” के नाम से भी जाना जाता है,1949 में डीएमके के संस्थापक थे। 1967 में वह तमिलनाडु के पहले मुख्यमंत्री बने और 1969 तक इस पद पर रहे। उनका कार्यकाल भले ही छोटा रहा,लेकिन उसमें किए गए सुधार और उनकी राजनीतिक दृष्टि ने तमिल समाज की दिशा बदल दी। सामाजिक न्याय,जातिगत समानता और तमिल भाषा की रक्षा को उन्होंने अपनी राजनीति का आधार बनाया। उनका भाषण शैली इतनी प्रभावशाली थी कि वह जनता के दिलों में घर कर जाते थे। आज भी उन्हें एक महान वक्ता,सुधारक और तमिल पहचान को मजबूत करने वाले नेता के रूप में याद किया जाता है।

अन्नादुरई की जयंती हमेशा तमिलनाडु में धूमधाम से मनाई जाती है। डीएमके कार्यकर्ता और समर्थक इस दिन फूलों से सजी मूर्तियों पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और राज्यभर में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं,लेकिन इस बार स्टालिन द्वारा एआई तकनीक से तैयार किया गया स्मृति वीडियो इस आयोजन का केंद्र बन गया। पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने इसे परंपरा और आधुनिकता के मिश्रण के रूप में देखा। उनका मानना है कि यह पहल इस बात का प्रतीक है कि डीएमके अपने मूल आदर्शों को संजोते हुए समय के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही है।

डीएमके नेताओं ने कहा कि एआई वीडियो जारी करके मुख्यमंत्री स्टालिन ने न केवल अन्नादुरई की स्मृति को नई तकनीकी भाषा दी,बल्कि यह भी दिखाया कि कैसे भविष्य की पीढ़ियों तक उनके विचारों को और प्रभावी तरीके से पहुँचाया जा सकता है। यह वीडियो उन युवाओं के लिए भी प्रेरणा का स्रोत है,जो तकनीक से जुड़ाव रखते हैं,लेकिन साथ ही तमिलनाडु के इतिहास और राजनीतिक आंदोलन के प्रति जिज्ञासा भी रखते हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि स्टालिन की यह पहल केवल श्रद्धांजलि भर नहीं है,बल्कि यह एक राजनीतिक संदेश भी है। इससे डीएमके ने यह जताया है कि वह तमिल गौरव और पहचान की रक्षा के लिए हमेशा प्रतिबद्ध रहेगी और अन्नादुरई की विरासत को आधुनिक संदर्भ में आगे बढ़ाने के लिए तकनीक का भी उपयोग करेगी। यह कदम पार्टी की जड़ों को मजबूत करने के साथ-साथ उसे समकालीन राजनीति में भी प्रासंगिक बनाए रखता है।

अन्नादुरई की राजनीतिक विरासत का महत्व इसलिए भी बड़ा है क्योंकि उन्होंने तमिलनाडु की राजनीति में जातीय और भाषाई पहचान को केंद्र में लाकर आम जनता को राजनीति से जोड़ा। उनके नेतृत्व में डीएमके एक मजबूत सामाजिक और राजनीतिक शक्ति बनी जिसने आने वाले दशकों में तमिलनाडु की राजनीति की दिशा तय की। यही कारण है कि आज भी उनकी जयंती एक सामूहिक उत्सव के रूप में मनाई जाती है और उनकी विचारधारा को पार्टी की रीढ़ माना जाता है।

इस बार की जयंती पर जारी एआई वीडियो ने एक नई परंपरा की शुरुआत की है। यह केवल श्रद्धांजलि का साधन नहीं,बल्कि एक प्रतीक है कि तकनीक का इस्तेमाल केवल आधुनिक जीवनशैली तक सीमित नहीं बल्कि सांस्कृतिक और राजनीतिक स्मृतियों को संरक्षित करने के लिए भी किया जा सकता है। यह प्रयोग इस ओर इशारा करता है कि भविष्य में अतीत के और भी नेताओं की स्मृतियों को इस तरह तकनीकी रूप से प्रस्तुत किया जा सकता है,ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए इतिहास जीवंत और आकर्षक बन सके।

मुख्यमंत्री स्टालिन की इस पहल ने अन्नादुरई की जयंती को केवल एक पारंपरिक आयोजन तक सीमित नहीं रहने दिया,बल्कि इसे आधुनिक तमिलनाडु के लिए एक प्रेरणादायक और सशक्त संदेश बना दिया। यह स्पष्ट हो गया कि डीएमके अपने संस्थापक नेता की विरासत को न केवल संरक्षित कर रही है,बल्कि उसे नई तकनीकी भाषा में ढालकर और भी प्रभावशाली बना रही है।